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साइनस क्या है? व इसके लक्षण | What is Sinus Problem in Hindi

Sinus Kya Hai : Symptoms of Sinus in Hindi

साइनस नाक से जुडी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो खराब जीवनशैली और प्रदूषित वातावरण के कारण होती है| साइनस को आयुर्वेद में प्रतिश्याय कहते है| हमारी खोपड़ी में अनेक प्रकार के खोकले छेद होते है| ये छेद साँस लेने में मदद करते है और हमारे सिर को हल्का बनाये रखते है| खोपड़ी के इन छेद को साइनस कहते है| जब हम अपनी नाक से साँस लेते है, तो हवा इन थैली से होते हुए हमारे फेफड़ो में जाती है| हवा के साथ जो भी धूल आती है, ये थैली उस धूल को रोक देती है|

साइनस की बीमारी सर्दी झुकाम से शुरू होती है और फिर तेजी से वायरल, बैक्टीरियल या फंगल संक्रमण के साथ तेजी से बढ़ती है| साइनस के रोगियों को लेटने, झुकने, देखने और चेहरे या नाक पर दवाब पड़ने से तकलीफ होती है| जब यह तकलीफ बहुत अधिक बढ़ जाती है, तो मरीज के ऊपरी दांतो में भी दर्द होने लगता है| इस बीमारी में व्यक्ति को साँस लेने में तकलीफ होने लगती है|

साइनसाइटिस अधिकतर सामान्य प्रकार के सर्दी झुकाम से शुरू होता है| साइनसाइटिस के कारण साइनस में सूजन आने लगती है| ऐसा होने पर आप नाक बंद होने, सिर दर्द और चेहरे में दर्द का अनुभव करने लगते है| यह बीमारी जब खतरनाक रूप ले लेती है, तो कई बार नाक से हर पदार्थ निकलने लगता है| मरीज को दर्द कितना तेज है, यह इस बात पर निर्भर करता है, कि मरीज को किस प्रकार का साइनसाइटिस है|

साइनस के प्रकार (Types of Sinusitis in Hindi)

तीव्र साइनोसाइटिस (Acute Sinusitis) – साइनस का यह प्रकार अचानक से ही शुरू होता है, लेकिन इसका संक्रमण एक महीने में ही शरीर से चला जाता है, इसीलिए इसे कम समय तक चलने वाला साइनोसाइटिस भी कहते है|

मध्यम तीव्र साइनोसाइटिस (Sub Acute Sinusitis) – इसमें संकरण शरीर में एक महीने से अधिक समय तक बना रहता है, लेकिन तीन महीने में यह संक्रमण शरीर से निकल जाता है|

जीर्ण साइनोसाइटिस (Chronic Sinusitis) – इस प्रकार का संक्रमण शरीर में तीन महीने से अधिक समय तक भी रह सकता है|

आवर्तक साइनोसाइटिस (Recurrent Sinusitis) – इसे बार बार होने वाला साइनोसाइटिस कहते है, क्योंकि इसमें व्यक्ति को एक साल में ही कभी बार साइनोसाइटिस की समस्या का सामना करना पड़ता है|

साइनस के लक्षण (Sinusitis Symptoms in Hindi)

  • जिस भाग में साइनस है, उसे दबाने में दर्द होना
  • नाक बहना या नाक बंद होना
  • कोई गंध ना आना
  • चेहरे पर सूजन आना
  • दांत में दर्द होना
  • गले में दर्द होना
  • बुखार आना
  • सिर में तेज दर्द होना
  • नाक से पीले, सफ़ेद या हरे रंग का कफ निकलना
  • लेटने और झुकने में सिर दर्द बढ़ना
  • कफ जमना
  • खाँसी होना
  • मुँह से तेज बदबू आना

साइनस के कारण (Sinusitis Causes in Hindi)

तनाव – अगर आप हमेशा तनाव में रहते है, तो साइनसाइटिस सहित अनेक प्रकार के गंभीर रोगो से लड़ने के लिए तैयार हो जाये, क्योंकि तनाव अनेक प्रकार के रोगो का कारण है| अधिकतर देखा गया है, कि जो लोग तनाव में रहते है, उन्हें इस बीमारी से उबरने में लम्बा समय लगता है| इसके साथ ही तनाव आपके वात दोष को भी पूरी तरह खराब कर देता है| तनाव के कारण सिर दर्द भी होने लगता है|

वात दोष और कफ का संतुलन बिगड़ना – साइनस संक्रमण होने में वात दोष और कफ का संतुलन बिगड़ने की अहम भूमिका है| सूखे पदार्थ और बहुत अधिक गर्म और ठंडा खाने से इन दोनों चीजों का संतुलन बिगड़ जाता है| जिससे साइनस संक्रमण सहित अनेक कई प्रकार की बीमारियां शरीर को लग जाती है| इनका संतुलन बिगड़ने पर साइनस में सूजन आ सकती है और साइनस में अधिक बलगम बन सकता है| साइनस होने पर अधिक ठंडी चीजे खाना या पीना बहुत खतरनाक हो सकता है|

तेज़ हवा और ठण्ड – अगर आप बहुत अधिक ठंडी और तेज हवाओं वाली जगह में रहते है, तो आपको यह रोग होने के चांस दुगने हो जाते है| ठंडा मौसम और तेज हवाएं साइनसाइटिस के लिए ट्रिगर का काम करता है| तेज हवा और ठंडा मौसम आपके कफ और वात दोष को भी बिगाड़ देता है, जिससे अनेक प्रकार की गंभीर बीमारियां हो सकती है|

वायु प्रदूषण – वायु प्रदूषण भी इस बीमारी को जन्म देता है, इसीलिए ऐसे स्थान पर रहने से बचे जहाँ बहुत अधिक प्रदुषण हो| जिस वातावरण में वायु प्रदूषण होता है, वहाँ के लोग आसानी से साइनसाइटिस से ग्रस्त हो सकते है| गन्दगी में मौजूद जीवाणु आपके शरीर में आसानी से चले जायेगे और साइनसाइटिस सहित अनेक गंभीर रोगो को जन्म दे देंगे| इससे साइनस में संक्रमण हो सकता है या सूजन आ सकती है| पराग कुछ विशेष प्रकार के घटक होते है, जो अधिकतर फूलो में पाए जाते है, इनके कुछ घटक एलर्जी का कारण भी बन सकते है| जिसके कारण नाक के ऊतकों में तेज जलन होने लगती है|

कमजोर पाचन तंत्र – पाचन तंत्र कमजोर होने पर विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकल पाते और ये शरीर में जमने लगते है| समय पर भोजन ना करने, जरूरत से अधिक भोजन करने और भूखे रहने से अपच की समस्या हो जाती है, जिससे पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है| ये सभी समस्या साइनसाइटिस रोग को जन्म देती है|

साइनस से बचाव कैसे करे (Prevention of Sinusitis in Hindi)

साइनसाइटिस श्वसन से जुडी एक गंभीर बीमारी है| इसमें सिर दर्द, नाक भरना, बुखार और सर्दी जुकाम जैसी अनेक प्रकार की प्रॉब्लम होने लगती है| इस समय इन सभी प्रॉब्लम को ठीक करना बहुत मुश्किल होता है| कभी कभी ये सभी प्रॉब्लम अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन संक्रमण अधिक होने पर कभी कभी इसके लक्षण अधिक समय तक शरीर पर दिखाई देते है| गलत खान पान और बैक्टीरिया संक्रमण आदि साइनस संक्रमण का कारण है| लेकिन अगर आप आपने खान पान में थोड़ा बदलाव लाये और अपनी जीवन शैली को सुधारे तो आप इस संक्रमण से बच सकते है|

साइनसाइटिस के संक्रमण से बचने के लिए आहार – हमारे खान पान का सीधा असर वात और कफ दोष पर पड़ता है, ऐसे में हमें क्या खाना चाहिए, इसपर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए| साइनस से बचाव के लिए ठन्डे चीजों को खाने और पीने से बचना चाहिए| घर पर बनाये हल्के और सुपाच्य भोजन का सेवन करे| भारी भोजन करने से पाचन से जुडी समस्या हो सकती है, इसीलिए भारी भोजन का सेवन ना करे| जिन चीजों में वसा अधिक है, उन चीजों के सेवन से भी बचे| फलो में सेब और अनार का सेवन करे| पानी को उबालकर और ठंडा करके पियें| अगर हो सके तो तुलसी और अदरक का काढ़ा पानी के स्थान पर कुछ समय के लिए पियें| यह काढ़ा शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालने में मदद करता है|

एलर्जी से बचे – माइक्रोबियल संक्रमण साइनस का एक मुख्य कारण है और अधिकतर यह सर्दी जुखाम के कारण होता है| ऐसे समय में साफ़ सफाई पर विशेष ध्यान दे, जिससे किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचा जा सके| एलर्जी के कारण भी साइनस संक्रमण हो सकता है, इसीलिए खुद को एलर्जी से बचाकर रखे| धुप के कारण भी कई लोगो को एलर्जी की समस्या का सामना करना पड़ता है, इसीलिए जिन लोगो को धुप से एलर्जी है, वो लोग धुप से बचे| जिन लोगो को सर्दी जुखाम है, उन लोगो से दुरी बनाये रखे|

एलर्जन से दूर रहे – अगर आप साइनसाइटिस से बचना चाहते है, आपको एलर्जन से दूर रहना होगा| इसके लिए आपको अपनी आदतों और जीवनशैली में थोड़ा परिवर्तन लाना होगा| रोजाना सही समय पर भोजन करे| भोजन ना करने से या सही समय पर ना करने से शरीर अच्छे से कार्य नहीं कर पाता, जिसके कारण शरीर से विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर नहीं निकलते| भोजन करने के बाद तो आप धोते ही है, लेकिन भोजन करने से पहले भी हाथ धोने की आदत डाले| रात को जल्दी सोये और सुबह जल्दी उठे| आलस से हमेशा दूर रहे| तनाव को खुद से दूर रखे और हमेशा खुश रहे| नियमित रूप से भाप ले| इससे नाक की गन्दगी दूर हो जाती है|

कपड़ो का सही चुनाव – सर्दियों के मौसम में सर्द हवाएं चलती है, जिसके कारण साइनसाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है| ऐसे में सर्दियों के मौसम में कपड़ो पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए, क्योंकि सर्द हवाएं और ठंडा मौसम कफ़ दोष को बिगाड़ सकता है| सर्दियों में गर्म कपडे पहने| ये कपडे आपको सर्दी से बचाएंगे| जिससे आपका कफ़ दोष का संतुलन बना रहेगा| वायु प्रदूषण भी साइनसाइटिस का कारण है, इसीलिए वायु प्रदूषण से बचे और ऐसे वातावरण में रहे जो शुद्ध हो|

साइनस का निदान कैसे करे (Sinusitis Diagnosis in Hindi)

शारीरिक परीक्षण – डॉक्टर शारीरिक परीक्षण के माध्यम से साइनस का पता लगाने की कोशिश करते है| शारीरिक परीक्षण में डॉक्टर साइनस वाले भाग को दबाकर यह पता लगाते है, कि दर्द हो रहा है या नहीं| इसके साथ ही टॉर्च ऑन करके नाक की जाँच की जाती है| नाक में सूजन, गांठ या नाक की हड्डी टेढ़ी तो नहीं, यह पता लगाने की कोशिश की जाती है|

रक्त परीक्षण – शारीरिक परीक्षण के बाद डॉक्टर रोगी का रक्त परीक्षण करते है| रक्त परीक्षण से यह पता लगाया जाता है, कि शरीर में किसी प्रकार का संक्रमण तो नहीं है|

यंत्र परीक्षण – यंत्र परीक्षण में डॉक्टर एक दूरबीन से नाक की जाँच करते है| इसमें चेहरे का एमआरआई, एक्सरे और सीटी स्कैन भी किया जा सकता है|

इस पोस्ट में आपने साइनस समस्या क्या है / What is Sinus Problem in Hindi इसके बारे में विस्तार से जाना| आपको हमारी ये पोस्ट कैसी लगी, हमें कमेंट के माध्यम से बताये| पोस्ट से जुड़े अपने सवाल भी आप कमेंट के माध्यम से आपसे पूछ सकते है| अगर आप किसी अन्य विषय पर हमसे जानकारी चाहते है, तो उसके बारे में भी आप कमेंट के जरिये हमें बता सकते है|

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