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प्रभु श्री राम और देवी दुर्गा के विजय का पर्व हैं दशहरा

अश्विन मास में शुक्ल अक्ष की दशमी तिथि को दशहरा ( Dussehra) का पर्व मनाया जाता हैं. इस पर्व को मनाने के पीछे महतपूर्ण कारण श्री राम की लंका पर विजय थी, रावण को मारकर श्री राम ने धरती को राक्षसों से मुक्त किया ,देवी दुर्गा ने नौ दिन और नौ रात्रि युद्ध करके इस दिन महिषासुर का वध किया था, इसलिए इस पर्व को असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता हैं.इसलिए इस पर्व को विजयादशमी भी कहते हैं. ऐसी मान्यता हैं कि इस दिन जो भी कार्य आरम्भ किया जाये उसमे सफलता अवश्य मिलती हैं.

Dussehra Time And Date

इस वर्ष दशहरा का पर्व 19 अक्टूबर (2018 ) को मनाया जायेगा .दशहरा मनाने का मुहूर्त इस प्रकार हैं

19 अक्तूबर

विजय मुहूर्त13:58 से 14:43

अपराह्न पूजा समय13:13 से 15:28

दशमी तिथि शुरू15:28 (18 October )

दशमी तिथि समाप्त17:57 (19 October)

Why is Dussehra Celebrated

दशहरा ( Dussehra festival) मनाने के पीछे जो ऐतिहासिक गाथा जुडी हुयी हैं, वह ये हैं कि श्री राम ने सीता को रावण कि कैद से छुड़ाने के लिए लंका पर आक्रमण करके रावण का वध किया था, दशहरा का अर्थ हैं कि दस बुराइयों को हराना या उनसे छुटकारा पाना . दशहरा का अर्थ हैं बुराई पर अच्छाई की विजय , असत्य पर सत्य की विजय .दशहरा पर्व पूरे हिन्दुस्तान में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं,

इस दिन जगह जगह बुराई के प्रतीक के रूप में रावण , मेघनाद , और कुम्भकरण के पुतले जलाये जाते हैं. और रामलीला का आयोजन किया जाता हैं.शारदीय नवरात्रि भी इन्ही दिनों होती हैं, देवी दुर्गा की जगह जगह पर स्थापना की जाती हैं , और मंडप सजाया जाया हैं, और दसवे दिन उनकी मूर्तियों का विसर्जन किया जाता हैं. पश्चिमी बंगाल में माँ दुर्गा अष्टमी पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता हैं.

Dussehra & Vijayadashami Origin | Significance of Dussehra

दशहरा ऐतिहासिक (history of dussehra)  और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार हैं, भारत में ही नहीं इसकी महत्ता भारत के बाहर के देशो में भी हैं, नेपाल और बांग्लादेश में भी दशहरा धूमधाम से मनाया जाता हैं. भारत में कुल्लू का दशहरा , और मैसूर का दशहरा प्रसिद्द हैं, कुल्लू के दशहरा में एक बात बहुत विशेष हैं, वह यह हैं कि वहाँ रावण का पुतला जलाया नहीं जाता .मैसूर के दशहरे की बात विशेष हैं वहाँ चामुंडेश्वरी मंदिर में पूजा अर्चना के साथ दशहरा उत्सव मनाया जाता हैं.

दशहरा पर्व सच्चाई का प्रतीक हैं,बुराई पर अच्छाई की विजय , का , भारत के विभिन्न प्रांतो में दशहरा अलग अलग रूप में मनाया जाता हैं.पश्चिमी बंगाल, ओडिसा , और आसाम में दशहरा का पर्व दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता हैं.आसाम और ओडिसा में यह पर्व 4 दिन तक मनाया जाता हैं .

वही पश्चिमी बंगाल में माँ दुर्गा ( maa durga) का पर्व 5 दिन तक मनाया जाता हैं.पश्चिमी बंगाल में दशहरा का पर्व (festival of dussehra) दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता हैं. माँ दुर्गा की भव्य मूर्ति बनवाकर उन्हें पंडालों में स्थापित किया जाता हैं, और दसवे दिन माँ की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता हैं.. गुजरात में शारदीय नवरात्रि के दौरान गरबा की धूम होती हैं , गरबा वहाँ की शान हैं , पूजा के पश्च्यात वहाँ डांडिया नृत्य की धूम होती हैं. इस पर्व पर वहा पर सोने के आभूषणों की खरीद को शुभ माना जाता हैं.

Importance of Dussehra

दशहरे का पर्व ( Dussehra) शक्ति का पर्व हैं, यह पर्व शक्ति का विजय पर्व हैं. देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय , श्री राम की रावण पर विजय , का उत्सव हैं. देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय के रूप में इसे विजयादशमी के रूप में मनाया जाता हैं.इसी दिन छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिन्दुओ के रक्षार्थ हेतु युद्ध शुरू किया .विजयादशमी का पर्व शुभ कार्यो को करने के लिए शुभ मुहूर्त होता हैं.दशहरा का पर्व हमें बताता हैं की बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो वह अच्छाई के आगे टिक नहीं सकती , बुराई का अंत निश्चित हैं, अच्छाई के सामने बुराई जिन्दा नहीं रह सकती हैं.

दशहरा का पर्व विजय (vijaydashmi)   का पर्व हैं , यह अच्छाई का बुराई पर , असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक हैं. देवी की विजय के रूप में यह विजयदशमी हैं. यह पर्व सन्देश हैं की बुराई कि दिन नहीं तना भी मजबूत क्यों न हो वह अच्छाई के सामने उसका अस्तित्व ज्यादा दिन नहीं रहेगा . श्री राम की लंका पर विजय और रावण का वध हमें सन्देश देता हैं, की बुराई कितनी भी सबल क्यों न हो , अच्छाई के सामने वह नहीं रह सकती , श्री राम की रावण पर विजय , देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय इसके प्रमाण हैं. सत्य से बढ़कर शक्ति किसी की भी नहीं , सत्य की शक्ति धूमिल हो सकती हैं , पर वह नष्ट नहीं हो सकती , बुराई का अस्तित्व क्षणिक भर का हैं. सत्य का अस्तित्व हर युग हर काल में रहेगा.

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