चिट्ठा
रोज भी
लिखा
जाता है
चिट्ठा
रोज नहीं
भी लिखा
जाता है
इतना
कुछ
होता है
आसपास
एक के नीचे
तीन छुपा
ले जाता है
मजबूरी है
अखबार
की भी
सब कुछ
सुबह
लाकर नहीं
बता पाता है
लिखना
लिखाना
पढ़ना
पढ़ाना
एक साथ
एक जगह
होता देखा
जाता है
चिट्ठाकारी
सबसे बड़ी है
कलाकारी
हर
कलाकार
के पास
होता है
पर्दा
खुद का
खुद
ही खोला
खुद ही
गिराया
जाता है
खुद छाप
लेता है
रात को
अखबार
अपना
सुबह
खुुुद पढ़ने
बिना नागा
आया जाता है
अपनी
खबर
आसानी
से छपने
की खबर
मिलती है
कितने लोग
किस खबर
को ढूँढने
कब
निकलते हैं
बस यही
अंदाज
यहाँ नहीं
लगाया
जाता है
जो भी है
बस
लाजवाब है
चिट्ठों की दुनियाँ
‘उलूक’
अपनी
लिखी
किताब
खुद पढ़ना
यहाँ के
अलावा
कहीं
और नहीं
सिखाया
जाता है ।
“ हैप्पी ब्लॉगिंग”
चित्र साभार: Dreamstime.com
रोज भी
लिखा
जाता है
चिट्ठा
रोज नहीं
भी लिखा
जाता है
इतना
कुछ
होता है
आसपास
एक के नीचे
तीन छुपा
ले जाता है
मजबूरी है
अखबार
की भी
सब कुछ
सुबह
लाकर नहीं
बता पाता है
लिखना
लिखाना
पढ़ना
पढ़ाना
एक साथ
एक जगह
होता देखा
जाता है
चिट्ठाकारी
सबसे बड़ी है
कलाकारी
हर
कलाकार
के पास
होता है
पर्दा
खुद का
खुद
ही खोला
खुद ही
गिराया
जाता है
खुद छाप
लेता है
रात को
अखबार
अपना
सुबह
खुुुद पढ़ने
बिना नागा
आया जाता है
अपनी
खबर
आसानी
से छपने
की खबर
मिलती है
कितने लोग
किस खबर
को ढूँढने
कब
निकलते हैं
बस यही
अंदाज
यहाँ नहीं
लगाया
जाता है
जो भी है
बस
लाजवाब है
चिट्ठों की दुनियाँ
‘उलूक’
अपनी
लिखी
किताब
खुद पढ़ना
यहाँ के
अलावा
कहीं
और नहीं
सिखाया
जाता है ।
“ हैप्पी ब्लॉगिंग”
चित्र साभार: Dreamstime.com