एक पर्चे पे नाम लिखा साहब(गुलज़ार) ने मेरा,दिल ने ली अंगड़ाई है, ठंडी हवा सी आई है,इतराके, उछलके फुदकके खुशी के दाने चुगती मुद्दतों बाद ज़िन्दगी पगलाई है।
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