Ek generosity persanali |
उदारता आप सभी ने कभी न कभी अपने जीवन में उदारता word का use अवश्य ही किया होगा... कभी जब company में आप से कोई बड़ा काम बिगड़ा होगा तब आप ने चाहा होगा की आप का boss आप की error को छोटा सा मानने की उदारता दिखा दे और आप को माफ़ कर दे... जी हाँ जब हम आपने बारे में बात करे हैं तब चाहते हैं की हमारी सभी छोटी – बड़ी गलतियों को हमारे elders और boss उसे अनदेखा कर दे ; और गर अनदेखा ना भी करें तो punishment देने में उदारता दिखाएँ.
पर क्या हम भी ऐसी ही उदारता दिखा पाते हैं जब कोई हमारे साथ छोटी – बड़ी errors and problems creates करता हैं. क्या हम स्वयं पर नियंत्रण रख सामने वाले को उसकी गलतियों के लिए क्षमा कर पाते हैं..? क्या इतनी उदारता स्वयं अपना पाते हैं .... नहीं न ...yes में जानती थी की आप का answer नहीं ही होगा..
क्या कभी आप ने सोचा ऐसा क्यों..? जो behavour हम अपने साथ चाहते हैं वेसा हम दूसरों के साथ क्यों नहीं कर पाते.
मैंनें इस पर बहुत सोचा और पाया की ये सब हमारे अंदर की ख़तम होती जा रही संवेदनाओं के कारण है. इसी लिए हम सिर्फ अपने बारे में ही सोचते हैं... दूसरों की नहीं..
हम स्वयं के लिए उदारता की चाह रखते हैं और दूसरों के लिए सजा. ऐसा निष्ठुरता पूर्ण heart लेकर हम अपने उज्वल भविष्य की कामना करते हैं... ये कहाँ तक संभव है!!
किसी भी society के, country के चहुओर विकास के लिए व्यक्ति के जीवन में सामान उदारता के गुण का विकास होना जरुरी है. यदि हम किसी से कुछ लेते हैं तो हमे भी उन्हें कुछ देने को सज रहना चाहिए.
friends, उदारता की बात से मुझे एक story याद आ गयी है जिसे मैं आप सब के साथ share कर रही हूँ. kahaani God Buddha की life की है .
बात ये है की एक बार God Buddha, एक mango garden में बेठे थे. वही पास के ही एक tree से कुछ बच्चे mango तोड़ रहे थे. वो tree पर stone चला कर mango तोड़ रहे थे. एक stone God Buddha को जा लगा; और Buddha के forehead से blood निकलने लगा. पर Buddha बिना विचलित हुए, शांत भाव से स्थिर बैठे रहे. बच्चे डर गए और God Buddha से क्षमा मागने लगे. Buddha उन बच्चों से बड़ी विनम्रता से बोले- ‘बच्चों, क्षमा तो मुझे आप से माँगनी चाहिए.’
उनकी ये बात सुन बच्चे हैरान रह गये. एक बच्चे ने थोड़ा साहस कर के पूंछा – “वह क्यों ?”
Gautama Buddha ने कहाँ – ‘ वह इसलिए क्योंकि जब तुमने वृक्ष को stone मारा तो उसने तुमको फल दिया परन्तु जब मुझे stone मारा तो मैं तुमको कुछ भी नहीं दे सका.’ बच्चे गोद Buddhaकी इस उदारता को देख दंग रह गए.
जीवन में ऐसी उदारता लाना तो आज के परिवेश में सब के लिए तो संभव नहीं है क्योंकि ऐसी उदारता तो सिर्फ तप और त्याग के द्वारा ही संभव है.
पर यदि हम थोडा सा भी गर अपने और समाज के प्रति सजग हैं तो हमें इतनी तो उदारता को जीवन में उतारना ही होगा कि जैसा व्यवहार हम अपने लिए चाहते हैं वैसा ही हम दूसरों के साथ भी चाहें . इससे सिर्फ हमारा जीवन ही नहीं सम्पूर्ण समाज में सात्विकता का विकास होगा .
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