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ऐसे करवाये अपने बच्चो को किताबो से दोस्ती

किताबों से अच्छा दोस्त कोई और नहीं। पर छोटी उम्र से ही यह दोस्ती करवाना आसान काम नहीं है। कैसे किताबों से बच्चों को दोस्ती करवाएं आइए जानते हैं

ऐसे करवाये अपने बच्चो को किताबो से दोस्ती
आपका बच्चा चाहे कितना भी बड़ा हो आप कभी उसमें पढ़ने की आदत डाल सकते है। ऐसा करके आप उसे एक नई दुनिया को खोजने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है। हर मां की ख्वाहिश होती है कि उसका बच्चा किताबों में खोया रहे। किताबों से दोस्ती ना केवल उसे पढ़ाई में अव्वल बनाती है, बल्कि उसकी रचनात्मक क्षमता को भी बढ़ाती है। स्मार्टफोंस टैब और टेक्नोलॉजी के अनगिनत विकल्पों के बीच बड़े हो रहे हैं बच्चों को, किताबों से दोस्ती कैसे करवाएं आइए जाने:

कम उम्र में किताबों से दोस्ती कराएं।

बाजार में ऐसी बहुत सी किताबें उपलब्ध हैं, जो आपके बच्चों को न केवल आकर्षित करेगी, बल्कि उनसे वह काफी कुछ सीख पाएंगे। कपड़े से बनी किताबें, बोर्ड की किताबें, और वाटर प्रूफ किताबों को, आप बहुत छोटी उम्र के बच्चों के हाथ में दे सकती है। ऐसा करते वक्त उनके फटने आदि का डर भी नहीं रहेगा। इन किताबों से बच्चे ना सिर्फ व्यस्त रहेंगे, बल्कि धीरे-धीरे किताबों से उनकी दोस्ती भी हो जाएगी। धीरे-धीरे आपके बच्चों को किताबें को दुनिया बहुत मजेदार लगने लगेगा और वह उनके साथ ज्यादा वक़्त बिताने लगेंगे।

कहानियां पढ़कर सुनाएं।

यह तरीका शायद आपको सुनने में अजीब लगेगा, लेकिन बच्चों को रचनात्मक बनाने के लिए या एक अच्छा उपाय है। रोज रात में सोने से पहले बच्चों को किताबों से कहानियां पढ़कर सुनाएं। हो सकता है कि बच्चा हर दिन आपको एक ही कहानी सुनाने के लिए कहे। बच्चों को एक ही चीज को बार बार सुनना पसंद होता है। कहानी को मजेदार बनाने के लिए आप अलग अलग तरह की आवाजों में भी उसे कहानी सुना सकते हैं। हर दिन कम से कम 10 मिनट का वक्त इस काम के लिए निकालें।

बच्चों को किताबों के बीच रखें।

किताबों से दोस्ती करवाने में या तरीका बहुत ही कारगर साबित हो सकता है। घर में किताबों को कभी भी बहुत ऊंचाई पर ना रखे। हमेशा बुकशेल्फ को इस तरह रखें कि आपका बच्चा जब चाहे उसे अपनी मनपसंद किताब निकाल सके। अगर हो सके तो किताबों की अलमारी के पास यह टेबल और कुर्सी रखे, जिस पर बैठकर आपका बच्चा किताबी दुनिया की सैर कर सके।

बच्चों का शब्द ज्ञान बताएं।

अपने बच्चों के साथ शब्दों का खेल खेले। बच्चों से बातचीत करते वक्त ज्यादा से ज्यादा नए शब्दों का इस्तेमाल करें। रोजमर्रा की बोलचाल में नए शब्दों का प्रयोग न केवल उसका शब्द ज्ञान बढायेगा, बल्कि किताबों को पढ़ते वक्त हुआ शब्दों को आसानी से समझ भी पाएगा।

पढ़ने की आदत को बनाए रखें।

अक्सर ऐसा होता है कि एक बार अगर बच्चा पढ़ने का शौक पाल लेता है तो हम निश्चित हो हो जाते हैं। हम सोचते हैं कि उसकी किताबें पढ़ने की आदत तउम्र बनी रहेगी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाता। आपको बच्चे की उम्र के हिसाब से किताबें खरीदनी पड़ेगी, ताकि वह आगे भी कहानियां पढ़कर मजे ले सके। नियमित अंतराल पर बच्चों को किताबें खरीद कर दे, ताकी किताबों की कमी के कारण उसके पढ़ने की आदत ना छूटे।

पढ़ने के लिए दबाव ना बनाएं।

किताबों से दोस्ती करने की प्रक्रिया अपने आप में लंबी है। कोशिश करें कि यह प्रक्रिया मजेदार बने, ताकि आप और आपका बच्चा दोनों इस का आनंद ले सके। इस बात को कभी भी नजरअंदाज ना करें। आपका काम बच्चों को किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करना है। इस प्रक्रिया में किताब पढ़ने के लिए उन पर दबाव ना बनाएं तो अच्छा है। बच्चा जो भी किताब पढ़े, उसके बारे में उससे चर्चा जरूर करें। किताब में उसने क्या पढ़ा और आगे क्या होने वाला है इसके बारे में जरूर बात करें। इस तरह की बातचीत पढ़ने की प्रक्रिया को मजेदार बनाती है। किताबों से दोस्ती करने वालों के लिए आप बच्चों को नियमित अंतराल पर लाइब्रेरी लेकर भी जा सकती हैं। संभव है कि शुरुआत में वहां जाकर उसे बोरियत महसूस हो, पर धीरे-धीरे उसे वहां मजा आने लगेगा।

आप भी करें पढ़ाई

अगर आप बच्चों को किताब पढ़ने के बारे में दिन में 4 बार बोलती हैं। और खुद किताबों से आपका दूर दूर तक कोई नाता नहीं है, तो बात नहीं बनेगी। आप किस तरह की और कौन से लेखक की किताबें पढ़ते हैं, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। फर्क इस बात से पड़ता है कि बच्चा आपको किताबें पढ़ते हुए देखे। इस तरह वह किताब पढ़ने के लिए प्रेरित होगा। अपनी पसंद की किताबें खरीदी और हर दिन आप भी कम से कम 15 मिनट से 20 मिनट ही-सही, किताबों के साथ वक्त बिताय।

दोस्तों और रिश्तेदारों को किताब देने को कहें।

बहुत से अवसर ऐसे होते हैं, जो दोस्त या रिश्तेदार बच्चों को उपहार देते हैं। ऐसे मौको को हाथ से ना जाने दें। दोस्तों को और रिस्तेदारो को किताबें देने के लिए कहे। बच्चों के पास किताबें होंगी तो धीरे-धीरे उन्हें पढ़ने के प्रति उनकी रूचि भी पैदा होने लगेगी। उम्र को ध्यान में रखते हुए बच्चों के लिए किताबें चुने। बच्चा किताबों की दुनिया में खूब मौज मस्ती करें, इसके लिए अपनी ओर से छोटे छोटे कदम उठाएं। हमेशा याद रखें कि, इस दिशा में उठाया गया आपका हर कदम छोटा जरूर हो, लेकिन सटिक हो।


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