शायद उस नन्हे से टीले को वे कोई बड़ा पर्वत ही समझ रहीं थीं और बड़ी खुश हुईं. टीले के ऊपर भी एक मंदिर है, जिसमें सीता-राम का नयनाभिराम विग्रह है. मणि पर्वत के बारे में जनश्रुति है कि हिमालय से संजीवनी बूटी ले कर लंका जाते हुए हनुमान जी ने पर्वत-खंड को रख कर यहाँ विश्राम किया था. अन्य लोकोक्ति यह कहती है कि राम विवाह में राजा जनक जी ने इतने आभूषण इत्यादि दिए थे कि अयोध्या लाने पर उनका एक पर्वत बन गया, जिसे मणि पर्वत कहते हैं. मणि पर्वत से नीचे उतर कर मैंने महसूस किया कि माताजी के मन में पर्वत चढ़ने से थोड़ी थकान छाई हुई है. शायद जिसे मैं नन्हा-सा टीला समझ रहा था, वह उनके लिए किसी पर्वत से कम नहीं था.
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