नई दिल्ली: रावण दहन के दौरान अमृतसर रेल हादसे को लेकर कुछ ऐसे सच सामने आ रहे हैं जो अब स्थानीय प्रशासन पर ही सवालिया निशान खड़ा कर रहा है. जानकारी मिल रही है कि दशहरा कमेटी ने खत लिखकर पुलिस से सुरक्षा व्यवस्था की मांग की थी और पुलिस ने कार्यक्रम आयोजित करने की मंजूरी दी थी. इस बारे में एएनआई ने कार्यक्रम के आयोजन के लिए इजाज़त मांगने वाली चिट्ठी पोस्ट की है. इजाज़त वाली चिट्ठी के जवाब में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर दलजीत सिंह ने कहा है कि पुलिस को दशहरा कार्यक्रम आयोजित करने को लेकर कोई आपत्ति नहीं है.
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बता दें कि शुक्रवार शाम धोबीघाट के निकट जोरा फाटक पर 700 लोगों की भीड़ रावण दहन देख रही थी, तभी शाम लगभग सात बजे अमृतसर से होशियारपुर जा रही जालंधर-अमृतसर डीजल मल्टीपल यूनिट (डीएमयू) पैसेंजर ट्रेन वहां से गुजरी.
आतिशबाजी के कारण ज्यादातर लोग ट्रेन की आवाज नहीं सुन सके और मात्र 10 से 15 सेकेंड के अंदर वहां क्षत-विक्षत शव बिखरे पड़े थे और चीख पुकार मच गई थी. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बयान के मुताबिक इस घटना में कुल 59 लोगों की मौत हुई है जबकि 57 लोग घायल हो गए हैं.
दशहरा के जिस कार्यक्रम के दौरान हादसा हुआ उसमें नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर मुख्य अतिथि थीं. बीजेपी और अकाली दल ने उन्हें घेरते हुए आरोप लगाया था कि हादसे के दौरान भी नवजोत भाषण देती रहीं. अब इस मामले में नवजोत कौर ने सफ़ाई देते हुए कहा है कि लोगों से कई बार धोबी घाट ग्राउंड के भीतर आने की अपील की गई थी.
नवजोत कौर ने कहा, ‘धोबी घाट मैदान (जहां आयोजन हुआ) के भीतर सीटें खाली थीं. रावण को मजबूती से बांधा गया था और उसके गिरने की वजह से भगदड़ की कोई आशंका नहीं थी. वहां भगदड़ हुई भी नहीं. 4-5 बार घोषणा कर लोगों को धोबी घाट मैदान के अंदर बुलाया भी गया था.’