Kalbi / Kulbi / Patel / Anjana Samaj : कलबी या पटेल समाज के लोग राजस्थान, गुजरात एवं मध्यप्रदेश में बहुतायत से निवास करते हैं। इन्हें कलबी/Kalbi / Kulbi, कणवी/Kanvi, कुलूम्बी/Kulumbi आंजणा / Anjana आदि नामों से भी पुकारा जाता है। इन्हें गुजरात में पाटीदार / Patidar तथा मारवाड़ में पटेल / Patel कहा जाता है।
कुलबी / पटेल / पाटीदार जाति की उत्पत्ति
कुलबी समाज की उत्पत्ति के बारे में कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के समय कुछ क्षत्रिय युद्धस्थल से भागकर भीनमाल में आ गए। और यहीं निवास करने लगे। भीनमाल ब्राह्मणों का क्षेत्र था। जब भारत में मुस्लिमों का राज हुआ और हिन्दुओं को जबरन मुस्लमान बनाया जा रहा था तब कई ब्राह्मण अपनी रक्षा के लिए विश्वस्त क्षत्रियों के साथ गुजरात की राजधानी पाटन में सोलंकियों की शरण में पहुंचे। वहां वे काश्तकारी का कार्य करने लगे। अधिक घुलमिल जाने से ब्राह्मण और राजपूत एक ही आचार-विचार और पेशा होने के कारण वे सम्बन्ध आदि कर उन्होंने अपना एक समूह बना लिया जिसका नाम पटेल रखा। चूँकि यह दो कुलों के मिलने से एक समुदाय बना इसलिए इन्हें कुलबी कहा जाने लगा।इस समाज के लोग गुजरात से राजस्थान में आये तथा पचपदरा को अपना प्रथम निवास बनाया। बाद में अन्य क्षेत्रों में फैल गये। कुलबी समाज दो भागों में विभाजित है। १. लेवा और २. कड़वा। इनमें आपस में विवाह सम्बन्ध होते हैं। इनके गोत्र परमार, चौहान, सोलंकी एवं गोहिल हैं, जिन्हें ये नख कहते हैं। अब प्रत्येक नख की कई खाँपें हो गई। जैसे -परमार नख की – सीलाण, बोयां, तुरक, कुकान, मालवी, टाटिया, पाण, आकोदिया, काग, हरणी चौहान नख की – धूती, कुरड़, औड़, भाँड, बग आदि हैं। सोलंकी तथा गोहिलों की एक-एक ही खाँप है।
कलबी समाज के गोत्र –
1. अजगल
2. अटार
3. अलवोणा
4. अगीयोरी
5. अंट
6. अनाड़ी
7. अपलोण
8. अभग
9. अटोस
10. आईडी
11. आवड़ा
12. आकोदिया
13. आमट
14. आंटिया
15. सोसीतिया
16. ओहरा
17. ओड़
18. ओठवाणा
19. उदरा
20. उजल
21. उवड़ा
22. ऊबड़ा
23. करवट
24. करड़
25. करण
26. कडुआ
27. कणोर
28. कमालिया
29. कहावा
30. काल
31. कच्छवाह
32. काला
33. काग
34. काटाकतरिया
35. किशोर
36. कुरंद
37. कुणिया
38. कुकान
39. कुंकल
40. कुवा
41. कुहांत
42. कुओल
43. कुपंलिया
44. कुंकणा
45. कैड
46. कोया
47. कोयला
48. कोंदला
49. कोंदली
50. कोरोट
51. कोहरा
52. खरसोण
53. खागड़ा
54. खांट
55. खींची
56. खुरसोद
57. गया
58. गारिया
59. गालिया
60. गघाऊ
61. गागोड़ा
62. गामी
63. गुडल
64. गुर्जर
65. गोगडू
66. गोली
67. गोया
68. गौर
69. गोहित
70. गोटी
71. गोदा
72. गोयल
73. घेंसिया
74. चावड़ा
75. चोल
76. चौथ्या
77. जड़मल
78. जड़मत
79. जगपाल
80. जाट
81. जागी
82. जींबला
83. जुवा
84. जूना
85. जुकोल
86. जुडाल
87. जेगोड़ा
88. जोपलिया
89. गड़
90. टोंटिया
91. ढढार
92. डाबर
93. डेल
94. डकोतिया
95. डांगी
96. डोडिया
97. डोजी
98. ठांह
99. गेवलिया
100. तरक
101. तवाडिया
102. तितरिया
103. वुगड़ा
104. तुरंग
105. तेजुर्वा
106. दीपा
107. घंघात
108. घुणिया
109. घुड़िया
110. घोलिया
111. घोबर
112. गण
113. नावी
114. नायी
115. नाड़ीकाल
116. नूगोल
117. नावर
118. परमार
119. परिहार
120. पवया
121. पानचातारोड़
122. पाविया
123. पावा
124. पाकरिया
125. पिलातर
126. पिलासा
127. पुलिया
128. पौण
129. कहावा
130. फक
131. फुकावट
132. फुंदारा
133. फोकरिया
134. बुग
135. बग
136. बड़वाल
137. बला
138. बरगडया
139. बुगला
140. बुबकिया
141. बूबी
142. बेरा
143. बोका
144. बोया
145. भुजवाड़
146. भगत
147. भेतरेट
148. भदरूप
149. भटार
150. भतोल
151. भाटिया
152. भार्गव
153. भीत
154. भूंसिया
155. भूतड़ा
156. भुदरा
157. भूरिया
158. भूचेर
159. भूंगर
160. भोमिया
161. भैंसा
162. भोड़
163. भोंग
164. मरूवालय
165. मसकरा
166. महीआ
167. मईवाड़ा
168. मनर
169. मालवी
170. मावल
171. मुजल
172. मुड़क
173. मुजी
174. मेहर
175. मोर
176. यादव
177. राठौड़
178. रातड़ा
179. रावण
180. रावता
181. रावक
182. रावाडिया
183. राकवा
184. रामातर
185. रूपावट
186. रोंटिया
187. लखात
188. लाफा
189. लाखड़या
190. लाड़्वर
191. लूदरा
192. लोया
193. लोल
194. लोगरोड़
195. वक
196. वला
197. बहिया
198. वणसोला
199. वलगाड़ा
200. बागमार
201. वीसी
202. वेलाकट
203. शिहोरी
204. सरावग
205. समोवाज्या
206. सासिया
207. साकरिया
208. सांडिया
209. सायर
210. सांसावर
211. सेघल
212. सिलोणा
213. सीह
214. सीतपुरिया
215. सुरात
216. सुशला
217. सुंडल
218. सुजाल
219. सेड़ा
220. सोपीवल
221. सोलंकी
222. सौमानीया
223. संकट
224. हरणी
225. हड़ुआ
226. हडमंता
227. हाडिया
228. हिरोणी
229. हुण
230. होवट
231. होला
232. गाडरिया
233. सुराला
कलबी / Kalbi / Kulbi समाज में प्रचलित मत कुलबियों को चौधरी भी कहा जाता है। इनमें दो मत प्रचलित हैं – वैष्णव तथा शाक्त। वैष्णव उपासक मांस, शराब आदि से परहेज रखते हैं। ये मुर्दों का तीया और क्रियाकर्म नहीं करते हैं तथा केवल बारहवें दिन ठाकुरजी को अपने घर लाकर पूजा करते हैं। शाक्त मत को मानने वाले दूसरों की भांति तीया और क्रियाकर्म आदि सब करते हैं।
कलबी समाज की कुलदेवियां
मुख्य रूप से यह समाज आबू की अर्बुदा देवी को अपनी आराध्या मानता है। अर्बुदा देवी के मंदिर के विस्तृत परिचय के लिए क्लिक करें >> परन्तु भिन्न भिन्न नख खाँप आदि होने से निवास आदि के आधार पर भिन्न कुलदेवियों की भी मान्यता है इसलिए यदि आप कुलबी / पटेल / पाटीदार समाज से हैं तो कृपया कमेंट बॉक्स में अपनी खांप अथवा गोत्र तथा देवी का नाम व परिचय अवश्य लिखें। साथ ही इस पोस्ट को अधिक से अधिक Share कर इस मिशन में अपना सहयोग देवें ताकि इस समाज की कुलदेवियों की अधिक से अधिक जानकारी एकत्रित हो सके जो समाज के काम आ सके। धन्यवाद्
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