वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा | घर के नक्शे (Vastu Shastra in Hindi)
वास्तुशास्त्र का हमारे जीवन में बहुत महत्व है, वास्तुशास्त्र (vastu shastra in hindi) के अनुसार किया गया कार्य शुभ होता है. कहा जाता है कि अगर हम वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा बनाए तो हमें सुख शांति मिलती है और घर में सकरात्मक उर्जा पैदा होती है. घर के नक्शे वास्तुशास्त्र के अनुसार ही होना चाहिए. ऐसा करने से आप और आपके परिवार को दुख और परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है. कहा जाता है कि वास्तुशास्त्र में दिशाओं का बड़ा महत्व होता है. अगर आप किसी ग़लत दिशा में घर का निर्माण करते हैं तो आपके परिवार में सुख और धन की कमी होती है. वास्तु के अनुसार दिशाएं 8 प्रकार की होती हैं. घर बनाते वक्त इन दिशाओं का ध्यान रखना ज़रूरी होता है.
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आइए जानते है दिशाओं का महत्व:
उत्तर दिशा:
घर के नक्शे बनाने में उत्तर दिशा का अहम् रोल है. उत्तर दिशा की तरफ घर के दरवाज़े और खिड़कियाँ होनी चाहिए. उत्तर दिशा की भूमि अगर उँची हो तो वह अच्छा माना जाता है. घर का वॉश बेसिन और बालकनी भी इसी दिशा की तरफ होनी चाहिए.
दक्षिण दिशा:
दक्षिण दिशा में अगर कोई वास्तुदोष होता है तो घर के स्वामी दुखी और बीमार रहता है. धन को इसी दिशा में रखना चाहिए ऐसा करने से धन में वृद्धि होती है. दक्षिण दिशा में बालकनी और शौचालय नहीं बनाना चाहिए.
पूर्व दिशा:
यह दिशा सूर्य के उदय होने की दिशा है. घर का मुख्य दरवाज़ा और खिड़की पूर्व दिशा में बनानी चाहिए ऐसा करने से सूर्य की सकरात्मक उर्जा घर में प्रवेश करती है जिस कारण घर के मालिक को संतान सुख और लंबी उम्र मिलती है.
पश्चिम दिशा:
इस दिशा में घर का रसोईघर और शौचालय होना चाहिए. इस दिशा की भूमि उँची हो तो आपको सफलता प्राप्त होती है.
उत्तर पश्चिम दिशा:
इस दिशा में आपको बैडरूम, गौशाला और गेरेज़ का निर्माण करना चाहिए. अगर आपके घर में कोई नौकर भी रहता है तो उसका कमरा भी उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए.
दक्षिण-पश्चिम दिशा:
इस दिशा में अगर गृहस्वामी का कमरा हो तो बहुत शुभ माना जाता है. इस दिशा में भूलकर भी खिड़की और दरवाजे बिल्कुल भी नहीं बनाने चाहिए. मशीनों को इस दिशा में रखना चाहिए.
घर के नक्शे अगर ठीक से निर्माण हुए है और वास्तुशास्त्र का प्रयोग हुआ है तो उस इंसान को कभी भी असफलता नहीं मिलती है. वह हमेशा ही सफल इंसान बन कर रहता है. घर के नक्शे में रंगों का भी बहुत बड़ा योगदान होता है.
वास्तुशास्त्र (vastu shastra in hindi) के अनुसार रंगों का महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा (घर के नक्शे) बनाने के साथ घर के लिए रंग भी वास्तुशास्त्र के अनुसार ही चुनने चाहिए. हम अगर वास्तुशास्त्र के अनुसार घर का रंग चुनते है तो हमें सुख शांति और समृद्धि की कोई कमी नहीं रहती है. हर प्रकार के रंग का अपना महत्व होता है. यह रंग हमारे मन को भी प्रभावित करते है. जैसे सफेद रंग शांति का प्रतीक होता है और लाल रंग उतावलेपन को दर्शाता है. इसलिए हमें घर में सोच समझ कर ही रंग लगाना चाहिए. अगर आप लाल रंग का इस्तेमाल अपने कमरे में करते है तो ऐसा करने से आप और आपकी बीवी में अनबन बनी रहेगी.
आइए जाने वास्तुशास्त्र के अनुरूप घर का रंग
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा बनाने के साथ हमें घर में रंग भी सोच समझ कर ही करना चाहिए. शयन कक्ष जिसे हम सोने का कमरा कहते है. इस कमरे की दीवारों पर हल्का रंग करना चाहिए. इन दीवारों पर आँख में चुभने वाला और गहरा रंग नहीं करना चाहिए. कुछ रंग जैसे- सफेद, हल्का हरा, गुलाबी और पीला रंग का उपयोग कर सकते हैं.
बैठक कक्ष हमारे घर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. यह एक ऐसा स्थान है जहाँ घर के सभी सदस्य एक साथ बैठ कर समय बिताते हैं. जब भी घर में कोई मेहमान आता है तो सबसे पहले उसे हम बैठक कक्ष में ही लाते है. बैठक कक्ष का रंग ज़्यादा गहरा नहीं होना चाहिए. इस कक्ष की दीवारों पर आप पीला, सफेद, हल्का नीला, हल्का संतरी आदि रंगों का इस्तेमाल कर सकते है.
रसोईघर का निर्माण पश्चिम दिशा में होना चाहिए. इस दिशा का स्वामी शुक्र है, जो हमें सकरात्मक उर्जा प्रदान करते है. रसोईघर में हमें शुक्र ग्रह से संबंधित रंगों का उपयोग करना चाहिए. रसोईघर में हमें क्रीम और सफेद रंग का इस्तेमाल करना चाहिए.
शौचालय में हमें हल्का रंग करना चाहिए. हल्के रंग के इस्तेमाल से हमें शांति और सुख समृद्धि प्राप्त होती है. शौचालय की दीवारों में उपयोग होने वाले रंग है – हल्का नीला, गुलाबी, हल्का संतरी, पीला और हल्का आसमानी आदि.
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