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आंकड़े से करें बवासीर का अचूक उपचार


   आक के वैसे तो सैंकड़ो प्रयोग आयुर्वेद शास्त्र में मिलते हैं, आक को आयुर्वेद का जीवन भी कहा जाता है. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे महान प्रयोग के बारे में बताने जा रहें हैं जिस से कैसी भी बवासीर की समस्या हो वो 
    50 ग्राम आक के कोमल पत्रों के समभाग पांचों नमक लेकर (1. सौंचर या सौवर्चल नमक (कालानमक), 2. सैंधानमक, 3. बीड़ नमक, 4. समुद्री नमक तथा 5. सांभर नमक). अर्थात 10 – 10 ग्राम ये सभी पांच नमक. ये सभी नमक आपको थोड़ी मेहनत से किसी पंसारी के पास से मिल जायेंगे.अभी कितने आक के पत्ते लिए हैं उनके बराबर नमक ले लीजिये और उसमें सबके वजन के बराबर से चौथाई वजन तिल का तैल और इतना ही नींबू रस मिला कर एक मिटटी के बर्तन में डाल लीजिये अभी इस बर्तन के मुख ककपड़ मिट्टी (अर्थात उस बर्तन को ढक्कन लगा कर इस के मुंह को सूती कपडे से अच्छे से लपेट कर उस पर गीली मिटटी से अच्छे से पैक कर दीजिये तांकि उसमे किसी प्रकार की कोई लीकेज ना रहे) अभी इसको गोबर के कन्डो की आग पर एक घंटे तक चढ़ा दें,
    ध्यान रहे के आग ज्यादा तेज़ ना हो, और धीरे धीरे कंडे लगाते रहें, अधिक तेज़ आग करने से मिटटी का बर्तन टूट सकता है। एक घंटे के बाद बर्तन को नीचे उतार लीजिये, अभी इसके अन्दर आक के पत्ते जल चुके होंगे तो सब चीजों को निकाल के पीस कर रख लें, 500 मिलीग्राम से 3 ग्राम तक आवश्यकता और आयु के अनुसार गर्म जल, काँजी, छाछ के साथ सेवन कराने से बादी बवासीर नष्ट होता है।
आक के बवासीर के लिए प्रयोग.
 


1. हल्दी चूर्ण को आक के दूध में भिगोकर सुखा लें, ऐसे सात बार करें. फिर आक के दूध द्वारा ही उसकी बेर जितनी गोलियाँ बना छाया में शुष्क कर रखें। प्रातः सायं शौच कर्म के बाद थूक में या जल में घिसकर मस्सो पर लेप करने से कुछ ही दिनों में वह सूखकर गिर जाते है।

2.  तीन बूंद आक के दूध को राई पर डालकर उसपर थोड़ा कूटा हुआ जवाखार बुरक कर बताशे में रखकर निगलने से बवासीर बहुत जल्दी नष्ट हो जाती है।
3.  शौच जाने के बाद आक के दो चार ताजे पत्ते तोड़ कर गुदापर इस प्रकार रगड़े कि मस्सो पर दूध ना लगे केवल सफेदी ही लगे। इससे मस्सों में लाभ होता है।






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