Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

एक व्यंग्य :---अन्तरात्मा की आवाज़

एक व्यंग्य = -----अन्तरात्मा की आवाज़ ---आत्मा----जीवात्मा----परमात्मा-----अन्तरात्मा------खात्मा इन सबमें क्या ’कामन’ है।---तमा-- --तम्मा...तमा..लोगे---तमा ---तमा ...तमा --लोगे----सारा जहाँ है निकम्मा--- अरे! यह तो फ़िल्मी गाना है--। हाँ तो क्या हुआ ? ’इसी अन्तरात्मा की --तमा --तमा---  की आवाज़ पर तो सारा राजनीतिक फ़िल्मी  ड्रामा होता है } और फिर -"सारा जहाँ है  निकम्मा’ बताया जाता है। इस ’

Share the post

एक व्यंग्य :---अन्तरात्मा की आवाज़

×

Subscribe to अल्लम्...गल्लम्....बैठ निठ्ठ्लम्...

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×