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उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही अजमेर भाजपा में बगावत के सुर।

उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही अजमेर भाजपा में बगावत के सुर।
किशनगढ़ में छह मंडल अध्यक्षों का इस्तीफा, ब्यावर में खुली चुनौती, नसीराबाद व पुष्कर में फुसफुसाहट।
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विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही अजमेर जिले में भाजपा में बगावत शुरू हो गई है। किशनगढ़ से वर्तमान विधायक भागीरथ च ौधरी का टिकिट काट कर नए चेहरे विकास च ौधरी को देने के विरोध में सभी छह मंडलों के अध्यक्षों ने अपना इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह, प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भेज दिया है। इस्तीफे में कहा गया है कि भागीरथ च ौधरी ने किशनगढ़ में विकास के नए आयाम कायम किए, लेकिन फिर भी टिकिट काट दिया गया जो पूरी तरह कार्यकर्ताओं और जनभावनाओं के विरुद्ध है। इस्तीफा देने वाले मंडल अध्यक्षों में किशन गोपाल दरगड़, जुगल किशोर शर्मा, गोपाल गुर्जर, रामावतार वैष्णव, निर्मल भंडिया और रामस्वरूप सुंडा है। इसी प्रकार पार्षद नवीन जिंदल, सोनू मालाकार, पकंज मेहरिया, हिम्मत सिंह, राजेन्द्र नुवाल, प्रदीप वाधवा आदि ने भी इस्तीफा दे दिया है। किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र के जिला परिषद तथा पंचायत समिति के सदस्य भी इस्तीफा दे रहे हैं। 12 नवम्बर को ही बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता और नेता जयपुर स्थित भाजपा के मुख्यालय पर पहुंचे और मौजूद केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से स्पष्ट कहा कि यदि भागीरथ सिंह को उम्मीदवार नहीं बनाया तो किशनगढ़ में भाजपा की हार तय है। शेखावत ने भरोसा दिलाया कि उनकी भावनाओं को हाईकमान तक पहुंचा दिया जाएगा। वहीं भागीरथ सिंह च ौधरी का कहना है कि उन्होंने पूरे पांच वर्ष किशनगढ़ के मतदाताओं की सेवा करने में कोई कसर नहीं  छोड़ी। टिकिट कटने का उन्हें बेहद अफसोस है। जानकार सूत्रों के अनुसार विकास च ौधरी की उम्मीदवारी से किशनगढ़ में भाजपा की राजनीति में बड़ा बदलाव भी हो रहा है। अब तक नगर परिषद के पूर्व सभापति सुरेश टांक और विधायक च ौधरी में 36 का आंकड़ा रहा है, लेकिन ताजा घटनाक्रम में दोनों एक जाजम पर बैठने को तैयार हैं। असल में विकास च ौधरी की उम्मीदवारी किसी को भी रास नहीं आ रही है। अलबत्ता विकास च ौधरी पिछले लम्बे अर्से से भाजपा में सक्रिय रहे। पिछले दिनों जन्म दिन के पोस्टरों को लेकर भी विकास च ौधरी और भागीरथ च ौधरी के समर्थकों में विवाद हो गया था। माना जा रहा है कि विकास च ौधरी की उम्मीदवारी के पीछे मंत्री यूनुस खान की महत्वपूर्ण भूमिका है।
ब्यावर में शंकर सिंह रावत की उम्मीदवारी का भी विरोध हो रहा है। राष्ट्रीय रावत सेना के संस्थापक महेन्द्र सिंह रावत निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। रावत ने भी भाजपा का टिकिट मांगा था। लेकिन पार्टी ने ऐनमौके पर लगातार तीसरी बार शंकर सिंह रावत को ही उम्मीदवार बनाया गया है।  ऐसे में रावत समुदाय में भी नाराजगी सामने आ रही है। हालांकि पुष्कर और नसीराबाद में विरोध खुलकर सामने नहीं आया है, लेकिन कपालेश्वर महादेव मंदिर के महंत और भाजपा टिकिट के दावेदार रहे सेवानंदगिरि का कहना रहा कि पांच सितारा होटलों और महल से मामला निकल कर अब जनता की अदालत में आ गया है। पार्टी ने अपने विवेक से उम्मीदवार तय किया है, लेकिन हार जीत का फैसला पुष्कर के मतदाता करेंगे।  उल्लेखनीय है कि पुष्कर से वर्तमान विधायक सुरेश सिंह रावत को दूसरी बार उम्मीदवार बनाया गया है। इसी प्रकार नसीराबाद में भी विरोध की फुसफुसाहट हो रही है। पार्टी ने गत लोकसभा उपचुनाव के पराजीत उम्मीदवार रामस्वरूप लाम्बा को टिकिट दिया है, लेकिन लाम्बा की उम्मीदवारी संगठन के कई नेताओं को रास नहीं आ रही। पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाड़िया, श्रीमती सरिता गैना, ओबीसी मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश भडाना, नगर पालिका के अध्यक्ष योगेश सोनी, सरपंच शक्ति सिंह रावत, रोहित गुर्जर आदि ने भी दमदार तरीके से अपनी दावेदारी प्रस्तुत की थी। लेकिन पार्टी ने लाम्बा को ही सबसे बेहतार उम्मीदवार माना।
एस.पी.मित्तल) (12-11-18)
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