Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

मामा होने और मामा बनने में व्याप्त फर्क… ?

इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के…
–मिर्ज़ा ग़ालिब

हे…प्रेम, इश्क़, मोहब्बत, प्रीत-सम्मोह, चाह-प्रणय पर दोहे, कविता, ग़ज़ल और गीत की किताब छापने वाले देवियो और सज्जनों, आपके ध्वनि, गुणीभूत व्यंग्य और चित्र युक्त मुक्तक पद्य जिस प्रेम परीक्षा में सब्जेक्टली फ़ैल होने के उपरांत उत्पन्न पक्ष के वर्णन में असफल रहे हैं।
उसे सरितवा और मंजुआ के लिए प्रेम में लुकाछुपी करते हुए पीएचडी कर चुका मैट्रिक फ़ैल, गांव-टोली के अपने राकेश जी और अमितवा ही मामा होने और मामा बनने में व्याप्त फर्क और करेजा में उठ रहे सिली-सिली दर्द के कराह की व्याख्या कर सकते है।

इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने…
–मिर्ज़ा ग़ालिब




This post first appeared on Pawan Belala Says, please read the originial post: here

Share the post

मामा होने और मामा बनने में व्याप्त फर्क… ?

×

Subscribe to Pawan Belala Says

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×