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महबूबा मुफ्ती का पाकिस्तान का राग अलापना कितना मायने रखता है?

क्या वर्तमान हालातांे में वार्ता हो सकती है।
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जम्मू कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर कहा है कि जम्मू कश्मीर में शांति बहाली के पाकिस्तान की वार्ता की जाए। महबूबा भारत सरकार को ऐसा कई बार कह चुकी हैं। लेकिन सवाल उठता है कश्मीर के वर्तमान हालातांे में पाकिस्तान से वार्ता हो सकती है? एक ओर सीमा पार से मिसाइलों के जरिए हमला हो रहा है तो दूसरी ओर पाक प्रशिक्षित आतंकी कश्मीर में घुस कर सुरक्षा बलों पर हमले कर रहे हैं। इस पर जब कोई कार्यवाही की जाती है तो महबूबा के समर्थक ही सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकते है। सुरक्षा बल जब आत्म रक्षा में गोली चलाते हैं तो महबूबा सेना के अधिकारियों के खिलाफ ही एफआईआर करवा देती हैं। जम्मू कश्मीर की सीएम होने के नाते महबूबा का यह दायित्व बनता है कि वह जम्मू कश्मीर खास कर कश्मीर घाटी में शांति बहाली का काम करें, लेकिन पूरा देश देख रहा है कि महबूबा उन तत्वों के खिलाफ खड़ी नजर आती हैं जो देश की एकता और अखंडता को तोड़ना चाहते हैं। इतना ही नहीं सेना का मनोबल गिराने में भी मेहबूबा कोई कसर नहीं छोड़ती है। हाल ही में मेजर आदित्य कुमार के खिलाफ एफआईआर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। अच्छा हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने महबूबा की एफआईआर के अनुसंधान पर रोक लगा दी।  इस पूरे प्रकरण में यह बात सामने आई कि सुरक्षा बलों को जब देश की सरकारों और सत्ता में बैठे लोगों की मदद की जरुरत थी तब सबने मुंह फेर लिया। अकेला सुप्रीम कोर्ट ही रहा जो सेना के साथ खड़ा नजर आया। महबूबा सरकार की एफआईआर पर रोक लगाकर सुप्रीम कोर्ट ने सेना के मनोबल को बढ़ाया है। महबूबा स्वयं देख रही हैं कि आए दिन जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले हो रहे हैं। हाल ही में एक बड़ा हमला तो हिन्दू बहुल्य जम्मू में भी हो गया। सब जानते हैं कि पूर्व में कश्मीर घाटी से हिन्दुओं को पीट पीट कर भगा दिया गया और अब आतंकियों का निशाना जम्मू भी हो रहा है। सत्ता में बैठे नेता माने या नहीं लेकिन जम्मू का हमला बेहद ही गंभीर है। यदि अभी से ही कोई रोकथाम नहीं की गई तो जो हालात कश्मीर घाटी के हैं वो ही हालात आने वाले दिनों में जम्मू के हो जाएंगे और तब देश की सेना को भी कश्मीर के हालात पर नियंत्रण करने में भारी परेशानी होगी। महबूबा को चाहिए कि वे पाकिस्तान से वार्ता करने का राग अलापना छोड़ दे और भारत सरकार के साथ मिल कर ऐसी पहल करे जिससे कश्मीर में आतंकवादियों को मुंह तोड़ जवाब दिया जा सके। यदि महबूबा को पाकिस्तान के साथ इतनी ही हमदर्दी है तो फिर सीमा पार से होने वाले हमले को भी रुकवाएं। महबूबा स्वयं बताएं कि जब पाकिस्तान की ओर से लगातार गोलाबारी हो रही है तब वार्ता कैसे की जा सकती है?

एस.पी.मित्तल) (13-02-18)

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