ये तख्त-ओ-ताज, ये महराब, सच में ये ख्वाब,सब मिट्टी है। ये हिटलर,ये मीर, वो गालिब, सिकन्दर-ओ-सोहराब सब मिट्टी हैं। तमाम जवाब और फलसफे, ये ज्ञान,वो किताबें सब मिट्टी है। मिट्टी ही हकीक़त है इस जहाँ की, ये सोने से तुलने का अहसास सब मिट्टी है। वो मेरा है,मासूम है,आ जायेगा, दिल की ये आस,छलावा,सब मिट्टी है।