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सीरवी समाज की कुलदेवी | Seervi Samaj ki Kuldevi

Seervi Samaj ka Itihas : सीरवी अपने को राजपूत बतलाते हैं। जब कान्हड़देव चौहान अलाउद्दीन से हार गया तब वहां के कुछ राजपूत कुओं में पानी (सीर) बताने का काम करने लगे। इससे इन्हें सीरवी कहा जाने लगा। सीर का एक अर्थ खेती भी होता है इसलिए अच्छी कृषि करने के कारण इन्हें सीरवी कहा जाता है। सीरवी जाति का मुख्य धंधा काश्तकारी है।   

इनमें दो वर्ग हैं – १. जणवा और २. खारड़िया। इनमें जणवा अपनी उत्पत्ति गौतम ऋषि के शिष्य विजयराज से बताते हैं। विजयराज ने पाली के पुरोहित सोमनाथ की पुत्री यशोदा से विवाह किया था। इनके जणोजी का जन्म हुआ। जणोजी के बारह पुत्रों ने पाली के पल्लीवाल ब्राह्मणों की पुत्रियों से विवाह किया। इनके वंशज जणवा सीरवी कहलाये। 

खारड़िया अपनी उत्पत्ति जालोर के चौहानों से बताते हैं। लूणी नदी के पास राताबाड में रहने के कारण ये खारड़िया कहलाने लगे। 

सीरवी गाय को पवित्र मानते हैं। इनमें मांस और मदिरा का प्रचलन है। खारड़िया और जणवों में विवाह सम्बन्ध होता है। खारड़िया मृतक के शव को दफनाते हैं जबकि जणवा जलाते हैं। इसमें औरतों को जलाने या दफनाने में उनके पीहर का रिवाज चलता है।

आराध्या आईमाता  / Aai Mata

Aai Mata (Kuldevi Seervi Samaj)

ये आईपंथी हैं तथा इनकी आराध्या आईमाता / Aai Mata है जिनका विशाल मंदिर राजस्थान में जोधपुर जिले के बिलाड़ा नगर में स्थित है। आईजी डाबी राजपूत बीका की पुत्री थी। यह एक फ़कीर की शिष्या थी तथा बिलाड़ा में रहती थी। इनका स्वर्गवास वि.सं. 1561 की चैत्र शुक्ला द्वितीया को बिलाड़ा में हुआ। वहीं पर इनका मन्दिर बना हुआ है। इनके महन्त दीवान कहलाते हैं। दीवान पुश्तैनी होते हैं और ये काफी धनवान हैं। सभी सीरवियों से इन्हें भेंट मिलती है।

मंदिर को कहते हैं ‘दरगाह’

इस मन्दिर को दरगाह कहते हैं, यहाँ घी का दीपक रत दिन जलता रहता है और इस दीपक का काजल काला ना होकर केशर रंग का बनता है। इस मंदिर के लिए प्रत्येक सीरवी परिवार प्रतिदिन एक चुटकी आता निकालता है। इसे पीर का आटा कहते हैं। आई संप्रदाय के लोग प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को अपने घर का भोजन लेकर मंदिर में जाते हैं और वहां सबका भोजन एक पात्र में इकठ्ठा कर उत्सव मनाते हैं और फिर सम्मिलित रूप से वह भोजन करते हैं। इस मंदिर की अधिक जानकारी व चित्रों के लिए क्लिक करें>>

सीरवी जाति की राजपूतों की भांति ही 24 खाँपें हैं जैसे – राठौड़, सोलंकी, गहलोत, पंवार, देवड़ा, बरफा, चौहान, पड़िहार, सेणाचा, चोयल आदि। 

कृपया ध्यान दें :- 

यदि आप सीरवी समाज से हैं और अन्य देवी को भी कुलदेवी के रूप में पूजते हैं तो कृपया कमेंट बॉक्स में अपनी खांप अथवा गोत्र तथा देवी का नाम व परिचय अवश्य लिखें। और इस पोस्ट को अधिक से अधिक Share कर इस मिशन में अपना सहयोग देवें  ताकि इस समाज की कुलदेवियों की अधिक से अधिक जानकारी एकत्रित हो सके जो समाज के काम आ सके।  धन्यवाद् 

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