बदल रहा दौर
बलात्कार पर
बहस जारी है।
चिंतित हैं लोग
अबला बनी शिकार
मंथन जारी है।
अखबार में, दूरदर्शन पर
संस्कार और सरोकार
चिंतन जारी है।
मंथन, चिंतन,बहसें
लेकिन बरकरार
नारी की दुश्वारी है।
नैतिकता की पहरेदारी
हर व्यक्ति सदाचारी
तो,
कहां रहता है?
कहां छिपा है?
कौन? ...कौन?... कौन?
बलात्कारी है।