चलता है....नहीं चलेगा!
सीढ़ी के कोने में
पान गुठके का पीक,
हर ट्राफ्फिक नियम उल्लंघन पे
हवलदार को घूस और माफ़ी की भीख,
खुद झूठ का पुल्लिन्दा
और देना दूसरों को सीख...
चलता है? ...लेकिन नहीं चलेगा!
सड़क पे पड़े किसी घायल को देख
सिर्फ भीड़ लगाना,
पुलिस से जुडी
किसी भी प्रक्रिया से घबराना
अपना काम निकलने के लिए
बड़े बाबु की जेब में १०० का नोट डालना
चलता है?...अब नहीं चलेगा!
आम चुनाव के दिन
घर में छुट्टी मानना,
या फिर बिन उम्मीदवार को परखे
लबेद में वोट दे आना,
और बाद में उसी सरकार के
नीतियों पे चिल्लाना...
चलता है?...नहीं चलेगा!
Work in Progress....
सीढ़ी के कोने में
पान गुठके का पीक,
हर ट्राफ्फिक नियम उल्लंघन पे
हवलदार को घूस और माफ़ी की भीख,
खुद झूठ का पुल्लिन्दा
और देना दूसरों को सीख...
चलता है? ...लेकिन नहीं चलेगा!
सड़क पे पड़े किसी घायल को देख
सिर्फ भीड़ लगाना,
पुलिस से जुडी
किसी भी प्रक्रिया से घबराना
अपना काम निकलने के लिए
बड़े बाबु की जेब में १०० का नोट डालना
चलता है?...अब नहीं चलेगा!
आम चुनाव के दिन
घर में छुट्टी मानना,
या फिर बिन उम्मीदवार को परखे
लबेद में वोट दे आना,
और बाद में उसी सरकार के
नीतियों पे चिल्लाना...
चलता है?...नहीं चलेगा!
Work in Progress....