Gotra wise Kuldevi List of Rajput Samaj: राजपूत शब्द संस्कृत शब्द ‘राजपुत्र’ का अपभ्रंश है। प्राचीन समय में भारत में वर्णव्यवस्था थी जिसे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र इन चार वर्णों में बांटा गया था। जब राजपूतकाल आया तब यह वर्णव्यवस्था समाप्त हो गई तथा इन वर्णों के स्थान पर कई जातियाँ व उपजातियाँ बन गई। गौरीशंकर हीराचंद ओझा आदि विद्वानों के अनुसार राजपूत प्राचीन क्षत्रियों की ही संतान हैं। राजपूत युग की वीरता व पराक्रम का भारतीय इतिहास मे अद्वितीय स्थान है। क्षत्रियों का कार्य समाज की रक्षा करना था। कालान्तर में ये ही क्षत्रिय राजपुत्र कहलाये। राजपूताने में पुत्र को पूत कहा जाता है। अतः ये राजपूत नाम से प्रसिद्ध हुए। राजपूत भारतीय उपमहाद्वीप की बहुत प्रभावशाली जाति है। यह जाति सदैव ही शासन के समीप रही है।
राजपूत समाज को मुख्यतः तीन वंशों में विभाजित किया गया है। इन वंशों को पृथक-पृथक कुल – शाखाओं में विभाजित किया गया। इन सभी कुल – शाखाओं ने नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखने के लिए कुलदेवियों को स्वीकार किया। ये कुलदेवियां कुल के अनुसार निम्नलिखित हैं-
Kuldevi List of Rajput Samaj / Gotra of Rajput Samaj राजपूत समाज की कुलदेवियां
वंश | कुलदेवी |
1.राठौड़ | नागणेचिया |
2. गहलोत | बाणेश्वरी माता |
3. कछवाहा | जमवाय माता |
4. दहिया | कैवाय माता |
5. गोहिल | बाणेश्वरी माता |
6. चौहान | आशापूर्णा माता |
7. बुन्देला | अन्नपूर्णा माता |
8. भारदाज | शारदा माता |
9. चंदेल | मेंनिया माता |
10. नेवतनी | अम्बिका भवानी |
11. शेखावत | जमवाय माता |
12. चुड़ासमा | अम्बा भवानी माता |
13. बड़गूजर | कालिका(महालक्ष्मी) |
14. निकुम्भ | कालिका माता |
15. भाटी | स्वांगिया माता |
16. उदमतिया | कालिका माता |
17. उज्जेनिया | कालिका माता |
18. दोगाई | कालिका(सोखा)माता |
19. धाकर | कालिका माता |
20. गर्गवंश | कालिका माता |
21. परमार | सच्चियाय माता |
22. पड़िहार | चामुण्डा माता |
23. सोलंकी | खीवज माता |
24. इन्दा | चामुण्डा माता |
25. जेठंवा | चामुण्डा माता |
26. चावड़ा | चामुण्डा माता |
27. गोतम | चामुण्डा माता |
28. यदुवंशी | योगेश्वरी माता |
29. कौशिक | योगेश्वरी माता |
30. परिहार | योगेश्वरी माता |
31. बिलादरिया | योगेश्वरी माता |
32. तंवर | चिलाय माता |
33. हैध्य | विन्ध्यवासिनि माता |
34. कलचूरी | विन्ध्यवासिनि माता |
35. सेंगर | विन्ध्यवासिनि माता |
36. भॉसले | जगदम्बा माता |
37. दाहिमा | दधिमति माता |
38. रावत | चण्डी माता |
39. लोह थम्ब | चण्डी माता |
40. काकतिय | चण्डी माता |
41. लोहतमी | चण्डी माता |
42. कणड़वार | चण्डी माता |
43. केलवाडा | नंदी माता |
44. हुल | बाण माता |
45. बनाफर | शारदा माता |
46. झाला | शक्ति माता |
47. सोमवंश | महालक्ष्मी माता |
48. जाडेजा | आशापुरा माता |
49. वाघेला | अम्बाजी माता |
50. सिंघेल | पंखनी माता |
51. निशान | भगवती दुर्गा माता |
52. बैस | कालका माता |
53. गोंड़ | महाकाली माता |
54. देवल | सुंधा माता |
55. खंगार | गजानन माता |
56. चंद्रवंशी | गायत्री माता |
57. पुरु | महालक्ष्मी माता |
58. जादोन | कैला देवी (करोली ) |
59. छोकर | चन्डी केलावती माता |
60. नाग | विजवासिन माता |
61. लोहतमी | चण्डी माता |
62. चंदोसिया | दुर्गा माता |
63. सरनिहा | दुर्गा माता |
64. सीकरवाल | दुर्गा माता |
65. किनवार | दुर्गा माता |
66. दीक्षित | दुर्गा माता |
67. काकन | दुर्गा माता |
68. तिलोर | दुर्गा माता |
69. विसेन | दुर्गा माता |
70. निमीवंश | दुर्गा माता |
71. निमुडी | प्रभावती माता |
72. नकुम | वेरीनाग बाई |
73. वाला | गात्रद माता |
74. स्वाति | कालिका माता |
75. राउलजी | क्षेमकल्याणी माता |
यह भी देखें – राजस्थान के प्रमुख राजवंशों की कुलदेवियां >>
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यह भी अवश्य देखें – क्षत्रियों के वंश व उनकी शाखाएं >>
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