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पिता पर कुछ कविता | Poem on Father

माँ की तरह ही पिता का हमारे जीवन में बहुत ऊँचा स्थान होता हैं। पिता क्या होता हैं ये उन बच्चों से पुछो जिनके सर से पिता का साया नहीं रहा। एक पिता हमेशा अपने बच्चों और परिवार को हमेशा सब कुछ देने की कोशिश करता हैं। आज हम कुछ कवियों ने पिता पर कुछ कविता – Poem on Father लिखी हैं आज हम उन्हीं कवितायों को पढेंगे।

पिता पर कुछ कविता – Poem on Father

Poem on Father

“पिता”

माँ घर का गौरव तो पिता घर का अस्तित्वा होते हैं.
माँ के पास अश्रुधारा तो पिता के पास संयम होता है.
दोनो समय का भोजन माँ बनाती है
तो जीवन भर भोजन की व्यवस्था करने वाले पिता होते हैं.
कभी चोट लगे तो मुंह से ‘ ओह माँ ’ निकलता है
रास्ता पार करते वक़्त कोई ट्रक पास आकर ब्रेक लगाये तो ‘ बाप रे ’ ही निकलता है.
क्यूं कि छोटे छोटे संकट के लिये माँ याद आती है
मगर बड़े संकट के वक़्त पिता याद आते हैं.
पिता एक वट वृक्ष है जिसकी शीतल च्हाव मे,
सम्पूर्ण परिवार सुख से रहता है…!!!!

Poems for Dads

“पिता क्या होता हैं”

“कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता
अगर जन्म दिया है माँ ने
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता….”

“कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखता है पिता…
कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता…
माँ अगर मैरों पे चलना सिखाती है…
तो पैरों पे खड़ा होना सिखाता है पिता…..”

“कभी रोटी तो कभी पानी है पिता…”
“कभी रोटी तो कभी पानी है पिता…
कभी बुढ़ापा तो कभी जवानी है पिता…
माँ अगर है मासूम सी लोरी…
तो कभी ना भूल पाऊंगा वो कहानी है पिता….”
“कभी हंसी तो कभी अनुशासन है पिता…
कभी मौन तो कभी भाषण है पिता…
माँ अगर घर में रसोई है…
तो चलता है जिससे घर वो राशन है पिता….”
“कभी ख़्वाब को पूरी करने की जिम्मेदारी है पिता…
कभी आंसुओं में छिपी लाचारी है पिता…
माँ गर बेच सकती है जरुरत पे गहने…
तो जो अपने को बेच दे वो व्यापारी है पिता….”
“कभी हंसी और खुशी का मेला है पिता…
कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता…
माँ तो कह देती है अपने दिल की बात…
सब कुछ समेत के आसमान सा फैला है पिता….”

Father Poems

“माँ-बाप”

पिता…पिता जीवन है, सम्बल है, शक्ति है,
पिता…पिता सृष्टि मे निर्माण की अभिव्यक्ति है,
पिता अँगुली पकड़े बच्चे का सहारा है,
पिता कभी कुछ खट्टा, कभी खारा है,
पिता…पिता पालन है, पोषण है, परिवार का अनुशासन है,
पिता…पिता धौंस से चलना वाला प्रेम का प्रशासन है,
पिता…पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है,
पिता…पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान है,
पिता…पिता अप्रदर्शित-अनंत प्यार है,
पिता है तो बच्चों को इंतज़ार है,
पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने हैं,
पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं,
पिता से परिवार में प्रतिपल राग है,
पिता से ही माँ की बिंदी और सुहाग है,
पिता परमात्मा की जगत के प्रति आसक्ती है,
पिता गृहस्थ आश्रम में उच्च स्थिती की भक्ती है,
पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ती है,
पिता…पिता रक्त निगले हुए संस्कारों की मूर्ती है,
पिता…पिता एक जीवन को जीवन का दान है,
पिता…पिता दुनिया दिखाने का एहसान है,
पिता…पिता सुरक्षा है, अगर सिर पर हाथ है,
पिता नहीं तो बचपन अनाथ है,
तो पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो,
पिता का अपमान नहीं उनपर अभिमान करो,
क्योंकि माँ-बाप की कमी को कोई बाँट नहीं सकता,
और ईश्वर भी इनके आशीषों को काट नहीं सकता,
विश्व में किसी भी देवता का स्थान दूजा है,
माँ-बाप की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है,
विश्व में किसी भी तीर्थ की यात्रा व्यर्थ हैं,
यदि बेटे के होते माँ-बाप असमर्थ हैं,
वो खुशनसीब हैं माँ-बाप जिनके साथ होते हैं,
क्योंकि माँ-बाप के आशिषों के हाथ हज़ारों हाथ होते हैं
क्योंकि माँ-बाप के आशीषों के हाथ हज़ारों हाथ होते हैं. .

Fathers Day Poems

“माँ की ममता को तो… सब ने ही स्वीकार है…..
पर पिता की परविरश को…..कब किसने ललकार है…!!
मुस्किलो की घंडियों में अक्सर ….मेरे साथ खड़े थे वो…..
मेरी गलतिया थी फिर भी……मेरी खातिर लड़े थे वो…!!
कमियों की अहसास …. मुझको कभी तो हो न पायी ….
कपकपा कर सोते थे वो.,…मेरे ऊपर थी रजाई ….!!
माँ की गोदी की गर्माहट…के बराबर उनकी थपकी….
कंधे उनका बिस्तर मरी….. आंखे हलकी सी जो झपकी….!!
उनके होसलो ने कभी न …..आँखे नम होने दिए है…..
जितने थी मेरी जरूरत….. सबको तो पूरी किया है…!!
उनकी लाड में जो पाया….थोड़ी कड़वापन सही ….
मेरी खातिर मुझे डाटा…… था वही बचपन सही….!!
जिंदगी की दौड़ में अब ….अपने पारों पर खड़े ….
उनके जज़्बों की बदौलत …… मुस्किलो से हम लड़े….!!
सर पे उनका साया जब तक ….. चिंता न डर है कोई…!!
उनके कंधो की बदौलत बढ़ रही है जिंदगी ……!!

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