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पश्चिमोत्तान आसन करने की विधि, लाभ और सावधानियां

पश्चिमोत्तानासन:

पश्चिमोत्तान आसन सभी आसानों में आवश्यक आसन में से एक है। पश्चिम, और उत्तान शब्दों के मेल से बना, पश्चिमोत्तानासन; पश्चिम यानी पश्चिम दिशा या शरीर का पिछला हिस्सा, और उत्तान मतलब खिचा हुआ।

पश्चिमोत्तानासन को करते समय इसका प्रभाव शरीर के पिछले भाग पर प़डता है। इस आसन से मेरूदंड लचीला बनता है। जिगर, गुर्दे, अंडाशय, और गर्भाशय की कार्यक्षमता में सुधार लाता है।

Image By: eyogaguru.com

पश्चिमोताशन करने से पाचन अंगों की कार्यक्षमता में सुधार होता है। रजोनिवृत्ति और मासिक धर्म की असुविधा के लक्षणों से राहत देने में भी मदद करता है।

पश्चिमोत्तासन करने की विधि:

इस आसन को हमें किस प्रकार से करना चाहिए आइये जानते हैं…

  1. सबसे पहले जमीन पर चटाई या दरी बिछाकर इस आसन का अभ्यास करें।
  2. चटाई या दरी पर पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों पैरों को फैला कर रखें।
  3. अब अपने शरीर को सीधा तान कर अपने दोनों पैरों को आपस में मिला लें ।
  4. अपने दोनों हाथों को अपने सिर की ओर ऊपर जमीन पर अच्छे से टिका दें।
  5. अब अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाते हुए एक ही झटके के साथ अपन कमर को भी ऊपर की और उठा लें।
  6. इसके बाद धीरे-धीरे करके अपने दोनों हाथों से अपने पैरों के अंगूठों को पकड़ने की कोशिश करें। इस प्रकार करते हुए अपने हाथों और पैरों को बिल्कुल सीधा रखें।
  7. जब आप को इस आसन को लेट कर नहीं कर सकते या ऐसा करने में आप को परेशानी होती है तब आप इसे बैठकर भी कर सकते हो, इसको करते समय अपनी नाक को छूने की कोशिश करें।
  8. इस आसन की एक क्रिया पूरी होने के बाद कुछ सेंकड के लिए आराम करें और इसे सिर्फ तीन बार हो दोहराएं।
  9. जब आप इस आसन को कर रहे होते हैं, तब आपको समान्य साँस लेनी और छोडनी होती है।

पश्चिमोत्तासन योग के लाभ:

  • इस आसन के द्वारा हमारे शरीर की वायु सही ढंग से काम करती है।
  • इसको करने से हमारा क्रोध शांत हो जाता है।
  • इस आसन को करने से हमारे शरीर में खून का बहाव सही तरीके से होना शुरु हो जाता जिससे हमारे शरीर की खून संबंधी सारी कमज़ोरी दूर हो जाती है।
  • इस आसन के द्वारा हमारी लंबाई भी बढ़ती है।
  • इस आसन को करने से हमारे पेट की चर्बी भी कम होती है।
  • इस आसन को करने से कब्ज रोग दूर होता है।
  • नियमित रूप से करने से सिर दर्द, अनिंद्रा, पीठ दर्द में आराम भी मिलता है।

पश्चिमोत्तासन की सावधानियां – कब ना करें:

जब भी आप की कमर में दर्द हो रहा हो या रीढ़ की हड्डी में तकलीफ हो, तब आपको इस आसन से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

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