आज मैं अपनी ब्लॉग यात्रा में हनुमान जी के दुनिया के एकमात्र ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहा हूँ जहाँ पर वो अपने उलटे रूप में विराजमान है।
भारतीय संस्कृति में मानव जीवन के लक्ष्य भौतिक सुख तथा आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति के लिए अनेक देवी देवताओं की पूजा का विधान है जिनमें पंचदेव प्रमुख हैं। पंच देवों का तेज पुंज श्री हनुमान जी हैं। माता अन्जनी के गर्भ से प्रकट हनुमान जी में पांच देवताओं का तेज समाहित हैं।
अजर, अमर, गुणनिधि,सुत होहु' यह वरदान माता जानकी जी ने हनुमान जी को अशोक वाटिका में दिया था। स्वयं भगवान् श्रीराम ने कहा था कि- 'सुन कपि तोहि समान उपकारी,नहि कोउ सुर, नर, मुनि,तुनधारी।' बल और बुद्धि के प्रतीक हनुमान जी राम और जानकी के अत्यधिक प्रिय हैं। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है,उनमें बजरंगबली भी हैं। पवनसुत हनुमानजी भगवान् शिव के ग्यारहवें रुद्रावतार हैं। हनुमानजी का अवतार भगवान् राम की सहायता के लिये हुआ। हनुमानजी के पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित हैं।
प्राचीन ग्रन्थों में वर्णित सात करोड़ मन्त्रों में श्री हनुमान जी की पूजा का विशेष उल्लेख है। श्री राम भक्त, रूद्र अवतार,सूर्य-शिष्य, वायु-पुत्र,केसरी-नन्दन, महाबल,श्री बालाजी के नाम से प्रसिद्ध तथा हनुमान जी पूरे भारतवर्ष में पूजे जाते हैं और जन-जन के आराध्य देव हैं। बिना भेदभाव के सभी हनुमान अर्चना के अधिकारी हैं। अतुलनीय बलशाली होने के फलस्वरूप इन्हें बालाजी की संज्ञा दी गई है। देश के प्रत्येक क्षेत्र में हनुमान जी की पूजा की अलग परम्परा है।
सभी भक्त अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा और उपासना करते है। परंतु इस युग में भगवान शिव के ग्यारवें अवतार हनुमान जी को सबसे ज़्यादा पूजा जाता है। इसी कारण हनुमान जी को कलयुग का जीवंत देवता भी कहा गया है।
श्री हनुमान जी |
भक्त की हर बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान हनुमान जी आसानी से कर देते है। संपूर्ण भारत देश में हनुमान जी के लाखों मंदिर स्थित है परंतु कुछ विशेषता के आधार पर हनुमान जी के प्रसिद्ध मंदिर भी है जहाँ भक्तों का सैलाब दिखाई देता है।
श्री राम भक्त हनुमान जी अजर-अमर हैं। समस्त संसार में उनके बहुत सारे छोटे-बड़े मंदिर स्थापित हैं। उन सभी में आपने उनकी खड़ी या बैठी हुई प्रतिमा के दर्शन किए होंगे लेकिन एक ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी की सिर के बल खड़ी सिंदूर लगी प्रतिमा है। जो उलटे हनुमान जी के नाम से विख्यात है। भक्त हनुमान के अन्य मंदिरों से ये मंदिर अलग है।
इंदौर स्टेशन |
इंदौर के सांवरे नामक स्थान पर उल्टे हनुमान जी का मंदिर है। मान्यता है कि ये मंदिर रामायण काल से है। यह मंदिर भक्तों का महत्वपूर्ण स्थान है। इस मंदिर में श्री हनुमान की उल्टे मुख वाली सिंदूर से सुसज्जित प्रतिमा है। यहां आकर भक्ति में लीन श्रद्धालु अपनी चिंताअों को भूल जाते हैं।
मंदिर द्वार |
माना जाता है की रामायण काल के समय जब श्री राम अौर रावण के बीच युद्ध हो रहा था उस समय अहिरावण बड़ी होशियारी से अपना रुप बदलकर श्री राम की सेना में सम्मिलित हो गया। रात के समय जब सभी सो रहे थे उस समय उसने अपनी जादुई शक्ति से श्री राम व लक्ष्मण को मूर्छित कर उनका अपहरण करके पाताल लोक ले जाने में सफल हो गया। जब वानर सेना को इस बात का पता चला तो उनमें हलचल मच गई। एक कबूतर अौर कबूतरी की वार्तालाप से हनुमान जी को ज्ञात होता है कि श्री राम अौर लक्ष्मण को अहिरावण पाताल लोक ले गया है।
तब हनुमान जी पाताल लोक जाकर भगवान राम और लक्ष्मण सहित अहिरावण से युद्ध करके उसका नाश कर देते हैं अौर उन्हें सुरक्षित बाहर ले आते हैं। मान्यता है कि यही वह स्थान है जहां से भक्त हनुमान पाताल लोक की अोर गए थे। पाताल लोक की अौर जाते समय हनुमान जी के पांव आकाश की तरफ अौर सिर पाताल की अोर था। इसी कारण उनके उल्टे रूप का मंदिर इंदौर के सांवरे में स्थित है अौर उनके इसी रुप की पूजा होती है।
उलटे हनुमान जी |
इस हनुमान मंदिर की मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति लगातार तीन या पांच मंगलवार हनुमान जी के दर्शनों के लिए आए तो उनके सारे दुख दूर हो जाते हैं अौर सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। यहां भक्त हनुमान जी को चोला चढ़ाते हैं।
उलटे हनुमान जी |
इस मंदिर में बहुत से लोग हनुमान जी के दर्शन करने आते हैं। यहां हनुमान जी के साथ श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और शिव-पार्वती की प्रतिमाएं भी हैं। लोगों का मानना है कि ये एक दिव्य मंदिर है यहां हनुमान जी के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यहां पीपल, नीम, पारिजात, तुलसी, बरगद के वृक्ष हैं। यहां वर्षों पुराने दो पारिजात के वृक्ष हैं। पुराणों के अनुसार पारिजात वृक्ष में हनुमानजी का भी वास होता है। श्रद्धालुओं की आस्था उन्हें यहां खींच लाती है।
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