जल। जीवन का एक अभिन्न हिस्सा। शरीर का हिस्सा। सृष्टि का हिस्सा। कृषि का हिस्सा। हर क्षेत्र में सहभागी। कुदरत ने क्या कमाल किया, जल बिना सब सून या ठेठ साहित्य में कह लें तो बिन पानी सब सून। दरअसल, मैं पानी के जगह जल इसलिए उपयोग कर रहा था कि पानी के दो अर्थ हैं। एक पानी हया से मतलब रखता है तो दूसरे का सरोकार जीवन का अभिन्न हिस्सा वाले पानी से है। द्विअर्थी। कमाल की बात तो यह है कि इस वक्त किसी