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रिश्ता

वो दर्द ही क्या वो अहसास ही क्या
जिसमें अधूरी प्यास न हो
वो इंतज़ार ही क्या वो वक्त ही क्या
जिसमें तेरे आने की आस न हो
वो तू ही क्या वो मैं ही क्या
जब हम दोनों साथ न हों
लड़ाइयाँ,मनमुटाव है, रहेगा हमेशा
पर टूटेगा नहीं, ये रिश्ता है नहीं है शीशा
वो सोच ही क्या वो ख्याल ही क्या
जिसमें बीते लम्हों की बात न हो
वो हँसी ही क्या वो आँसू ही क्या
जिसमें वो अधूरी रात न हो
गुस्साना, रूठ जाना है काम हमारे अहं का
पर वापस आना और गले लग जाना है काम हमारे रिश्ते का
वे़ो दिन ही क्या वो रात ही क्या
जिसमें हमारे वक्त के बीत जाने का डर न हो
वो धरती ही क्या वो आसमान ही क्या
जिसमें एक हमारा घर न हो
सारे सपने, सारे वादे हैं आज भी जिंदा मेरे सीने में
बिना तेरे कोई मज़ा नहीं है मेरे इस जीने में!


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रिश्ता

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