लखनऊ , 29 जनवरी / उत्तर प्रदेश मेँ काँग्रेस के असँतुष्ट धडे को एक कामयाबी तो मिली जब उसके दबाव मेँ पश्चिम उत्तर प्रदेश मेँ मँडल स्तर पर बुलाई गयी एक सामान्य बैठक को नगर निकाय चुनाव की समीक्षा बैठक मेँ बदल दिया गया । यह बैठक कल गाजियाबाद मेँ प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर की मौजूदगी मेँ सम्पन्न हुई ।
प्रदेश काँग्रेस अध्यक्ष के कार्यकलापोँ से असन्तुष्ट एक बडा खेमा नगर निकाय चुनावोँ मेँ काँग्रेस के बेहद खराब प्रदर्शन को लेकर समीक्षा बैठक बुलाए जाने की माँग कर रहा था ।
कल की कथित समीक्षा बैठक से असन्तुष्टोँ के लिए एक राहल भरी खबर यह भी आई कि इस बैठक मेँ ठेकेदारोँ और दलालोँ की जिस चौकडी से प्रदेश अध्यक्ष घिरे हुए हैँ उस चौकडी का कोई सदस्य मँच पर प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर के अगल बगल मँच पर बैठा नहीँ दिखाई दिया । असँतुष्टोँ का कहना है कि जिला व शहर अध्यक्षोँ की बैठक मेँ इसी चौकडी को अपने अगल बगल बैठाने के बाद से ही राजबब्बर की कार्यशैली पर उँगलियाँ उठना शुरू हुई थीँ और उस बैठक की मँच की तस्वीरेँ सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थीँ । लेकिन साथ ही असँतुष्टोँ का यह भी कहना है कि एक बैठक मेँ उस चौकडी को मँच से दूर रखने का मतलब यह नहीँ है कि प्रदेश अध्यक्ष ने उस चौकडी से किनाराकशी की है , हकीकत यह है कि वह चौकडी अभी भी महत्वपूर्ण पदोँ पर कब्जा जमाए बैठी है और प्रदेश अध्यक्ष अपने सामान्य कामकाज के लिए भी उनके ऊपर आश्रित दिखाई देते हैँ ।
असँतुष्टोँ का यह भी कहना है कि समीक्षा बैठक मेँ सिर्फ चुनाव लडने वालोँ को ही नहीँ हर सीट पर टिकट के उन मजबूत दावेदारोँ को भी बुलाया जाना चाहिए जिनकी मजबूत दावेदारी के बावजूद उन्हेँ टिकट ना देकर टिकट किसी दूसरे दावेदार को दे दिया गया है । उनके अनुसार समीक्षा मेँ इस बात को भी शामिल किया जाना चाहिए कि लगभग सत्रह सीटोँ पर दो लोगोँ को सिम्बल क्योँ और कैसे दे दिए गए ।
बहरहाल उत्तर प्रदेश काँग्रेस मेँ ऊपर से भले सब कुछ ठीकठाक दिखाई दे रहा हो लेकिन भीतर ही भीतर चिँगारी सुलग रही है जो कभी भी लपटोँ मेँ बदल सकती है ।-----भूपेन्दर पाल सिंह
प्रदेश काँग्रेस अध्यक्ष के कार्यकलापोँ से असन्तुष्ट एक बडा खेमा नगर निकाय चुनावोँ मेँ काँग्रेस के बेहद खराब प्रदर्शन को लेकर समीक्षा बैठक बुलाए जाने की माँग कर रहा था ।
कल की कथित समीक्षा बैठक से असन्तुष्टोँ के लिए एक राहल भरी खबर यह भी आई कि इस बैठक मेँ ठेकेदारोँ और दलालोँ की जिस चौकडी से प्रदेश अध्यक्ष घिरे हुए हैँ उस चौकडी का कोई सदस्य मँच पर प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर के अगल बगल मँच पर बैठा नहीँ दिखाई दिया । असँतुष्टोँ का कहना है कि जिला व शहर अध्यक्षोँ की बैठक मेँ इसी चौकडी को अपने अगल बगल बैठाने के बाद से ही राजबब्बर की कार्यशैली पर उँगलियाँ उठना शुरू हुई थीँ और उस बैठक की मँच की तस्वीरेँ सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थीँ । लेकिन साथ ही असँतुष्टोँ का यह भी कहना है कि एक बैठक मेँ उस चौकडी को मँच से दूर रखने का मतलब यह नहीँ है कि प्रदेश अध्यक्ष ने उस चौकडी से किनाराकशी की है , हकीकत यह है कि वह चौकडी अभी भी महत्वपूर्ण पदोँ पर कब्जा जमाए बैठी है और प्रदेश अध्यक्ष अपने सामान्य कामकाज के लिए भी उनके ऊपर आश्रित दिखाई देते हैँ ।
असँतुष्टोँ का यह भी कहना है कि समीक्षा बैठक मेँ सिर्फ चुनाव लडने वालोँ को ही नहीँ हर सीट पर टिकट के उन मजबूत दावेदारोँ को भी बुलाया जाना चाहिए जिनकी मजबूत दावेदारी के बावजूद उन्हेँ टिकट ना देकर टिकट किसी दूसरे दावेदार को दे दिया गया है । उनके अनुसार समीक्षा मेँ इस बात को भी शामिल किया जाना चाहिए कि लगभग सत्रह सीटोँ पर दो लोगोँ को सिम्बल क्योँ और कैसे दे दिए गए ।
बहरहाल उत्तर प्रदेश काँग्रेस मेँ ऊपर से भले सब कुछ ठीकठाक दिखाई दे रहा हो लेकिन भीतर ही भीतर चिँगारी सुलग रही है जो कभी भी लपटोँ मेँ बदल सकती है ।-----भूपेन्दर पाल सिंह