मेरठ में एक रेस्टोरेंट में खाने के बाद पैसे देने के विवाद पर स्थानीय पार्षद (रेस्टोरेंट मालिक) मनीष कुमार पंवार ने मेरठ के परतापुर थाने में तैनात दारोगा सुखपाल सिंह की पिटाई कर दी। दारोगा अपनी महिला मित्र के साथ खाना खाने आया था।
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जानकारी के अनुसार, इस घटना से पहले दरोगा एक महिला वकील के साथ इस होटल में खाना खाने पहुंचा था । इस दौरान वेटर और महिला वकील के बीच विवाद हुआ। विवाद के बाद होटल के मालिक (भाजपा पार्षद) मनीष पंवार ने दरोगा की जमकर पिटाई की।
भाजपा नेता का आरोप है कि महिला और दरोगा होटल में बैठकर शराब पी रहे थे और इसे लेकर ही विवाद की स्थिति बनी। वहीं शिकायत करने वाली महिला वकील का कहना है कि वह दरोगा से किसी मुकदमे के सिलसिले में बात करने के लिए होटल में गई थी और खाने का समय होने की वजह से भोजन का ऑर्डर दिया था।
Police 02महिला वकील का कहना है कि भाजपा नेता द्वारा शराब पीने के आरोप गलत हैं और होटल में ऐसी कोई भी चीज नहीं की गई थी। पुलिस के अनुसार, दरोगा सुखपाल को शुक्रवार रात दशहरा ड्यूटी के लिए तैनात किया गया था। इसी बीच उसने अफसरों को अपनी तबीयत खराब होने की बात कहकर घर जाने की बात कही और फिर महिला वकील के साथ होटल चला गया।
दारोगा ने विवाद के बाद पहले अपनी पिस्तौल निकाल कर धमकाने की भी कोशिश की। मेरठ पुलिस नें महिला की शिकायत पर मामला दर्ज कर पार्षद को हिरासत में लिया।
रवीश बोले ‘यूपी पुलिस ख़ुद को भंग कर बीजेपी पार्षद बन जाए
मेरठ से आए एक वीडियो को देख रहा हूँ। बीजेपी पार्षद दारोग़ा की गर्दन दबोच देते हैं। फिर लगातार पाँच बार ज़ोर ज़ोर से मारे जा रहे हैं। माँ बहन की गालियाँ दे रहे हैं। उनका साथी दारोग़ा का कॉलर पकड़ कर पटक देता है। इस सीन में दारोग़ा और पार्षद के बीच क्या संबंध है, यह उतना साफ़ नहीं जितना यह दिख रहा है कि एक पार्षद की हिम्मत इतनी बढ़ जाती है कि वह दारोगा को दायें बायें हर तरफ़ से मारता है।बताया जा रहा है दारोगा जी शराब के नशे में हंगामा कर रहे थे। फिर भी इसके लिए क़ानून तो है।
दारोगा इतना लाचार क्यों दिख रहा है? पार्षद दारोगा का दादा क्यों लग रहा है? यह वीडियो यूपी पुलिस के समाप्त हो जाने का प्रमाण है। इसके अफ़सरों में न ज़मीर बची है और न शायद ईमान। एक संस्था के रूप में पुलिस समाप्त हो चुकी है। उसका एक ही काम है। नेताओं के काम आना और नेताओं से लात खाना। इस पुलिस में जो अच्छे लोग हैं वो बल अपनी इज़्ज़त बचा कर नौकरी काट रहे हैं।