दो शे’र
महफ़िल में लोग आए थे अपनी अना के साथ
देखा नहीं किसी को भी ज़ौक़-ए-फ़ना के साथ
नासेह ! तुम्हारी बात में नुक्ते की बात है
दिल लग गया है मेरा किसी आश्ना के साथ
-आनन्द पाठक-
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