भारत को गोल्ड दिलवाने वाली एथलिट हिमा दास का जीवन परिचय | Athlete Hima Das Biography (Birth, Family, Caste) and Professional Career in Hindi
असम की रहने वाली हिमा की World U-20 Championships 2018 अंतरराष्ट्रीय कामयाबी के बाद फ़िनलैंड से लेकर पूरे हिंदुस्तान तक चर्चा है. हिमा ने 400 मीटर की दौड़ स्पर्धा में 51.46 सेकेंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता, उनके पीछे रोमानिया की एंड्रिया मिक्लोस 52.07 सेकेंड के साथ दूसरे और अमरीका की टेलर मैनसन 52.28 सेकेंड के साथ तीसरे स्थान पर रहीं.
हिमा दास का जन्म और परिवार (Hima Das Birth and Family)
Hima Das का जन्म 9 जनवरी को 2000 को असम राज्य के नागाव जिले के ढिंग में हुआ था. हिमा एक बंगाली ब्राह्मण परिवार से हैं. हिमा के पिताजी का नाम रोंजित दास है. वह खेती का काम करते हैं. हिमा की माताजी का नाम जोमाली दास हैं. वह एक गृहणी हैं. उनके घर में कुल 16 सदस्य हैं. घर की आर्थिक स्थिति ऐसी है कि बस अपने खाने-पीने की व्यवस्था हो जाती है. हिमा की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही पूरी हुई.
हिमा दास का करियर (Hima Das Intial Career)
नौगांव में अक्सर बाढ़ के हालात बन जाते हैं वह जगह बहुत अधिक विकसित नहीं है. जब हिमा गांव में रहती थी तो बाढ़ की वजह से कई-कई दिन तक प्रैक्टिस नहीं कर पाती थी क्योंकि जिस खेत या मैदान में वह दौड़ की तैयारी करती, बाढ़ में वह पानी से लबालब हो जाता.
जब वर्ष 2017 में हिमा राजधानी गुवाहाटी में एक कैम्प में हिस्सा लेने आई थीं तब उनपर निपुण की नज़र उन पर पड़ी. जिसके बाद निपुण ने ही हिमा को एथलिट के गुण सिखाये. निपुण उनके बारे में बताते हैं, “वह जनवरी का महीना था हिमा एक स्थानीय कैम्प में हिस्सा लेने राजधानी गुवाहाटी आई थी, वह जिस तरह से ट्रैक पर दौड़ रही थी, मुझे लगा कि इस लड़की में आगे तक जाने की काबिलियत है.”
इसके बाद निपुण हिमा के गांव में उनके माता-पिता से मिलने गए और उनसे कहा कि वे हिमा को बेहतर कोचिंग के लिए गुवाहाटी भेज दें. हिमा के माता-पिता गुवाहाटी में उनके रहने का खर्च नहीं उठा सकते थे. लेकिन बेटी को आगे बढ़ते हुए भी देखना चाहते थे. इस मुश्किल स्थिति में निपुण ने ही एक रास्ता निकाला.
वे बताते हैं, “मैंने हिमा के माता-पिता से बातचीत की और उन्हें कहा कि हिमा के गुवाहाटी में रहने का खर्च मैं खुद उठाऊंगा, बस आप उसे बाहर आने की मंजूरी दें. इसके बाद वे हिमा को बाहर भेजने के लिए तैयार हो गए.”
शुरुआत में हिमा को फ़ुटबॉल खेलने का शौक था, वे अपने गांव या ज़िले के आस पास छोटे-मोटे फ़ुटबॉल मैच खेलकर 100-200 रुपये जीत लेती थी. फ़ुटबॉल में खूब दौड़ना पड़ता था, इसी वजह से हिमा का स्टैमिना अच्छा बनता रहा, जिस वजह से वह ट्रैक पर भी बेहतर करने में कामयाब रहीं.
निपुण कहते हैं कि जब उन्होंने हिमा को फ़ुटबॉल से एथलेटिक्स में आने के लिए तैयार किया तो शुरुआत में 200 मीटर की तैयारी करवाई, लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि वे 400 मीटर में अधिक कामयाब रहेंगी.
फिनलैंड विश्व अंडर 20 चैंपियनशिप (Hima Das in Finland Under-20 Championship)
रेस के शुरुआती 35 सेकेंड तक हिमा शीर्ष तीन में भी नहीं थीं, शायद ही किसी ने उन्हें फ़िनलैंड के ट्रैक पर लाइव दौड़ते हुए देखा होगा.लेकिन एक शख्स थे जिन्हें हिमा की इस रेस का बेसब्री से इंतज़ार था. वे थे उनके कोच निपुण दास. हिमा के यूं अंतिम वक़्त में रफ़्तार पकड़ने पर निपुण दास कहते हैं, “रेस में जब आखिरी 100 मीटर तक हिमा चौथे स्थान पर थी तो मुझे यक़ीन हो गया था कि वह इस बार गोल्ड ले आएगी, मैं उसकी तकनीक को जानता हूं वह शुरुआत में थोड़ी धीमी रहती है और अपनी पूरी ऊर्जा अंतिम 100 मीटर में लगा देती है. यही उसकी खासियत है.”
निपुण कहते हैं, “हिमा को ट्रैक के कर्व (मोड़) पर थोड़ी समस्या होती है यह बहुत हल्की सी दिक्कत है. यही वजह है कि शुरुआत में वह हमेशा पीछे ही रहती है लेकिन जब ट्रैक सीधा हो जाता है तो वह तेज़ी से रिकवर करते हुए सबसे आगे निकल जाती है.”
Hima Das Biography
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