कश्मीर पर अमरीका की मध्यस्थता अब भारत के लिए फायदेमंद।
पाकिस्तान की ओर से आतंक रुकता है तो कश्मीर घाटी में शांति होगी।
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20 अगस्त को सायं चार बजे जब मैंने अपना ब्लॉग संख्या 5 हजार 908 पोस्ट किया था, तब अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मध्यस्थता वाला बयान सामने नहीं आया था। इस ब्लॉग में मैंने ताजा घटनाओं के आधार पर लिखा था कि अमरीका ने कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता शुरू कर दी है, इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इमरान खान से फोन पर अलग अलग बात की है। अमरीका की मध्यस्थता पर मेरा यह ब्लॉग सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेट फार्मों पर देखा जा सकता है। अब 21 अगस्त को ट्रंप का बयान सामने आ गया, इस बयान में ट्रंप कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की बात स्वीकार कर रहे हैं। ट्रंप का कहना है कि मोदी और इमरान खान दोनों उनके अच्छे मित्र हैं और कश्मीर में शांति के लिए जो कुछ भी संभव है वो मैं करूंगा। इसी सप्ताह के अंत में 22 व 23 अगस्त में मेरी मुलाकात भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से होगी। इस मुलाकात में भी कश्मीर में शांति बहाली पर बात करूंगा। 21 अगस्त को ट्रंप का यह बयान तब सामने आया है, जब कश्मीर से अनुच्छेद 370 में बदलाव के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। 370 को निष्प्रभावी करने को भारत अपना आतंरिक मामला मानता है, जबकि पाकिस्तान कश्मीर को विवादित मानता है। हालांकि अनुच्छेद 370 में बदलाव कर भारत ने एक झटके में पाकिस्तान को सबक सिखा दिया और अब यदि अमरीका जैसा शक्तिशाली देश कोई भूमिका निभाता है तो यह भारत के पक्ष में होगा। मध्यस्थता का मतलब यह नहीं कि डोनाल्ड ट्रंप एक टेबल पर नरेन्द्र मोदी और इमरान खान को साथ लेकर बैठे जाएं और कश्मीर पर आपस में बात करने के लिए कहें। अब जब भारत ने पूरे जम्मू कश्मीर प्रांत को केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया है तो कश्मीर घाटी को भी विशेष दर्जा समाप्त हो गया है। भारत का बार बार कहना है कि पाकिस्तान यदि कश्मीर में आतंकी कार्यवाही बंद कर दे तो हम बातचीत के लिए तैयार हैं। अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यह भूमिका हो सकती है कि वे पाकिस्तान पर दबाव डाल कर आतंक को रुकवाएं। यह भारत के लिए फायदेमंद होगा। अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद कश्मीर में जितनी जल्दी शांति होगी उतना ही भारत का फायदा है। अमरीका की अब तक की भूमिका भारत के पक्ष में रही है। चीन के बाद अमरीका ही ऐसा देश है जो पाकिस्तान को समझा सकता है। जहां तक भारत का सवाल है तो कश्मीर समस्या के समाधान के लिए उसे जो करना था वो कर दिया। अब चाहे पाकिसतान यूएन में जाए या फिर इंटरनेशनल कोर्ट में। भारत ने अपने संविधान के मुताबिक फैसला किया है। आज जो अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को समर्थन नहीं मिल रहा है उसमें भारत की कूटनीति ही है।
एस.पी.मित्तल) (21-08-19)
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