Sanskrit Shlok Class 6 Blog
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Sanskrit shlok class 6 – आज हम class 6 के छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के लिठये sanskrit shlok class 6 लेकर आठहैं
सà¤à¥€ छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ ये शà¥à¤²à¥‹à¤• जरूर याद कर लेना चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤•à¤¿ आपकी परीकà¥à¤·à¤¾ मे, 1 शà¥à¤²à¥‹à¤• लिखने को जरूर आयेगा
इन सà¤à¥€ शà¥à¤²à¥‹à¤•à¥‹ को हमने बहà¥à¤¤ ही आसान शबà¥à¤¦à¥‹ मे समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ हैं à¤à¤• बार पà¥à¤¤à¥‡ ही आप सà¤à¥€ को ये शà¥à¤²à¥‹à¤• ओर इसका अरà¥à¤¥ समठमे अजाà¤à¤—ा ।
e ki matra ke shabd in hindi worksheets | इ की मातà¥à¤°à¤¾ वाले शबà¥à¤¦ 10th class sanskrit shlok | संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ शà¥à¤²à¥‹à¤•
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sanskrit shlok class 6 के लिà¤
1. उदà¥à¤¯à¤®à¥‡à¤¨ हि सिधà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤à¤¿ कारà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤¿ न मनोरथैः।
न हि सà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¸à¥à¤¯ सिंहसà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¶à¤¨à¥à¤¤à¤¿ मà¥à¤–े मृगा: ।।
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- उदà¥à¤¯à¤®, यानि मेहनत से ही कारà¥à¤¯ पूरे होते हैं, सिरà¥à¤« इचà¥à¤›à¤¾ करने से नहीं। जैसे सोये हà¥à¤ शेर के मà¥à¤à¤¹ में हिरण सà¥à¤µà¤¯à¤‚ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ नहीं करता बलà¥à¤•à¤¿ शेर को सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करना पड़ता है।
2. वाणी रसवती यसà¥à¤¯,यसà¥à¤¯ शà¥à¤°à¤®à¤µà¤¤à¥€ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ ।
लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ : दानवती यसà¥à¤¯,सफलं तसà¥à¤¯ जीवितं ।।
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- जिस मनà¥à¤·à¥à¤¯ की वाणी मीठी है, जिसका कारà¥à¤¯ परिशà¥à¤°à¤® से यà¥à¤•à¥à¤¤ है, जिसका धन दान करने में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होता है, उसका जीवन सफल है।
3. पà¥à¤°à¤¦à¥‹à¤·à¥‡ दीपक : चनà¥à¤¦à¥à¤°:,पà¥à¤°à¤à¤¾à¤¤à¥‡ दीपक:रवि:।
तà¥à¤°à¥ˆà¤²à¥‹à¤•à¥à¤¯à¥‡ दीपक:धरà¥à¤®:,सà¥à¤ªà¥à¤¤à¥à¤°: कà¥à¤²à¤¦à¥€à¤ªà¤•:।।
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- संधà¥à¤¯à¤¾-काल मे चंदà¥à¤°à¤®à¤¾ दीपक है, पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ काल में सूरà¥à¤¯ दीपक है, तीनो लोकों में धरà¥à¤® दीपक है और सà¥à¤ªà¥à¤¤à¥à¤° कà¥à¤² का दीपक है।
4. पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤µà¤¾à¤•à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨à¥‡à¤¨ सरà¥à¤µà¥‡ तà¥à¤·à¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤à¤¿ जनà¥à¤¤à¤µà¤ƒ ।
तसà¥à¤®à¤¾à¤¤ तदैव वकà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤® वचने का दरिदà¥à¤°à¤¤à¤¾à¥¤à¥¤
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- पà¥à¤°à¤¿à¤¯ वाकà¥à¤¯ बोलने से सà¤à¥€ जीव संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ हो जाते हैं, अतः पà¥à¤°à¤¿à¤¯ वचन ही बोलने चाहिà¤à¤‚। à¤à¤¸à¥‡ वचन बोलने में कंजूसी कैसी।
5. सेवितवà¥à¤¯à¥‹ महावृकà¥à¤·: फ़लचà¥à¤›à¤¾à¤¯à¤¾ समनà¥à¤µà¤¿à¤¤:।
यदि देवाद फलं नासà¥à¤¤à¤¿,छाया केन निवारà¥à¤¯à¤¤à¥‡à¥¤à¥¤
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- विशाल वृकà¥à¤· की सेवा करनी चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वो फल और छाया दोनो से यà¥à¤•à¥à¤¤ होता है। यदि दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से फल नहीं हैं तो छाया को à¤à¤²à¤¾ कौन रोक सकता है।
6. देवो रà¥à¤·à¥à¤Ÿà¥‡ गà¥à¤°à¥à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾ गà¥à¤°à¥‹ रà¥à¤·à¥à¤Ÿà¥‡ न कशà¥à¤šà¤¨:।
गà¥à¤°à¥à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾ गà¥à¤°à¥à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾ गà¥à¤°à¥à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾ न संशयः।।
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ रूठजाठतो गà¥à¤°à¥ रकà¥à¤·à¤¾ करता है, गà¥à¤°à¥ रूठजाठतो कोई नहीं होता। गà¥à¤°à¥ ही रकà¥à¤·à¤• है, गà¥à¤°à¥ ही रकà¥à¤·à¤• है, गà¥à¤°à¥ ही रकà¥à¤·à¤• है, इसमें कोई संदेह नहीं।
7. अनादरो विलमà¥à¤¬à¤¶à¥à¤š वै मà¥à¤–à¥à¤¯à¤® निषà¥à¤ à¥à¤° वचनम
पशà¥à¤šà¤¤à¤ªà¤¶à¥à¤š पञà¥à¤šà¤¾à¤ªà¤¿ दानसà¥à¤¯ दूषणानि च।।
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- अपमान करके दान देना, विलंब से देना, मà¥à¤– फेर के देना, कठोर वचन बोलना और देने के बाद पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¤¾à¤ª करना- ये पांच कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤‚ दान को दूषित कर देती हैं।
8. अà¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¤¨à¤¶à¥€à¤²à¤¸à¥à¤¯ नितà¥à¤¯à¤‚ वृदà¥à¤§à¥‹à¤ªà¤¸à¥‡à¤µà¤¿à¤¨:।
चतà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¿ तसà¥à¤¯ वरà¥à¤§à¤¨à¥à¤¤à¥‡ आयà¥à¤°à¥à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾ यशोबलं।।
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- बड़ों का अà¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¤¨ करने वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯ की और नितà¥à¤¯ वृदà¥à¤§à¥‹à¤‚ की सेवा करने वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯ की आयà¥, विदà¥à¤¯à¤¾, यश और बल -ये चार चीजें बà¥à¤¤à¥€ हैं।
9. दà¥à¤°à¥à¤œà¤¨:परिहरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤‚कृतो सन ।
मणिना à¤à¥‚षितो सरà¥à¤ª:किमसौ न à¤à¤¯à¤‚कर:।।
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- दà¥à¤·à¥à¤Ÿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ यदि विदà¥à¤¯à¤¾ से सà¥à¤¶à¥‹à¤à¤¿à¤¤ à¤à¥€ हो अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ वह विदà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¾à¤¨ à¤à¥€ हो तो à¤à¥€ उसका परितà¥à¤¯à¤¾à¤— कर देना चाहिà¤à¥¤ जैसे मणि से सà¥à¤¶à¥‹à¤à¤¿à¤¤ सरà¥à¤ª कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¯à¤‚कर नहीं होता?
10. हसà¥à¤¤à¤¸à¥à¤¯ à¤à¥‚षणम दानम, सतà¥à¤¯à¤‚ कंठसà¥à¤¯ à¤à¥‚षणं।
शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¸à¥à¤¯ à¤à¥‚षणं शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤®,à¤à¥‚षनै:किं पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¤®à¥¤à¥¤
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- हाथ का आà¤à¥‚षण दान है, गले का आà¤à¥‚षण सतà¥à¤¯ है, कान की शोà¤à¤¾ शासà¥à¤¤à¥à¤° सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ से है, अनà¥à¤¯ आà¤à¥‚षणों की कà¥à¤¯à¤¾ आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है।
11. यसà¥à¤¯ नासà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾, शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤‚ तसà¥à¤¯ करोति किं।
लोचनाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤® विहीनसà¥à¤¯, दरà¥à¤ªà¤£:किं करिषà¥à¤¯à¤¤à¤¿à¥¤à¥¤
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- जिस मनà¥à¤·à¥à¤¯ के पास सà¥à¤µà¤¯à¤‚ का विवेक नहीं है, शासà¥à¤¤à¥à¤° उसका कà¥à¤¯à¤¾ करेंगे। जैसे नेतà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¹à¥€à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठदरà¥à¤ªà¤£ वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ है।
12. न कशà¥à¤šà¤¿à¤¤ कसà¥à¤¯à¤šà¤¿à¤¤ मितà¥à¤°à¤‚ न कशà¥à¤šà¤¿à¤¤ कसà¥à¤¯à¤šà¤¿à¤¤ रिपà¥:
वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¥‡à¤£ जायनà¥à¤¤à¥‡, मितà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿ रिपà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤¥à¤¾à¥¤à¥¤
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- न कोई किसी का मितà¥à¤° होता है, न कोई किसी का शतà¥à¤°à¥à¥¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° से ही मितà¥à¤° या शतà¥à¤°à¥ बनते हैं ।
13. नीरकà¥à¤·à¥€à¤°à¤µà¤¿à¤µà¥‡à¤•à¥‡ हंस आलसà¥à¤¯à¤‚ तà¥à¤µà¤‚ à¤à¤µ तनà¥à¤·à¥‡ चेत।
विशà¥à¤µà¤¸à¥à¤®à¤¿à¤¨ अधà¥à¤¨à¤¾ अनà¥à¤¯:कà¥à¤²à¤µà¥à¤°à¤¤à¤® पालयिषà¥à¤¯à¤¤à¤¿ क:
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- ठहंस, यदि तà¥à¤® दूध और पानी को à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ करना छोड़ दोगे तो तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ कà¥à¤²à¤µà¥à¤°à¤¤ का पालन इस विशà¥à¤µ मे कौन करेगा। à¤à¤¾à¤µ यदि बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨
वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ही इस संसार मे अपना करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ तà¥à¤¯à¤¾à¤— देंगे तो निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° कौन करेगा।
14. दà¥à¤°à¥à¤œà¤¨:सà¥à¤µà¤¸à¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¥‡à¤¨ परकारà¥à¤¯à¥‡ विनशà¥à¤¯à¤¤à¤¿à¥¤
नोदर तृपà¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥€ मूषक:वसà¥à¤¤à¥à¤°à¤à¤•à¥à¤·à¤•:।।
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:-दà¥à¤·à¥à¤Ÿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ ही दूसरे के कारà¥à¤¯ बिगाड़ने का होता है। वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को काटने वाला चूहा पेट à¤à¤°à¤¨à¥‡ के लिठकपड़े नहीं काटता।
15. सतà¥à¤¯à¤‚ बà¥à¤°à¥‚यात पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤‚ बà¥à¤°à¥‚यात न बà¥à¤°à¥‚यात सतà¥à¤¯à¤‚ पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤®à¥¤
पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤‚ च नानृतं बà¥à¤°à¥‚यात à¤à¤· धरà¥à¤®: सनातन:।।
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- सतà¥à¤¯ बोलो, पà¥à¤°à¤¿à¤¯ बोलो,अपà¥à¤°à¤¿à¤¯ लगने वाला सतà¥à¤¯ नहीं बोलना चाहिये। पà¥à¤°à¤¿à¤¯ लगने वाला असतà¥à¤¯ à¤à¥€ नहीं बोलना चाहिà¤à¥¤
16. कावà¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¤µà¤¿à¤¨à¥‹à¤¦à¥‡à¤¨ कालो गचà¥à¤›à¤¤à¤¿ धीमतां।
वà¥à¤¯à¤¸à¤¨à¥‡à¤¨ च मूरà¥à¤–ाणां निदà¥à¤°à¤¯à¤¾ कलहेन वा।।
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ लोग कावà¥à¤¯-शासà¥à¤¤à¥à¤° का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने में अपना समय वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करते हैं, जबकि मूरà¥à¤– लोग निदà¥à¤°à¤¾, कलह और बà¥à¤°à¥€ आदतों में अपना समय बिताते हैं।
17. पृथà¥à¤µà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ तà¥à¤°à¥€à¤£à¤¿ रतà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¿ जलमनà¥à¤¨à¤® सà¥à¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤à¤‚।
मूà¥à¥‡: पाधानखंडेषॠरतà¥à¤¨à¤¸à¤‚जà¥à¤žà¤¾ विधीयते।।
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- पृथà¥à¤µà¥€ पर तीन रतà¥à¤¨ हैं- जल,अनà¥à¤¨ और शà¥à¤ वाणी । पर मूरà¥à¤– लोग पतà¥à¤¥à¤° के टà¥à¤•à¥œà¥‹à¤‚ को रतà¥à¤¨ की संजà¥à¤žà¤¾ देते हैं।
18. à¤à¥‚मे:गरीयसी माता,सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ात उचà¥à¤šà¤¤à¤°:पिता।
जननी जनà¥à¤®à¤à¥‚मिशà¥à¤š सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ात अपि गरीयसी।।
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- à¤à¥‚मि से शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ माता है, सà¥à¤µà¤°à¥à¤— से ऊंचे पिता हैं, माता और मातृà¤à¥‚मि सà¥à¤µà¤°à¥à¤— से à¤à¥€ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ हैं।
19. शैले शैले न माणिकà¥à¤¯à¤‚,मौकà¥à¤¤à¤¿à¤® न गजे गजे।
साधवो नहि सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤°,चंदन न वने वने।।
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• परà¥à¤µà¤¤ पर अनमोल रतà¥à¤¨ नहीं होते, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• हाथी के मसà¥à¤¤à¤• में मोती नहीं होता। सजà¥à¤œà¤¨ लोग सब जगह नहीं होते और पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वन में चंदन नही पाया जाता ।
20. न विना परवादेन रमते दà¥à¤°à¥à¤œà¤¨à¥‹à¤œà¤¨:।
काक:सरà¥à¤µà¤°à¤¸à¤¾à¤¨ à¤à¥à¤•à¥à¤¤à¥‡ विनामधà¥à¤¯à¤® न तृपà¥à¤¯à¤¤à¤¿à¥¤à¥¤
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤:- लोगों की निंदा किये बिना दà¥à¤·à¥à¤Ÿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को आनंद नहीं आता। जैसे कौवा सब रसों का à¤à¥‹à¤— करता है परंतॠगंदगी के बिना उसकी तृपà¥à¤¤à¤¿ नहीं होती ।
1. सरà¥à¤µà¥‡ à¤à¤µà¤¨à¥à¤¤à¥ ………………………………………. दà¥à¤ƒà¤–à¤à¤¾à¤—à¥à¤à¤µà¥‡à¤¤à¥à¥¤à¥¤
हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ – सब सà¥à¤–ी हों, सब नीरोग हों, सब सजà¥à¤œà¤¨ हों, कोई दà¥à¤–ी न हो।
2. अलससà¥à¤¯ ……………………………………….. कà¥à¤¤à¤ƒ सà¥à¤–मॠ।।
हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ – आलसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को विदà¥à¤¯à¤¾ कहाà¤? विदà¥à¤¯à¤¾ के बिना धन कहाà¤? धन के बिना मितà¥à¤° कहाठऔर मितà¥à¤° के बिना सà¥à¤– कहाà¤?
3. विदà¥à¤¯à¤¾ ददाति …………………………………….. ततः सà¥à¤–मॠ।।
हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ – विदà¥à¤¯à¤¾ विनय देती है, विनय से योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ आती है, योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ से धन आता है, धन – से धरà¥à¤® और धरà¥à¤® से सà¥à¤– मिलता है।
4. पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¸à¥à¤¥à¤¾ ……………………………………….. तदॠधनमॠ।।
हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ – पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में छिपी विदà¥à¤¯à¤¾ और दूसरे के हाथों में गया धने समय पर काम नहीं आता; अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥‚ अपना जà¥à¤žà¤¾à¤¨ तथा अपने पास का धन ही मौके पर साथ देता है।
5. परोपकाराय …………………………………………… शरीरमॠ।।
हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ – परोपकार के लिठवृकà¥à¤· फल देते हैं; परोपकार के लिठनदियाठबहती (जल देती) हैं। परोपकार के लिठगायें दूध देती हैं; परोपकार के लिठही यह मानव शरीर है; अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥‚ मानवों का जनà¥à¤® ही परोपकार करने के लिठहà¥à¤† है।