एक बार के राजा को अपने पडोसी शत्रु राजा के साथ युद्ध करना पड़ा। युद्ध बहुत दिन तक चला और राजा के बहुत सारे सैनिक और हज़ारों घोड़े मारे गए। इस युद्ध में राजा अपने राज्य का एक महत्वपूर्ण भूभाग हार गया। राजा को अपने हारे हुए राज्य का हिस्सा वापस लेना था. युद्ध क्षेत्र ऐसे स्थान पर था जहाँ सिर्फ घुड़सवार सैनिक से ही युद्ध जितना संभव था। राजा ने अपने मंत्री से इस विषय में मंत्रणा की। राजा का मंत्री बहुत होशियार था। उसने राजा से कहा महाराज ! अपने प्रधान सेनानायकों के साथ एक बैठक की जाए।
बैठक में निर्णय लिया गया की अपने पास सैनिकों की कमी तो पूरा की जा सकती है लेकिन युद्ध के घोड़ों की कमी नहीं पूरी की जा सकती। इसके लिए हम अपने राज्य में सुलभ गदहों से काम चला लेंगे। जिन जिन धोबियों के पास गदहे हैं उन सभी धोबियों को निर्देश दिया जाए कि, वो राज दरबार में उपस्थित हो। राजा के कर्मचारी पुरे नगर में ढोल बजाकर इस बात की घोषणा कर दिए. राजाज्ञा का पालन करते हुए सभी धोबी राज दरबार में उपस्थित हुए। राजा के मंत्री ने सभी धोबियों को सम्बोधित करते हुए कहा। आप सभी के पशु हमारे घुड़सवार सैनिकों की सेवा में बहाल किये जाएंगे। आप अपने पशुओं को अच्छी तरह खिलाईये और इन्हे दौड़ने का प्रशिक्षण दीजिये।
मंत्री के मुख से ऐसा सुनकर सभी धोबी बहुत हर्षित हुए और अपने अपने घर चले गए। सभी अपने अपने पशु पर विशेष ध्यान देने लगे। कईयों ने गधो के आहार दोगुना कर दिए. इसी क्रम में कई लोग अपने गधे के दौरने के साथ साथ यथासंभव युद्ध कला का प्रशिक्षण भी देने लगे। इस एक महीने के विशेष ध्यान पर सभी गधे मोटे तगड़े और पहले से ज्यादा फुर्तीले हो गए। कई गधों की हरकत देखकर उनके गधा होने पर संदेह होने लगता।
इतिहास में पहली बार गधों का चयन प्रक्रिया से चयन हुआ. सभी गधे राजा की घुड़सवार सैनिकों की सेवा में लगा दिए गए।
राजा ने शत्रु राजा के खिलाफ युद्धः की उद्घोषणा स्वरुप शंखनाद किया। विजय की मद में चूर शत्रु राजा ने राजा के सैन्य समर्थ का अवमूल्यन किया। परिणामस्वरूप राजा इस युद्ध में गधे सवार सैनिकों से घुड़सवार सैनिकों के खिलाफ युद्ध जीत गया.
बैठक में निर्णय लिया गया की अपने पास सैनिकों की कमी तो पूरा की जा सकती है लेकिन युद्ध के घोड़ों की कमी नहीं पूरी की जा सकती। इसके लिए हम अपने राज्य में सुलभ गदहों से काम चला लेंगे। जिन जिन धोबियों के पास गदहे हैं उन सभी धोबियों को निर्देश दिया जाए कि, वो राज दरबार में उपस्थित हो। राजा के कर्मचारी पुरे नगर में ढोल बजाकर इस बात की घोषणा कर दिए. राजाज्ञा का पालन करते हुए सभी धोबी राज दरबार में उपस्थित हुए। राजा के मंत्री ने सभी धोबियों को सम्बोधित करते हुए कहा। आप सभी के पशु हमारे घुड़सवार सैनिकों की सेवा में बहाल किये जाएंगे। आप अपने पशुओं को अच्छी तरह खिलाईये और इन्हे दौड़ने का प्रशिक्षण दीजिये।
मंत्री के मुख से ऐसा सुनकर सभी धोबी बहुत हर्षित हुए और अपने अपने घर चले गए। सभी अपने अपने पशु पर विशेष ध्यान देने लगे। कईयों ने गधो के आहार दोगुना कर दिए. इसी क्रम में कई लोग अपने गधे के दौरने के साथ साथ यथासंभव युद्ध कला का प्रशिक्षण भी देने लगे। इस एक महीने के विशेष ध्यान पर सभी गधे मोटे तगड़े और पहले से ज्यादा फुर्तीले हो गए। कई गधों की हरकत देखकर उनके गधा होने पर संदेह होने लगता।
इतिहास में पहली बार गधों का चयन प्रक्रिया से चयन हुआ. सभी गधे राजा की घुड़सवार सैनिकों की सेवा में लगा दिए गए।
राजा ने शत्रु राजा के खिलाफ युद्धः की उद्घोषणा स्वरुप शंखनाद किया। विजय की मद में चूर शत्रु राजा ने राजा के सैन्य समर्थ का अवमूल्यन किया। परिणामस्वरूप राजा इस युद्ध में गधे सवार सैनिकों से घुड़सवार सैनिकों के खिलाफ युद्ध जीत गया.
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