एक व्यंग्य = -----अन्तरात्मा की आवाज़ ---आत्मा----जीवात्मा----परमात्मा-----अन्तरात्मा------खात्मा इन सबमें क्या ’कामन’ है।---तमा-- --तम्मा...तमा..लोगे---तमा ---तमा ...तमा --लोगे----सारा जहाँ है निकम्मा--- अरे! यह तो फ़िल्मी गाना है--। हाँ तो क्या हुआ ? ’इसी अन्तरात्मा की --तमा --तमा--- की आवाज़ पर तो सारा राजनीतिक फ़िल्मी ड्रामा होता है } और फिर -"सारा जहाँ है निकम्मा’ बताया जाता है। इस ’
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