नागबला टिलिएसी TILIACEAE कुल का पौधा है जिसे संस्कृत में नागबला व गुडशर्करा के नाम से जाना जाता है।इसका वैज्ञानिक नाम वानस्पतिक नाम ग्रेविया हिर्सटा grewia-hirsuta है।जो समुद्रतल से 3500 फीट के ऊपर ऊंचाई पर क्षैतिज क्षेत्र में उपलब्ध है।
नागबला को हिंदी में गुलशक्री, गुदखंडी,मराठी में गोवली Govli, तेलगु में जिविलिकी Jivilike तमिल में तविदु Tavidu के नाम से जाना जाता है। इसकी जड़ का आयुर्वेदिक योगों में प्रयोग किया जाता है जिसकी मात्रा 3 से 6 ग्राम चूर्ण के रुप में प्रयोग किया जाता है।अगर इसकी जड़ का क्वाथ लिया जाऐ तो मात्रा 50 से 60 मिलीलीटर लेना चाहिये।
आयुर्वेदिक गुण- GUNA (Quality)-
नागबला गुरु, स्निग्ध व पिच्छल है जो स्वाद अर्थात रस RASA (Taste) में मधुर व कषाय रस वाली औषधि है। यह विपाक अर्थात (Metabolism)में -मधुर है। इस औषधि की तासीर अर्थात VIRYA (Potency) वीर्य-शीतवीर्य और रसायन प्रभाव (Impact)रखती है।नागबला के चिकत्सकीय उपयोग-
THERAPEUTIC USES - Mental diorders मानसिक विकार · Nervin disorders तंत्रिका या नर्व के विकार · Uterine isorders मूत्र संबंधी विकार,Urinary tract infection मूत्र पथ रुकने के विकार,Rasayan रसायन, Strength and vigour ताकतवर · Anti-pyretic · Heart ailments हृदय विकारों में लाभकारीFORMULATIONS (IS)- यह औषधि नीचे लिखे योगों का एक प्रमुख घटक है।
Lakshmvilasa rasa (nardadiya) लक्ष्मीविलास रस, Maha Vishgarbha Taila महाविषगर्भ तेल,Manashamitra Gutika मानसमित्र गुटिका तथा Shatawaryadi Churna शतावर्यादि चूर्ण में इस औषधि का उपयोग किया जाता है।
नागबला के अन्य उपयोग-
नागबला का उपयोग हृदय रोग में होता है नागबला की जड़ और अर्जुन वृक्ष (टर्मिनलिया) की छाल का मिश्रण मिलाकर दूध के साथ प्रयोग किया जाता है। इस नुस्खे के एक महीने के प्रयोग से यह गर्मी की बीमारी, खांसी और डिस्पेनिया को भी समाप्त कर देता है।अगर एक वर्ष के लिए इस उत्कृष्ट रसायन को प्रयोग किया जाऐ तो व्यक्ति आयुर्वेदानुसार सौ वर्षों पूर्ण जीवन को प्राप्त करता है।नागबला सामान्य विकृति और मांसपेशी के रोगों, व मानसिक रोगों में एक उपयोगी टॉनिक है। यह मस्तिष्क के लिए एक बेहतरीन टॉनिक है।
यह एक बेहतरीन रसायन व श्रेष्ठ वाजीकारक है जो वात और पित्त के दोषों को दूर करने वाला है। जो व्यक्ति के शरीर में सभी धातुओं का सम्वर्धन करता है।
पारंपरिक उपयोग:
बजन वढ़ाना---
अगर नागबला के चूर्ण को शुद्ध देशी घी और शहद के साथ लिया जाए तो यह पाउडर वजन बढ़ाने में उपयोगी होता है।हृदय व फेंफड़ों की मजबूती के लिए---
नागबला के चूर्ण को दूध से लिया जाता है तो यह हृदय और फेफड़ों को मजबूत करता है, इसलिए हृदय रोगों और श्वसन रोगों में फायदेमंद होता है जिससे फेंफड़ों व हृदय को ताकत प्राप्त होती है।सेवनीय मात्रा----
नागबला के चूर्ण की एक से छह ग्राम मात्रा दूध अथवा घी व शहद अथवा लहसुन के साथ लेना पर्याप्त है।