श्री अमृतसर साहिब
शिरोमणि कमेटी ने आज 13 नवंबर को होने वाले प्रधानगी पद के चुनाव को लेकर सभी प्रबंध पूरे कर लिए हैं तथा फिलहाल संभावना यह भी बनी हुर्इ है कि भाई गोबिंद सिंह को फिर से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रधान की सेवा सौंपी जा सकती है।
शिरोमणि कमेटी के मुख्यालय तेजा सिंह समुंदरी हॉल में होने वाले इस चुनाव में साधारण सभा के 170 चुने सदस्य और 15 मनोनीत सदस्य प्रधान का चुनाव करेंगे। इनमें से नौ सदस्यों की मौत हो चुकी है। अकाली दल के दो सदस्य सुच्चा सिंह लंगाह और शरण जीत सिंह इस्तीफा दे चुके हैं।हालांकि पांच सिंह साहिब भी साधारण सभा के सदस्य होते हैं लेकिन उन्हें वोट का अधिकार नहीं होता। कमेटी के प्रधान के चुनाव में सुखबीर बादल के सामने कोई चुनौती नहीं है। डॉ. रतन सिंह अजनाला और ब्रह्मपुरा के साथ कमेटी सदस्य नहीं हैं। यही कारण है कि दोनों टकसाली नेताओं ने कमेटी चुनाव में दूरी बना ली है। हालांकि यह भी माना जा रहा है कि वर्तमान कार्यकारिणी में भारी फेरबदल कर सुखबीर बादल माझा, मालवा और दोआबा को एक समान पद बांटकर पार्टी के भीतर के विरोध को शांत करने का प्रयास करेंगे।
भाई गोबिंद सिंह को फिर से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रधान की सेवा सौंपने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इसका कारण यह भी माना जा रहा है कि पिछले एक साल के कार्यकाल के दौरान लौंगोवाल ने ऐसा कोई विवाद खड़ा नहीं किया है, जिससे अकाली लीडरशिप को किसी संकट का सामना करना पड़ा हो। अकाली दल के कुछ टकसाली लीडरशिप के साथ छिड़े विवाद के बाद पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल भी इस समय शिरोमणि कमेटी के प्रधान के चुनाव में कोई भी विवाद खड़ा करना नहीं चाहते। भाई लौंगोवाल ने एक साल के कार्यकाल के दौरान कमेटी के सभी मेंबर्स के साथ मधुर संबंध रखे। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान धर्म प्रचार में महत्वपूर्ण काम किए हैं। गांवों के सभी गुरुद्वारों को एक सूत्र में पिरोकर उन्हें धर्म प्रचार में लगाया। यही कारण है कि एक साल में 56 हजार से अधिक ने अमृत छका है। इसके साथ उन्होंने गांवों के अलग-अलग शमशान घाटों को एक करने की प्रेरणा दी है। कई बुजुर्गों को तख्त साहिबान की यात्रा करवाई। इसके अलावा उन्होंने शिरोमणि गुरुद्वारा कमेटी के साथ जुड़े मुद्दों के हल के लिए लौंगोवाल ने केंद्र सरकार के साथ कई मीटिंग की।
भाई गोबिंद सिंह को फिर से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रधान की सेवा सौंपने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इसका कारण यह भी माना जा रहा है कि पिछले एक साल के कार्यकाल के दौरान लौंगोवाल ने ऐसा कोई विवाद खड़ा नहीं किया है, जिससे अकाली लीडरशिप को किसी संकट का सामना करना पड़ा हो। अकाली दल के कुछ टकसाली लीडरशिप के साथ छिड़े विवाद के बाद पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल भी इस समय शिरोमणि कमेटी के प्रधान के चुनाव में कोई भी विवाद खड़ा करना नहीं चाहते। भाई लौंगोवाल ने एक साल के कार्यकाल के दौरान कमेटी के सभी मेंबर्स के साथ मधुर संबंध रखे। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान धर्म प्रचार में महत्वपूर्ण काम किए हैं। गांवों के सभी गुरुद्वारों को एक सूत्र में पिरोकर उन्हें धर्म प्रचार में लगाया। यही कारण है कि एक साल में 56 हजार से अधिक ने अमृत छका है। इसके साथ उन्होंने गांवों के अलग-अलग शमशान घाटों को एक करने की प्रेरणा दी है। कई बुजुर्गों को तख्त साहिबान की यात्रा करवाई। इसके अलावा उन्होंने शिरोमणि गुरुद्वारा कमेटी के साथ जुड़े मुद्दों के हल के लिए लौंगोवाल ने केंद्र सरकार के साथ कई मीटिंग की।
सुखबीर बादल माझे के टकसाली नेताओं डॉ. रतन सिंह अजनाला और रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा को अलग थलग करने के लिए कमेटी के पूर्व एक्टिंग प्रेसिडेंट अलविंदर पल सिंह पखोके को वरिष्ठ उपाध्यक्ष के पद से नवाज सकती है।
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