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कवक, फंगल इन्फेक्शन का इलाज के तरीके – 19 Fungal Infection Treatment in Hindi

फंगल इन्फेक्शन का आयुर्वेदिक इलाज

Gharelu Home Remedies for Fungal Infection Treatment In Hindi : फंगल इन्फेक्शन (Fungal Infection) को कवक संक्रमण भी कहते है, और यह लोगो में होने वाली एक सामान्य समस्या है| जब कोई कवक हमारे शरीर पर पूरी तरह हावी हो जाता है, और हमारे शरीर का Immune System उस कवक से लड़ने में असमर्थ हो जाता है, तब फंगल इन्फेक्शन की समस्या होती है| कुछ कवक हमारे शरीर में स्वाभाविक रूप से होते है, लेकिन कुछ कवक पेड़ पौधों, हवा, पानी और मिट्टी में मौजूद होते है|

ये कवक रोगाणुओं की तरह अधिकतर शरीर के लिए हानिकारक होते है, लेकिन कुछ कवक शरीर के लिए उपयोगी भी होते है| कवक किसी भी प्रकार के वातावरण में जीवित रह सकते है, ऐसे में जब शरीर के लिए हानिकारक कवक शरीर पर हमला करते है, तो इन कवक को मारना बहुत कठिन हो जाता है| कवक के कारण शरीर अनेक प्रकार से संक्रमित हो जाता है| कवक के कारण होने वाले संक्रमण को कवक संक्रमण या फंगल इन्फेक्शन कहते है|

फंगल इन्फेक्शन के लक्षण (Fungal Infections Symptoms in Hindi)

  • त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते पड़ना
  • फंगल इन्फेक्शन से प्रभावित हिस्से में दर्द होना
  • फंगल इन्फेक्शन से प्रभावित हिस्से में पस और दाने निकलना
  • मुंह में लाल और सफ़ेद घाव होना
  • त्वचा का कुछ हिस्सा नरम और सफ़ेद होना
  • स्किन का लाल होना
  • स्किन में दरारे पड़ना
  • स्किन की खाल निकलना और पपड़ी जमना
  • त्वचा पर लाल रंग के पैक्स होना

फंगल इन्फेक्शन के प्रकार (Types of Fungal Infections in Hindi)

मुंह में थ्रश – थ्रश मुँह में होने वाला एक प्रकार का संक्रमण है| यह संक्रमण कैंडिडा नामक यीस्ट के कारण होता है| गाल के अंदर के हिस्से में पीले रंग की परत होना और जीभ पर सफ़ेद रंग की परत जमना मुंह में थ्रश संक्रमण के लक्षण है| जो लोग प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बनाने वाली दवाओं का सेवन करते है, या जो लोग मधुमेह, कैंसर और एचआईवी-एड्स जैसी बीमारी से ग्रसित है, उन्हें फंगल इन्फेक्शन होने का खतरा अधिक रहता है|

नाखून में फंगल इन्फेक्शन – नाख़ून में होने वाला कवक इन्फेक्शन एक प्रकार का विकार होता है| जिसके कारण नाख़ून पीले, दरार युक्त, कमजोर और मोटे हो जाते है| फंगल इन्फेक्शन अधिकतर नाखुनो की ऊपरी सतह पर असर डालता है| नाखून में फंगल इन्फेक्शन अधिकतर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगो और पुरुषो को होता है|

एथलीट्स फुट – यह पैरो में होने वाला कवक संक्रमण होता है| इस प्रकार का संक्रमण फ़ैलाने वाले कवक नम जलवायु वाले स्थान और गर्मियों में अधिक पाए जाते है| जो लोग अधिक टाइट जूते पहनते है, उनमे एथलीट्स फुट संक्रमण होने का खतरा अधिक रहता है| स्विमिंग पूल और ऐसे स्थान पर जहां एक साथ कई लोग नहाते है, वहाँ पर भी यह संक्रमण होने का खतरा रहता है|

दाद – यह त्वचा में होने वाला फंगल इन्फेक्शन होता है, जो आपकी त्वचा को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है| दाद अधिकतर सिर की त्वचा, त्वचा, जांघ, पैरो और जन्नांगों के बीच के हिस्सों में होता है| त्वचा में होने वाले इस कवक इन्फेक्शन का आकर गोल होता है| इसमें त्वचा का प्रभावित हिस्सा लाल पड़ जाता है, और त्वचा में खुजली अधिक आती है| सिर की त्वचा में चोट लगने और अधिक पसीना आने पर दाद होने का खतरा बढ़ जाता है|

कैंडिडियासिस – कैंडिडा एलबिकन्स मुंह और आंत्र पथ में होने वाला एक सामान्य प्रकार का संक्रमण है| कैंडिडा संक्रमण को यीस्ट संक्रमण भी कहते है| यह संक्रमण अधिकतर मुंह की श्लेष्म झिल्ली, आंत और त्वचा पर असर डालता है| अगर आप स्वस्थ हो, तो इस संक्रमण का आप पर कोई गंभीर असर नहीं नजर आएगा, लेकिन जिन लोगो की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उनमे यह संक्रमण शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में फ़ैल जाता है और काफी गंभीर रूप ले लता है|

फंगल इन्फेक्शन से बचाव (Prevention of Fungal Infections in Hindi)

1. फंगल इन्फेक्शन से बचने के लिए अपने मोजों को रोजाना धोकर पहने और नम और ठन्डे क्षेत्रों . में अपने पैरो को साफ़ रखे|

2. अधिक टाइट जूते ना पहने| अधिक टाइट जूते पहनने से संक्रमण होने का खतरा रहता है|

3. फंगल इन्फेक्शन से बचने के लिए सार्वजनिक स्नान, कारपेट बाथरूम और जिम में हमेशा चप्पल पहन कर जाएँ|

4. अपनी स्किन की साफ़ सफाई पर पूरा ध्यान दे और थोड़े थोड़े समय बाद अपने चेहरे को साफ़ पानी से धोते रहे|

5. दुसरो द्वारा इस्तेमाल की गयी टॉवल और साबुन का इस्तेमाल ना करे और ना ही अपना इस प्रकार का कोई सामान किसी को इस्तेमाल कराएं|

6. अधिक टाइट कपडे ना पहने| सूती और साफ़ अंडरवियर और ब्रा पहने| पने अंदुरुनी हिस्सों की भी अच्छी तरह सफाई रखे|

7. अगर आप रोजाना जूते पहनते है, तो कवक संक्रमण से बचने के लिए अपने पैरो में किसी जीवाणुरोधी पाउडर का इस्तेमाल करे|

8. बड़े नाखुनो में अक्सर गन्दगी जमा हो जाती है, जिसके कारण अनेक प्रकार के संक्रमण होने लगते है| ऐसे में अपने नाखुनो की साफ़ सफाई पर ध्यान दे और अधिक लम्बे नाख़ून ना रखे|

9. अगर आपके परिवार में किसी को भी कवक संक्रमण हो, तो बिना देर किए उसका इलाज तुरंत कराये| समय पर इलाज कराने से इसे बचने से रोका जा सकता है और पूरी तरह ठीक भी किया जा सकता है|

10. अपने घर की पूरी तरह से साफ़ सफाई रखे| विशेष रूप से उन हिस्सों की जहाँ आप नंगे पैरे घूमते है|

फंगल संक्रमण का इलाज (Fungal Infection Ka Ilaj)

सेब का सिरका – सेब का सिरका हर प्रकार के फंगल संक्रमण के इलाज में उपयोगी है| सेब के सिरके में अनेक प्रकार के रोगाणुरोधी गुण पाएं जाते है, जिसके कारण सेब का सिरका संक्रमण का कारण बनने वाले कवक को मारने में सहायक है| सेब का सिरका हल्का अम्लीय प्रकर्ति का होता है, जिसके कारण यह संक्रमण को रोकने में सहायक होता है|

फंगल संक्रमण होने पर दो चम्मच सेब के सिरके को एक कप गर्म पाने में घोलकर पियें| इसके अलावा सेब के सिरके की कुछ मात्रा को पानी के साथ मिलाकर उस पानी से फंगल संक्रमण से ग्रसित त्वचा को धोएं| अब इसे कुछ देर ऐसे ही रहने दे और कुछ देर बाद त्वचा को अच्छी तरह सूखा ले| इस घरेलू उपाय का इस्तेमाल तब तक करे, जब तक संक्रमण पूरी तरह ठीक ना हो जाएँ|

लहसुन – लहसुन एक विशेष प्रकार का एंटिफंगल एजेंट है, जिसके इस्तेमाल से अनेक प्रकार के संक्रमण को ठीक किया जा सकता है| लहसुन में अनेक प्रकार के एंटीबायोटिक और जीवाणुरोधी गुण पाए जाते है, जो संक्रमण से लड़ने में सहायक होते है| लहसुन के पेस्ट में जैतून का तेल मिलाकर पेस्ट तैयार करे ले| अब इस पेस्ट को संक्रमण ग्रसित क्षेत्र पर लगाकर आधे घंटे के लिए छोड़ दे| आधे घंटे बाद पेस्ट को गुनगुने पानी से धोकर हटा दे और त्वचा को अच्छी तरह सूखा ले| इस घरेलू नुस्खे का दिन में दो बार जब तक इस्तेमाल करे, जब तक संक्रमण पूरी तरह ठीक ना हो जाएँ|

चाय के पेड़ का तेल – इस तेल में कवक को मारने के लिए उपयोगी प्राकृतिक एंटिफंगल यौगिक पाए जाते है| इसके साथ ही इस तेल में मौजूद एंटीसेप्टिक गुण शरीर में संक्रमण को बढ़ने से रोकते है| चाय के पेड़ के तेल में बराबर मात्रा में जैतून का तेल मिलाकर प्रभावित स्किन के हिस्से में लगाएं| ध्यान रहे गर्भवती महिलाएं इस घरेलू नुस्खे को ना अपनाएं।

नारियल तेल – मध्यम-श्रृंखला फैटी एसिड के कारण किसी भी प्रकार के फफूंद संक्रमण को नारियल का तेल आसानी से ठीक कर सकता है| नारियल तेल में मौजूद फैटी एसिड आसानी से संक्रमण के लिए जिम्मेदार कवक को मार सकते है| नारियल के तेल में बराबर मात्रा में दालचीनी तेल मिलाकर संक्रमण ग्रसित क्षेत्र पर लगाएं| संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इस उपाय को रोजाना दिन में दो बार करे|

इस पोस्ट में हमने आपको फंगल इन्फेक्शन का इलाज बिना दवा घर पर कैसे करे, इसके बारे में जानकारी दी| आपको हमारी ये पोस्ट कैसी लगी, हमें कमेंट करके बताएं| कमेंट करने के लिए पोस्ट के निचे बने कमेंट बॉक्स में जाएँ| अगर आपको हमारी पोस्ट पसंद आयी तो हमें कमेंट करे और हमारी वेबसाइट को रोजाना पढ़ना ना भूले|

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