Bladder Infection Symptoms in Hindi देश में लगभग 40 फीसदी महिलाएं और 12 फीसदी पुरुष यूटीआई से ग्रस्त हैं और इसमें ब्लैडर इंफेक्शन सबसे ज्यादा है…
मूत्राशय संक्रमण सभी आयु वर्ग के लोगों को हो सकता है। इसे यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन भी कहते हैं, जो कि एक बीमारी है जिसे सिस्टिटिस भी कहा जाता है। इसमें ब्लैडर में सूजन हो जाती है।
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- शरीर की स्वच्छता पर ध्यान न देना
- इम्यूनिटी कमजोर होना
- मूत्र मार्ग में सर्जरी
- पानी कम पीना ब्लैडर इंफेक्शन या एक्यूट यूटीआई के लिए जिम्मेदार कुछ प्रमुख कारक हैं।
क्या है ब्लैडर इंफेक्शन : यह ब्लैडर के भीतर होने वाला संक्रमण है। कमजोर इम्यूनिटी सिस्टम या यीस्ट इंफेक्शन (Yeast Infection) के होने के लिए समान रूप से जिम्मेदार हो सकते हैं।
इस तरह के संक्रमण बहुत तेजी से फैलते हैं और एक बार ठीक होने के बाद बार-बार भी हो सकते हैं। ये बिना किसी प्रतिक्रिया के हो सकते हैं।
यदि इसका पता जल्दी चल जाए तो उपचार ठीक ढंग से किया जा सकता है। लेकिन संक्रमण को नजरअंदाज करने या इसका पता देरी से चलने पर जीवाणुओं के फैलने और गुर्दे को प्रभावित करने की आशंका बढ़ जाती है।
इन वजह से हो सकता है
ब्लैडर इंफेक्शन का स्पष्ट कारण बैक्टीरिया यानी जीवाणु हैं। यह शरीर में यूरिनरी ट्रैक के जरिए प्रवेश करता है और ब्लैडर तक पहुंचता है जो इंफेक्शन का कारण बनता है।
यूरिन के दौरान शरीर विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है। फिर भी बैक्टीरिया ब्लैडर तक पहुंच सकता है।
यह त्वचा के अंदरूनी हिस्सों में चिपक सकता है और किसी भी समय इसकी संख्या अनियंत्रित गति से बढ़ भी सकती है।
यह इम्यूनिटी सिस्टम को कमजोर कर देता है और अंततः इंफेक्शन फैला देता है।
हालांकि इंफेक्शन तब होता है जब मल के जरिए ये बैक्टीरिया त्वचा के संपर्क में आते हैं और यूरिनरी ट्रैक में प्रवेश करते हैं।
ब्लैडर इंफेक्शन के लक्षण
- यूरिन का असामान्य रंग मलिन या खूनी
- लगातार यूरिन आना
- यूरिन करते समय दर्द
- यूरिन को रोकने में कठिनाई होना
- निचले हिस्से या पेट में दर्द या ऐंठन
- प्राइवेट पार्ट में खुजली
- यूरिन से आने वाली तेज दुर्गंध
गंभीर संक्रमण के मामले में गुर्दे भी प्रभावित हो जाते हैं। उस मामले में मितली, तेज बुखार होना, आम बात है। हालांकि गुर्दे का संक्रमण चिकित्सकीय रूप से ब्लैडर संक्रमण से अधिक गंभीर है।
जांच में यूरिन में इनकी उपस्थिति देखते हैं
- सफेद रक्त कोशिकाएं
- लाल रक्त कोशिकाएं
- नाइट्राइट्स
- जीवाणु
उपचार :- कुछ एंटीबायोटिक्स का पूरा कोर्स देकर दर्द को कम कर सकते हैं और इस संक्रमण का इलाज कर सकते हैं।
लंबे समय तक इससे राहत पाने के लिए जीवनशैली में बदलाव के साथ कुछ घरेलू नुस्खों को आजमा सकते हैं।
यह हैं घरेलू उपचार
- पानी : पानी, नारियल पानी कुछ जूस के अलावा अन्य तरल पदार्थ भी पीना चाहिए। यह शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है और बैक्टीरिया को भी बाहर निकाल देता है।
- हीट पैड : पेड़ू यानी पेल्विक के चारों ओर हीट पैड के माध्यम से गर्मी दें। इससे दर्द और जलन को कम करने में मदद मिल सकती है। त्वचा पर सीधे तौर पर हीट का प्रयोग न करें।
- यूरिन : इसे रोककर न रखें। इससे संक्रमण का ख़तरा काफी बढ़ जाता है।
जीवन शैली में बदलाव
- स्वच्छता बनाए रखें
- नमी न रखेें
- टिशू का इस्तेमाल करें
- ढीले और आरामदायक कपड़े पहनें ये नमी होने से रोकते हैं
- आहार गैर मसालेदार हो
- कैफीन की मात्रा अधिक न हो
- आहार में लिक्विड का सेवन संक्रमण के दौरान सबसे अच्छा माना जाता है
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