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भारत का संविधान कब और किस लिए बनाया गया भारतीय संविधान

भारत का संविधान कब और किस लिए बनाया गया Bhaarat Ka Sanvidhaan: Indian Constitution को जानने से पहले मैं आपको ये बता देता हु की संविधान क्या है और आखिर इसकी उपयोगिता क्या है भारतीय संविधान एक प्रशासनिक प्रावधानों का एक दस्तावेज है इस दस्तावेज में लिखा गया है की हर एक शब्द हमारी सरकार की मूल सरंचना को निर्धारित-आधारित है.

प्रत्येक भारत सरकार संविधान के अनुसार अपना काम करती है और सरकार के अधिकार गतिविधि और उसकी बनावट सरकार को क्या-क्या करना है या क्या नहीं करना है वैसे तो सभी संविधान में आपको  परिभाषित मिलेंगे ही संक्षेप में भारतीय संविधान एक नियमों का बहूत ही भरी किताब है.

और ये नियम सरकार के मुख्य अंग- शिक्षक कर्मचारी और न्यायपालिका की बनावट मे निर्धारित करते हैं मैं यदि आपसे पुछु कि भारतीय संविधान के बारे में आपका क्या विचार है तो आप बड़ी-बड़ी बातें (संविधान गीता है संविधान बाइबिल है, और संबिधान  धर्म ग्रन्थ है ऐसी बातें कहेंगे हैं ना? आईए जानते है भारतीय संविधान से जुड़ी कुछ रोचक बातें.

भारत का संविधान बनाने में किसकी भूमिका है

भारत का वास्तव मे विकास अंग्रेजी राज्य की स्थापना से प्रारंभ होता है और हमारे बंगाल में अंग्रेजी राज्य की स्थापना को ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारियों ने किया था| ईस्ट इंडिया कंपनी का उद्देश्य भारत और बाहर के  देशों के व्यापार से लाभ उठाना था.

पर भारत की राजनीतिक दुर्दशा का लाभ उठाकर कम्पनी के कर्मचारियों ने राजकीय मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया साथ ही साथ 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु के बाद भारत की एकता छिन्न-भिन्न हो गई और इसका लाभ कम्पनी ने पूर्ण रूप से उठाया अंग्रेजों ने भारत में 1947 ई. तक राज किया.

और उनके शासन काल में समय-समय पर भारतीय शासन-व्यवस्था में अनेक परिवर्तन किये गए| तथा 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ और उसके बाद भारतीय गणतंत्र के संविधान का निर्माण हुआ जो 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ अध्ययन की सुविधा के लिए भारत का संविधान को 6 चरणों में विभाजित किया जाता है.

  • प्रथम चरण (1773-1857 ई. तक)
  • द्वितीय चरण (1858-1909 ई. तक)
  • तृतीय चरण (1910-1939 ई. तक)
  • चतुर्थ चरण (1940-1947 ई. तक)
  • पंचम् चरण (1947-1950 ई. तक)
  • षष्ठम् चरण (1950 ई. से आज तक)

भारत का संविधान कब और किस लिए बनाया गया

रेगुलेटिंग एक्ट (1773) Regulating Act – Indian Constitution

अंग्रेज रेगुलेटिंग एक्ट 1773 में लगाया गया और  भारत का संविधान (samvidhan) की नींव रेगुलेटिंग एक्ट के द्वारा ही रखी गयी इसके अंतर्गत हमारे बंगाल में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन के लिए एक परिषद् की स्थापना की गयी थी परिषद् में चार सदस्य और एक गवर्नर जनरल भी था.

सबसे पहला गवर्नर वारेन हेस्टिंग्स बना और उसके पास अब बंगाल के फोर्ट विलियम के सैनिक और असैनिक प्रशासन के अधिकार थे इसी एक्ट के जरिये कलकत्ता में एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना 1774 में हुई थी सर अजीला इम्पे प्रथम मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया.

संशोधित अधिनियम (1781) Amended Act of 1781

कालान्तर में रेगुलेटिंग एक्ट में कुछ सुधार हो गया या संशोधन की आवश्यकता पड़ी और रेगुलेटिंग एक्ट के अनुसार यह निर्धारित किया गया था कि कम्पनी के अधिकारी के शासकीय कार्यों के मामले नए-नए बने सर्वोच्च न्यायालय में जाते थे पर संशोधन अधिनियम 1781 के द्वारा अधिकारियों के शासकीय कार्यों के मामलों को सर्वोच्च न्यायालय के परिधि से बाहर कर दिया गया सर्वोच्च न्यायालय के कार्यक्षेत्र को स्पष्ट किया गया.

भारतीय संविधान (Indian Constitution)

पिट का इंडिया एक्ट (1784) Pitt’s India Act

पिट नामक इंसान  को 1784  में इंग्लैंड का नया प्रधानमंत्री बनाया गया ब्रिटिश सरकार ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) को स्वतंत्र नहीं छोड़ना चाहती थी और उसकी पूरी कोशिश रहती थी की कम्पनी की हर गतिविधि का उन्हें पता चलता  रहे और उसकी सभी  लगाम सरकार के पास रहे.

इसीलिए पिट के इस एक्ट के द्वारा कम्पनी के मामलों पर ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण को बढ़ा दिया  गया एक चांसलर, राज्य सचिव चार अन्य सदस्य प्रतिनिधि के रूप में ब्रिटिश सरकार के द्वारा जबरदस्ती ठूंसे गए गुप्त समिति बनायी गयी और मद्रास तथा बम्बई प्रेसिडेन्सियों को भी गवर्नर जनरल तथा उसकी परिषद् के अधीन कर दिया गया था.

1786 का अधिनियम Act of 1786

पिट ने लॉर्ड कार्नवालिस को गवर्नल जनरल के रूप में समानीत किया कार्नवालिस ने जिद की कि वह तभी ये पद संभालेगा जब उसे गवर्नल जनरल के साथ-साथ मुख्य सेनापति भी बना दे  और 1786 के अधिनियम के तहत यह भी प्रावधान जोड़ा जाए कि मैं (यानी कार्नवालिस Cornwallis) विशेष परिस्थितियों में अपनी कौंसिल को रद्द कर सकूं.

भारतीय संविधान: संक्षिप्त परिचय

चार्टर एक्ट (1793) Charter Act of 1793

इस एक्ट के तहत व्यापारिक अधिकार को भारत में २० वर्ष तक और बढ़ा दिया गया अपने कौंसिलों के निर्णय को ख़तम  करने का अधिकार (जो 1786 के अधिनियम में सिर्फ गवर्नर जनरल कार्नवालिस के पास था) गवर्नल जनरल के साथ-साथ अन्य गवर्नरों को भी दिया गया.

चार्टर एक्ट (1813) Charter Act of 1813

  • इस एक्ट के द्वारा कम्पनी के व्यापारिक सभी अधिकार  को समाप्त कर दिया गया.
  • चीन के साथ चाय के व्यापार का अधिकार अब भी कम्पनी के पास था.
  • ईसाई धर्म प्रचारकों को भारतीय क्षेत्र में बसने की अनुमति दी गयी थी.
  • कम्पनी का भारतीय प्रदेशों और राजस्व पर 20 वर्षों   का नियन्त्रण स्वीकार किया गया.

चार्टर एक्ट (1833) Charter Act of 1833

फिर से 20 वर्ष तक के लिए कम्पनी का भारतीय प्रदेशों और राजस्व पर नियंत्रण स्वीकार किया गया कम्पनी के चीन के साथ चाय व्यापार के एकाधिकार को समाप्त कर दिया गया और  एक बड़ा परिवर्तन यह हुआ कि बंगाल के गवर्नर जनरल को पूरे भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया.

अभी तक गवर्नल जनरल के कार्यकारिणी में तीन सदस्य होते थे और अब चौथा सदस्य भी आ गया  वह था लॉर्ड मकौले उसे विधि सदस्य बनाया गया दास प्रथा को ख़त्म करने का प्रावधान इसी चार्टर एक्ट में किया गया था.

Indian Constitution: A brief Introduction in hindi

चार्टर एक्ट (1853) Charter Act of 1853

फिर 20 साल के  बाद चार्टर एक्ट आ ही गया इसी एक्ट के द्वारा शासकीय सेवा के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं का प्रावधानकिया गया.

भारत सरकार अधिनियम (1858)  Government of India Act 1858

1857 के सैनिक विद्रोह के बाद महारानी जी ने अपने कम्पनी के एकच्छत्र राज को ख़त्म कर दिया और भारत को सम्पूर्ण तौर पर ब्रिटिश सरकार के अधीन कर दिया था. इस एक्ट का एक और नाम भी है –  एक्ट ऑफ़ बेटर गवर्नमेंट इन इंडिया 1857 के जन-विद्रोह के कारण ब्रिटिश सरकार को ये लगने लगा कि भारत ऐसा भरा-पूरा देश है की कंपनी लापरवाही से कहीं हाथ से निकल न जाए और इसीलिए उसने भारत की कमान पूरी तरह अपने हाथ में ले ली और इस एक्ट के जरिये कम्पनी के प्रशासन को ख़त्म कर दिया था.

पहले संचालक मंडल और नियंत्रक मंडल भी  होता था और अब उसके बदले भारत सचिव की नियुक्ति किया गया उसकी सहायता के लिए 15 सदस्यीय इंडिया काउंसिल (India Council) बनायी गयी थी.

भारत परिषद् अधिनियम (1861) India Council Act of 1861

इस अधिनयम के जरिये वायसराय का अध्यादेश जारी करने के विशेषाधिकार दिए गए था यह भी कहा गया था कि ब्रिटिश सम्राट भारत सचिव का सहयोग या राय लेकर किसी भी एक्ट को रद्द कर सकता है.

एक परिचय Bharat के  Sanvidhan के बारे में

भारत परिषद् अधिनियम (1892) India Council Act of 1892

इस अधिनियम के जरिये पहली बार निर्वाचन प्रणाली को लाया गया अब राज्यों के विधान मंडल के सदस्य केन्द्रीय विधान मंडल के 5 सदस्यों का निर्वाचन कर रहे है राज्यों के विधान मंडल के सदस्य अब केन्द्रीय बजट पर बहस भी कर सकते थे हांलाकि अब भी उनके पास बजट पर मत देने का अधिकार नहीं था.

भारत परिषद् अधिनियम (1909) India Council Act of 1909

इस अधिनियम को मार्ले-मिन्टो सुधार (Morley-Minto Reform 1909) भी खा जाता  हैं. भारत सचिव मार्ले और वायसराय मिन्टो के नाम से ही यह अधिनियम जाना जाता है इस अधिनियम के माध्यम से केन्द्रीय विधान मंडल के सदस्यों की संख्या 16 से 60 तक बढ़ाई गयी थी पहली बार केन्द्रीय विधान परिषद् में निर्वाचित सदस्यों के निर्वाचन के लिए साम्प्रदायिक निर्वाचन प्रणाली का concept आया विधान परिषद् के सदस्यों को बहुत सारे हक मिले — अब वे बजट पर नया प्रस्ताव रख सकते थे|

भारत का संविधान हिंदी

भारत सरकार अधिनियम (1919) Govt. of India Act 1919

इस अधिनियम को मौन्टेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार Montagu–Chelmsford Reforms के नाम से भी जाना जाता है इसी अधिनियम के माध्यम से केंद्र में द्विसदनात्मक व्यवस्था (bicameral system)  का निर्माण भी हुआ जो आज लोक सभा और राज्य सभा के रूप में प्रस्तुत है.

उस समय लोक सभा को केन्द्रीय विधान सभा और राज्य सभा को राज्य परिषद् करके संबोधित किया जाता था और केन्द्रीय विधान सभा में 140 सदस्य (140 members) थे जिसमें 57 निर्वाचित सदस्य (57 elected members) थे राज्य परिषद् में 60 सदस्य थे जिसमें 33 निर्वाचित थे प्रांतीय बजट (provincial budget) को केन्द्रीय बजट (central budget) से अलग इसी अधिनियम के माध्यम से किया गया था.

भारत सरकार अधिनियम (1935) Govt. Of India Act 1935

तीन गोलमेज सम्मेलनों के बाद कियागया यह अधिनियम में 321 अनुच्छेद (321 articles) थे यह अधिनियम सबसे अधिक विस्तृत था इसके द्वारा भारत परिषद् India Council को समाप्त कर दिया गया था प्रांतीय विधानमंडलों की संख्या में वृद्धि की गयी थी बर्मा के प्रशासन भारत के प्रशासन से अलग कर दिया गया था.

भारत का संविधान का इतिहास

संविधान सभा (1946) Constitutional Assembly

संविधान (samvidhan) बनाने के लिए संविधान सभा का गठन भी किया गया और संविधान सभा के सदस्य को भारत के राज्यों के सदनों के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने जाने वाले थे और यह चुनाव 9 जुलाई, 1946 को हुआ। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को हुई.

और जवाहरलाल नेहरू, डॉ भीमराव अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य के रूप मे  थे। बाद में यही संविधान (samvidhan) सभा दो हिस्सों में बंट दी गयी जब पाकिस्तान अलग राष्ट्र बन गया था भारतीय संविधान सभा और पाकिस्तान की संविधान सभा.

भारत का संविधान के बारे में पूरी जानकारी

संविधान सभा से सम्बंधित कुछ महत्त्वपूर्ण कालक्रम (Datelines of Constitutional Assembly)

वेवेल के स्थान पर माउन्टबेटन भारत के नए वायसराय के रूप में नियुक्त किये गया था. मुस्लिम लोग अपना अलग देश चाहता था मगर माउन्टबेटन, गाँधी जी और अन्य लोग की मीटिंग हुई. भारतीय समस्या को देखते हुए माउन्टबेटन ने 3 जून की योजना June 3 Plan घोषित कर दी.

इस योजना में प्रावधान था कि भारत को दो टुकड़े मे बिवाजित किया जयेगा और दूसरा टुकड़ा पाकिस्तान होगा. पंजाब और बंगाल के विभाजन के लिए जनमत संग्रह कराया जायेगा. और जो रियासत हैं वे अपने इच्छानुसार भारत या पाकिस्तान में शामिल हो जाएँ भारत और पाकिस्तान को राष्ट्रमंडल की सदस्यता के त्याग का अधिकार होगा और यह योजना कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने स्वीकार कर ली. फिर भारतीय स्वंत्रता अधिनियम पारित हुआ.

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 (Indian Independence Act 1947)

जुलाई 1947 को एक विधेयक पेश किया गया था. और यह विधेयक भारतीय स्वतंत्रता अधिनयम के रूप में 18 जुलाई, 1947 को प्रस्तुत  हुआ था इसमें प्रमुख बातें भी शामिल थीं.

  • 15 अगस्त 1947  को भारत तथा पाकिस्तान की स्थापना की जायेगी
  • नया संविधान (samvidhan) जब तक बनाया गया तब तक 1935 अधिनियम Government of India Act 1935 के माध्यम से ही सरकार अपना कार्य करेगी.
  • ब्रिटिश क्राउन British Crown का भारतीय रियासितों पर अपना प्रभुत्व खत्म हो जाएगा
  • भारत सचिव का पद  पूरा ख़त्म कर दिया जायेगा.

15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्रता अधिनियम लागू होते ही हमारा  भारत आजाद मुल्क हो गया और वर्षों से गुलाम रहा भारत अब संप्रभुता सम्पन्न हो गया और उधर मुस्लिम लीग ने लियाकत अली को प्रधानमंत्री और जिन्ना को गवर्नर जनरल बनाया गया इधर भारत में कांग्रेस ने नेहरु को प्रधानमन्त्री और माउंटबेटन को गवर्नर जनरल बनाया.

अब आप ही सोचिये.. पाकिस्तान में तो लियाक़त अली और जिन्ना ने अपना सिक्का जमा लिया था मगर हम हिन्दुस्तानी अब भी माउंटबेटन को ढो रहे थे उसकी जगह हम किसी भी भारतीय नेता को गवर्नर जनरल बना सकते थे मगर ऐसा कहा जाता है कि नेहरु के कुछ निजी स्वार्थ थे जिसके कारण पूरा भारत स्वतंत्रता के बाद भी एक अँगरेज़ के निगरानी में रहने को मजबूर था.

भारत संविधान (Samvidhan) की उद्देशिका

हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य  बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए.

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तथा उन सबमें, व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित कराने वाली, बंधुता बढ़ाने के लिए, दृढ़ संकल्प होकर अपनी संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ईस्वी (मिति माघशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान (samvidhan) को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

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