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चाय आज मीठी लगी

#अधूरे_पन्ने

बेहद प्रसन्‍नता होती है जब कोई ऐसा मित्र मिलता जिसने अपने कार्य से प्रेरणादायक काम किया हो। पिछले कल दूसरा शनिवार होने के कारण कार्यालय से अवकाश था। फोन आया गुरू जी आपसे मिलना है और आपके साथ चाए पीनी है। फोन बहुत पुराने मित्र Chet Ram Azad  जी का था। आज़ाद जी ठियोग से है और मेहनती व्‍यक्ति है। मैं 1996 में ठियोग में कार्यरत था। आज़ाद जी उस समय मात्र मैट्रिक ही थे जो 1986 में की थी और पढ़ने की इच्‍छा रखते थे। लेकिन आगे नहीं पढ़ पाए । एक दिन उन्‍होने अपने मन की बात मुझ से कह दी और मैंने भी उनका जमा दो का फॉर्म भरवा दिया। परिणाम आया तो अंग्रेजी विषय में कम्‍पार्टमेंट आ गई। आजाद जी को प्रोत्‍साहित किया और उनकी जमा दो परीक्षा भी हो गई। आजाद जी इससे बेहद उत्‍साहित हो गएऔर कहने लगे अब तो ग्रेजुऐशन भी करनी है। इग्‍नू का फॉर्म भरवा दिया। आजाद जी की अध्‍ययन यात्रा चलती रही । मैं सन 2000 में ठियोग से कुमारसैन के लिए स्‍थानान्‍तरित होगया।
आजाद जी ने इग्‍नू से स्‍नातक कर लिया। वे अपनी प्रगति की सूचना मुझे देते रहे । आजाद जी की पढ़ने की ऐसी ललक पैदा हुई की इग्‍नू से एक दो डिप्‍लोमें भी कर लिए।
आजाद जी एक सहयोग नाम से एक सस्‍था का संचालन भी करते है और इस क्षेत्र में जब आते है तो मिलकर ही जाते है। शनिवार को उन्‍होने रूक कर चाए पीने की इच्‍छा व्‍यक्‍त की तो अच्‍छा लगा।
आजाद जी आए और गप्‍प शप्‍प होने लगी । बातचीत में उन्‍होने कहा गुरूजी चाए तो बहाना है दरअसल मैं आपको कुछ दिखाना चाहता हूं। मैंने कहा, हां हां दिखाओ। आजाद जी ने एक परिचय कार्ड मेरे हाथों में दिया। गौर से देखा तो वह बार को‍ंसिल ठियोग का परिचय पत्र था। आजाद जी ने विधि स्‍नातक की उप‍ाधि प्राप्‍त कर ली थ्‍ाी और पंजीकरण भी करवा लिया था।
आजाद जी मुझे आभार देते हुए कह रहे थे आपने जो रास्‍ता दिखाया उससे ही ये सम्‍भव हो पाया। आभार तो आजाद जी का जिन्‍होने मुझे याद रखा मैं तो मात्र माध्‍यम बना मेहनत तो उनकी थी।
सच मानिए चाए आज मुझे बेहद मिठी लग रही थी .......



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