Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

रामधारी सिंह दिनकर | Ramdhari Singh Dinkar


● रामधारी सिंह दिनकर | Ramdhari Singh Dinkar

रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar) भारतीय हिंदी कवि थे, जिन्हें आधुनिक हिंदी साहित्य के महान कवियों में से एक माना जाता है। उनका जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के सिमरा गाँव (जो अब झांसी जिले, मध्य प्रदेश में है) में हुआ था और उनका निधन 24 अप्रैल 1974 को हुआ था।

दिनकर की कविताएँ राष्ट्रीय चेतना, धर्म, स्वतंत्रता, समाज और प्रेम जैसे विभिन्न विषयों पर आधारित थीं। उनके द्वारा रचित "उर्वशी", "संग्राम", "हूँ परबती आपदाधारिणी" और "सीता" जैसी कविताएँ उनके विशेष प्रसिद्ध काव्य-सृजनों में से कुछ हैं। उन्होंने अपनी कविताओं में राष्ट्रीय भावना और स्वाधीनता के लिए समर्पण व्यक्त किया था और उनकी कविताएँ आधुनिक हिंदी साहित्य के माध्यम से भारतीय समाज को उत्तेजना देने में मदद करती थीं। दिनकर को साहित्य के क्षेत्र में अनेक पुरस्कार से भी नवाजा गया था। उन्हें राष्ट्रीय भाषा और साहित्य अकादमी पुरस्कार (1962), साहित्य अकादमी के रत्न पुरस्कार (1959) और पद्म भूषण (1959) जैसे महत्वपूर्ण सम्मानों से सम्मानित किया गया था।

दिनकर की रचनाएँ आज भी भारतीय साहित्य के शिखर पर स्थान पाती हैं और उनकी कविताएँ भारतीय राष्ट्रीय चेतना के संरक्षक और प्रेरक के रूप में याद की जाती हैं।

● रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं | Poems of Ramdhari Singh Dinkar

रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं विभिन्न विषयों पर आधारित होती थीं, जिनमें राष्ट्रीय भावना, स्वतंत्रता, धर्म, समाज, प्रेम, और मानवता के मुद्दे शामिल थे। उनकी कुछ प्रसिद्ध कविताएं निम्नलिखित हैं..

उर्वशी:

यह एक महाकाव्य है जो महाभारत के इतिहास में विराटपर्व की कथा पर आधारित है। इसमें उर्वशी नामक अप्सरा के प्रेम की कथा को दर्शाया गया है।

संग्राम:

इस कविता में भारतीय ऐतिहासिक महायुद्ध महाभारत के महाभीष्म और द्रोणाचार्य के प्रति कवि के भावुक भावों को व्यक्त किया गया है।

हूँ पर्बती आपदाधारिणी:

इस कविता में भगवान शिव की पत्नी पार्वती (पर्वती) के माध्यम से प्राकृतिक आपदाओं के विषय में चर्चा की गई है।

सीता:

इस कविता में रामायण की प्रमुख पात्र सीता माता के प्रति आदर और सम्मान के भाव व्यक्त किए गए हैं।

वीर गथा:

इस कविता में वीरता और शौर्य के भाव को प्रस्तुत किया गया है, जिसमें भारतीय वीरों की महानता का वर्णन है।
संपूर्ण रामायण:
दिनकर ने महाकाव्य के रूप में रामायण की रचना की, जो रामायण की कथा को एक नए रूप में प्रस्तुत करती है।

अन्य:

वीर सर्वराजनी
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है
हो गई शपथ पुरानी
जयभारत जय
राष्ट्रकवि की बधाई
सागर की लहरों से आगे
रात अकेली है

● रामधारी सिंह दिनकर की कविता कुरुक्षेत्र | Poem Kurukshetra by Ramdhari Singh Dinkar

'कुरुक्षेत्र' भारतीय महाभारत के महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है जहां युद्ध हुआ था जिसमें कौरवों और पाण्डवों के बीच महाभारत युद्ध हुआ था। यह जगह हरियाणा राज्य के उत्तरी हिस्से में स्थित है। कुरुक्षेत्र के बारे में यह कविता रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखी गई है।

कुरुक्षेत्र


सीपी और झंडा लहराया।
बजी धरातल पर विजयी विजयी घोष।
कण्ठों में खड़ी श्रद्धा, रण भरा रस्ता अब गया।
अब युद्ध का नया ध्वजा झुकाने लगा।
वीरों ने अब युद्ध का शिलान्यास कर दिया।
हे कुरुक्षेत्र! वीरों की आत्मा तुम्हारे में बस गई।
जयपुर की चारों ओर से सैन्य आई।
हे कुरुक्षेत्र! वीरों की आत्मा तुम्हारे में बस गई।

अनगिनत वीर गतिमय भारत की भूमि पर,
स्वर्गीय मांझी ने विश्वास जगाया।
हे रणचंड्रमा! हे बलवीर नारायण! बहुमुखी रणवीर, भीष्म, द्रोण, अश्वत्थामा जयपुर की ओर उतारे।
अनगिनत वीर गतिमय भारत की भूमि पर,
स्वर्गीय मांझी ने विश्वास जगाया।

युधिष्ठिर ने वीरों से यह वचन दिया-
यहां जीते जो धर्म के अधीन रहकर यह धरती जीवित रहेगी।
वही होगा विजयी।
त्रिभुवन देखा यह वीर ध्वजा उच्छाली।
जिनका देह था अमर, आत्मा वीर तेजोमय।
वे बलिदान के प्रतीक होते हैं।
कुरुक्षेत्र के धरती पर, अपनी लाशों को छोड़ कर,
वे वीर आत्माएँ प्रभु के पास जा उठी।
जिन्होंने देश की रक्षा, सत्य के मार्ग पर की अपनी भलाई की।

वीरों की चेतना वहां तिमिरों को दूर करती थी।
कण्ठों में खड़ी श्रद्धा, रण भरा रस्ता अब गया

● रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविता | famous poem of ramdhari singh dinkar

रामधारी सिंह दिनकर की 'हवा अभी तक है' (Hawa Abhi Tak Hai) एक प्रसिद्ध कविता है। यह कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लिखी गई थी और इसमें देशभक्ति और स्वतंत्रता के लिए लड़ने का जज्बा व्यक्त किया गया है। यह कविता रामधारी सिंह दिनकर के कई शिक्षाप्रद रचनाओं में से एक है जो भारतीय संस्कृति और स्वतंत्रता के महत्वपूर्ण सन्दर्भों को दर्शाती है।

हवा अभी तक है

हवा अभी तक है, साहस अभी तक है,
हिम्मत अभी तक है, तब तक नहीं हारेंगे।
खड़े हैं दरियाव, धार अभी तक हैं,
मानवता की शान है, तब तक नहीं हारेंगे।

स्वप्न अभी तक हैं, सपने अभी तक हैं,
भरोसे में जीने की, अब तक आस है।
अँधेरों का मास है, आशा का आकाश है,
मनज़िल अभी तक है, तब तक नहीं हारेंगे।

दिलों के फासले हैं, संघर्ष अभी तक है,
क्योंकि ज़िन्दगी वहाँ, जहाँ ख़्वाब अभी तक हैं।
नासमझी का प्रहार है, विश्वास का बलिदान है,
साहस अभी तक है, तब तक नहीं हारेंगे।

कोई पहाड़ हिला, कोई खाई ख़ई खड़ी,
युध्द अभी तक है, साहस अभी तक है।
आज़ादी का गौरव गीत लहरायेंगे हम,
स्वराज अभी तक है, तब तक नहीं हारेंगे।

यह कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लिखी गई है और इसमें राष्ट्रीय उत्थान के लिए एक प्रेरणा भाव है। रामधारी सिंह दिनकर के इस गीत में संघर्ष और साहस की महानता को व्यक्त किया गया है, जिससे यह एक अद्भुत रूप से प्रेरित करने वाली कविता है।


● रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएं | Works of Ramdhari Singh Dinkar

हवा अभी तक है:

यह उनकी प्रसिद्ध कविताओं में से एक है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लिखी गई थी और स्वतंत्रता के लिए लड़ने के जज्बे को व्यक्त करती है।

उर्वशी:

यह कविता उर्वशी के भावपूर्ण प्रेम को वर्णित करती है और प्रसिद्ध है उसकी रोमांचक कविताओं में से एक।

रणधीर:

इस कविता में युद्ध के दृश्य और युद्ध के वीर सैनिकों की वीरता को दर्शाया गया है।

संग्राम:

इस कविता में राष्ट्रीय एकता और संघर्ष को व्यक्त किया गया है।

बारहखड़ी:

इस कविता में भारतीय संस्कृति और भारतीय लोककला की महिमा का वर्णन किया गया है।

रेखाएँ:

यह कविता जीवन की रेखाओं को व्यक्त करती है और सामाजिक जीवन के मुद्दों पर विचार करती है।

बलिदान:

इस कविता में स्वतंत्रता संग्राम में बलिदानी सैनिकों की भूमिका को व्यक्त किया गया है।

सिंधु दरा:

यह कविता भारतीय संस्कृति, इतिहास, और साहित्य को विशेष रूप से बयान करती है।

● रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय | Biography of Ramdhari Singh Dinkar

जन्म-मरण:

रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar) भारतीय साहित्य के प्रसिद्ध कवि और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के बेगुसराय जिले के सिमरिया गाँव में हुआ था और मृत्यु 24 अप्रैल 1974 को हुई थी।

रामधारी सिंह दिनकर का बचपन गाँव में बीता, जहां उन्होंने स्वदेशी आंदोलन के समय संघर्ष का अनुभव किया। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा गाँव के मक्तूल और नौरंगाबाद में पूरी की। उनकी शिक्षा का आगे अधिकांश भाग मुंशी प्रथमानंद द्वारा हुआ।

शिक्षा:

दिनकर ने अपनी पढ़ाई में ही शायरी और काव्य रचना में रुचि दिखानी शुरू की। उनकी कविताएं निरंतर प्रकाशित होती रहीं और साहित्यिक जगत में वे प्रसिद्ध हो गए।

भावपक्ष-कलापक्ष:

रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों को व्यक्त करती थीं, और उन्होंने देशभक्ति, स्वाधीनता, और वीरता के विषय में अपने रचनाकारी कौशल के साथ गीतिका और गाथा की रचना की। उनकी कविताओं में वीर रस, श्रृंगार रस और शांत रस का सजीव वर्णन होता है।

साहित्य मे स्थान:

रामधारी सिंह दिनकर ने भारतीय साहित्य के क्षेत्र में अपनी अमूल्य योगदान दिया और उन्हें 'राष्ट्र कवि' के उपाधि से सम्मानित किया गया। उनकी कविताएं आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं और उन्हें याद किया जाता है। उनका साहित्यिक योगदान भारतीय साहित्य की धरोहर के रूप में आज भी महत्वपूर्ण है।

Read more


👉🏻 maithili sharan gupt ka jeevan parichay (Biography) | मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय


This post first appeared on Hindi Sahitya Gyan, please read the originial post: here

Share the post

रामधारी सिंह दिनकर | Ramdhari Singh Dinkar

×

Subscribe to Hindi Sahitya Gyan

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×