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कफ दोष जनित रोगों के आयुर्वेदिक,घरेलु उपचार



क्या आपको पता है कि आपका शरीर कैसा है? आयुर्वेद में शरीर को तीन तरह का माना जाता है – वात, पित्त और कफ। आयुर्वेद के अनुसार, हम सभी का शरीर इन तीनों में से किसी एक प्रवृत्ति का होता है, जिसके अनुसार उसकी बनावट, दोष, मानसिक अवस्था और स्वभाव का पता लगाया जा सकता है। इन दोषों में किसी एक के भी ज्‍यादा होने से आपके ऊपर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। खैर, अगर आप कफ दोष का स्‍तर जानना चाहते हैं, तो हम आपको उसके लक्षण और उससे निपटने के उपाय बता रहे हैं।
कफ दोष क्या है?
कफ दोष तीनों दोषों में धीमा और संतुलित माना जाता है और ये अन्य दो दोषों के उत्पादन और कामकाज को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार है। ये आपकी स्किन को मॉश्‍चराइज्‍ड करने, जोड़ों को चिकना करने, लिबिडो बढ़ाने और इम्‍यूनिटी बढ़ाने में सहायक होता है। वात और पित्‍त के ज्‍यादा होने पर आपके ऊतकों (tissues) को नुकसान होने से बचाकर आपको मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूती प्रदान करता है।
कफ का असंतुलन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बुरा क्‍यों है?
कफ दोष के ज्‍यादा होने के बुरे प्रभावों में से एक मोटापा है। आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, कफ प्रकृति वाले लोगों के शरीर का वजन तेजी से बढ़ता है। इसलिए ये दोष आपके शरीर के लिए बुरा माना जाता है। आमतौर पर देखा गया है कि कफ प्रकार के शरीर वाले लोगों का वजन ज्‍यादा होता है और आम लोगों की तुलना में सुस्‍त होते हैं।
कफ दोष के लक्षण
कफ दोष बढ़ने से मुंह में मीठे का स्‍वाद, त्‍वचा का पीला होना, शरीर में ठंडापन, खुजली, पेशाब और पसीने से जुड़ी समस्‍या, बेचैनी, साइनसाइटिस, कोल्‍ड, मुंह और आंख से मोकस सिक्रेशन (mucous secretion) का बढ़ना, अस्‍थमा, गली की खराश, खांसी और डायबिटीज जैसी समस्‍याएं हो सकती हैं।
 
मानसिक संकेत
मन की सुस्ती, काम के किसी भी प्रकार में उदासिनता, अवसाद।
व्यवहारिक संकेत
सुस्ती, ज्‍यादा नींद आना, झपकी आना, उत्‍सुकता, धीमी गति और लालच।
इसे ठीक करने के लिए क्‍या करें
कफ के लेवल को कम करने का आसान तरीका उल्‍टी करना है। इससे आपके पेट और छाती से कफ के निकलने में मदद मिलती है। उल्‍टी के लिए आयुर्वेदिक दवाएं खाएं। ये दवा कड़वी और खट्टी होती हैं।
तीखे, कड़वे, ड्राई और गर्म खाद्य पदार्थ भी कफ को संतुलित करने में सक्षम हैं।
पुराना शहद और तीखी चीजें विशेषकर आयुर्वेंदिक दवाएं जैसे असावा (asava) और अरिस्‍ता (arishta) फायदेमंद हैं।
गर्म रहें। सूखी गर्मी अच्‍छा उपाय है।
फोमेन्टेशन (fomentation) थेरेपी और सन बाथ लें।
ड्राई मसाज कराएं।
नहाने से पहले शरीर पर उबटन लगाएं।
रनिंग, वॉकिंग और स्विमिंग करें।
गर्म कपड़े पहनें और रात में देर तक जागें।
सुस्‍ती और आलस से बचें।


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