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हीमोफीलिया रोग के उपचार और सावधानियाँ


हीमोफिलिया क्या हैं
      हीमोफिलिया एक ऐसी आनुवंशिक बीमारी हैं जिस बीमारी से ग्रस्त होने पर व्यक्ति को शरीर के किसी भी भाग पर जब चोट लग जाती हैं तो उसके घाव से रक्त बहना बंद नही होता. इस बीमारी का मुख्य लक्षण यह हैं कि इस बीमारी के होने पर व्यक्ति के शरीर में खून का थक्का जमना बंद हो जाता हैं. यह एक जानलेवा बीमारी हैं. क्योंकि जब किसी व्यक्ति को चोट लग जाती हैं और उसका खून बहना बंद नही होता तो इस वजह से ही उसकी जान भी जा सकती हैं. इस बीमारी का मुख्य कारण व्यक्ति के शरीर में रक्त प्रोटीन की कमी होना हैं. जिसे मेडिकल की भाषा में क्लॉटिंग फैक्टर’ कहा जाता हैं. इस फैक्टर की कमी शरीर में हो जाती हैं तो शरीर में खून जमने की क्षमता क्षीण हो जाती हैं
हीमोफिलिया के विभिन्न नाम –
हीमोफिलिया को अलग – अलग अलग नामों से जाना जाता हैं जिनका विवरण इस प्रकार हैं
1. अधिरक्तस्राव
2.ब्लीडर रोग
3. शाही रोग,
4. क्रिसमस रोग
हीमोफिलिया रोग के प्रकार
१. हीमोफिलिया A – 
हीमोफिलिया A को क्लासिक हीमोफिलिया के नाम से भी जाना जाता हैं. हीमोफिलिया A की बीमारी किसी भी व्यक्ति को जिन म्यूटेशन के कारण हो जाता हैं. हीमोफिलिया A f8 जिन में उत्परिवर्तन हो जाने के कारण हो जाता हैं. एक रिसर्च में यह प्रमाणित किया गया हैं कि हीमोफिलिया के इस प्रकार से ही व्यक्ति अधिक ग्रस्त होता हैं.
२. हीमोफिलिया B - 
हीमोफिलिया के इस प्रकार को क्रिसमस रोग के नाम से भी जाना जाता हैं. यह रोग f9 जीन उत्परिवर्तन होने के कारण होता हैं.
हीमोफिलिया के इन दोनों ही प्रकारों में समानता यह हैं कि इन दोनों ही प्रकारों के जीन x गुणसूत्र में ही पाएं जाते हैं. जिसकी वजह से हीमोफिलिया के दोनों ही प्रकारों की वाहक महिलाएँ होती हैं तथा इसीलिए पुरुष ही इस बीमारी के ग्रस्त होते हैं. हीमोफिलिया के इन दोनों ही मुख्य प्रकारों के साथ – साथ इस बीमारी का एक और प्रकार मिलता हैं. लेकिन यह बीमारी कुछ ही लोगों में पाई जाती हैं. जिसके बारे में जानकारी नीचे दी गयी हैं.
अधिग्रहीत हीमोफिलिया – 
हीमोफिलिया की यह बीमारी आनुवांशिक बीमारी नही हैं. इस बीमारी के होने का मुख्य कारण बाद में व्यक्ति के शरीर में म्यूटेशन होना हैं. इस बीमारी के होने पर व्यक्ति का शरीर खुद ही स्व – प्रतिरक्षा तन्त्र विकसित करता हैं और इसके पश्चात् अपने रक्त का थक्का जमाने वाले कारक 8 को नष्ट कर देता हैं. जिसके कारण शरीर में रक्त का थक्का जमना बंद हो जाता हैं और व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित हो जाता हैं.
हीमोफिलिया से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए विशेष ध्यान रखने योग्य बातें
1.क्लॉटिंग फैक्टर – 
हीमोफिलिया के रोगियों को क्लॉटिंग फैक्टर भी दिया जा सकता हैं. लेकिन यह किसी मरीज को नियमित रूप से देना पड़ता हैं तथा किसी – किसी रोगियों को कभी कभी. मरीज को क्लॉटिंग फैक्टर देने का फायदा यह होता हैं कि इसे देने से व्यक्ति के शरीर से अत्यधिक रक्त बहने की सम्भावना कम हो जाती हैं तथा उसके शरीर में धीरे – धीरे खून का थक्का जमना शुरू हो जाता हैं.
क्लॉटिंग बढ़ाने और हीलिंग वाली दवाइयों का सेवन – अगर हीमोफिलिया से ग्रस्त व्यक्ति को चोट लगने की वजह से अधिक खून बहने लगे तो इस स्थिति में उसे खून जमाने के लिए तथा घाव को जल्द ठीक करने के लिए क्लॉट बढाने वाली तथा हीलिंग वाली दवाइयां दे सकते हैं.
3.दवाइयों से परहेज – 
हीमोफिलिया के मरीज को आमतौर पर दर्द से राहत पाने वाली दवाइयों का सेवन करने से बचना चाहिए. क्योंकि इन दवाईयों का सेवन करने से रोगी के शरीर पर इन दवाइयों का विपरीत प्रभाव पड सकता हैं. अगर आपको दर्द से छुटकारा पाने के लिए किसी भी दवाई की जरुरत महसूस होती हैं तो ऐसे समय में अपने चिकित्सक से एक बार सलाह जरुर लें और उसके पश्चात् ही किसी भी दवाई का सेवन करें.
4.व्यायाम – 
हीमोफिलिया की बीमारी से निजात दिलाने में व्यायाम काफी हद तक सहायक सिद्ध होता हैं. इसीलिए रोजाना व्यायाम जरुर करें. व्यायाम करने से आपको काफी लाभ होगा. जैसे यदि आप नियमित रूप से व्यायाम करते हैं तो इससे आपके जोड़ों में दर्द नही होगा. इसके साथ ही चोट लगने पर आपके शरीर से अत्यधिक खून नही बहेगा.
5.खेल – कूद में सावधानी – 
यदि आप हीमोफिलिया के मरीज हैं और आपको खेलना – कूदना अधिक पसंद हैं तो खेलते समय अपना पूर्ण रूप से ध्यान रखें तथा जहाँ तक हो ऐसे खेल बिल्कुल न खेलें, जिसमें आपको चोट लगने की अधिक सम्भावना हो.
6.दांत की सफाई – हीमोफिलिया के रोगी को अपने दांतों को हमेशा साफ रखना चाहिए. क्योंकि यदि दांतों में किसी भी प्रकार का रोग हो गया तो इससे आपके दांतों में ब्लीडिंग हो सकती हैं. जो की आपके लिए बेहद ही खतरनाक साबित हो सकता हैं. इसलिए अपने दांतों को साफ रखें और दिन में दो बार कम से कम ब्रश जरुर करें.


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