हो सकता है आपमें से बहुत से लोग इस बात को जानकर चौंक उठे कि भगवान शिव के 5 पुत्र थे क्योंकि आमतौर पर लोग इनके दो पुत्रों के बारे में ही जानते हैं। जबकि पौराणिक कथाओं और पुराणों में इनके पांच पुत्रों का जिक्र आया है।
भगवान शिव के पहले पुत्र थे कुमार कार्तिकेय। इन्हें 6 कृतिकाओं ने पाला इसलिए यह कार्तिकेय कहलाए। इनका अन्य नाम स्कंद भी हैं। इनके जन्म का कारण तारकासुर का वध था। तारकासुर का अंत करने के बाद कार्तिकेय दक्षिण दिशा में बस गए जहां यह मुरुगण कहलाए।
भगवान शिव के दूसरे पुत्र गणेश जी माने जाते हैं। गणेश जी के जन्म को लेकर गणेश पुराण, शिव पुराण में उल्लेख आता है कि देवी पार्वती ने एक मूर्ति का निर्माण किया और वह इतना पसंद आ गया कि देवी ने उसमें प्राण फूंक दिए और गणेश जी सृष्टि में साकार रूप में उत्पन्न हो गए। देवी देवताओं ने सामूहिक रूप से गणेश जी को प्रथम पूज्य और गणनायक स्वीकार कर लिया।
भगवान शिव के तीसरे पुत्र के रूप में अयप्पा को माना जाता है। ऐसी कथा है कि भष्मासुर से भगवान शिव की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया। मोहिनी और भगवान शिव ने उस समय अयप्पा को प्रगट किया। कुमार कार्तिकेय की तरह अयप्पा भी दक्षिण दिशा में बस गए।
भगवान शिव का चौथा पुत्र अंधक हुआ। देवी पार्वती ने मजाक मजाक में भगवान शिव की आंखें मूंद दी इससे सृष्टि में अंधकार छा गया और भगवान शिव का शरीर तेज से गर्म होने लगा तभी शिव जी के शरीर से गिरे पसीने की बूंद से एक अंधा बालक प्रकट हुआ। जन्म से अंधा होने की वजह से यह अंधक कहलाया। भगवान देवी पार्वती और भगवान शिव ने इसे अपना पुत्र मान लिया। बाद में हिरण्याक्ष नामक असुर की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने अंधक को हिरण्याक्ष को दे दिया जो बाद अधंकासुर कहलाया। अंधकासुर के मन में देवी पार्वती के प्रति काम भावना जगने पर स्वयं महादेव ने इसका वध कर दिया था।
भगवान शिव के पांचवें पुत्र का नाम था अंगारक। अंगारक को मंगल ग्रह के रूप में भी जाना जाता है। वैसे कुछ कथाओं में अंगारक को भगवान विष्णु भी उत्पन्न बताया गया है।
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