छोटी-छोटी अंखियों में, मोटी-मोटी बूँदें हैंनींद ने ऐसे ही, कितनी रातें गूंथे हैंज़िन्दगी के साथ में, डाकू के करतबें हैदिल ने धड़कने में, सांसें-सांसें लूटे हैं॥ऐसे ही..आजकल.
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