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पंचतंत्र की कहानी: दो सिर वाला पक्षी

पंचतंत्र की कहानी: दो सिर वाला पक्षी

किसी जंगल में बहुत सारे पशु-पक्षी रहते थे। उन्ही में एक बहुत ही विचित्र पक्षी भी रहता था। उस पक्षी के दो सिर थे लेकिन पेट एक ही था। सभी जानवर उसका मजाक उड़ाते थे और उसे खूब चिढाते थे। जानवरों के दुष व्यवहार से उस पक्षी का एक सिर बहुत दुखी रहता था। हालांकि दूसरा सिर अपने अनोखे शरीर को ईश्वर की कृपा समझकर खुश रहता था। अलग- अलग विचारों के कारण दोनों में अकसर झगड़ा हुआ करता था। एक सिर को अगर कुछ खाने को मिलता, तो वह अपने साथी सिर को नहीं देता। ऐसे ही जब दुसरे सिर को खाने को कुछ मिलता तो वह पहले सिर को कुछ नहीं देता। कभी-कभी तो वह सिर्फ एक दुसरे को चिढाने के लिए खाना खाते थे।



इस तरह, वह दोनों एक दुसरे से बहुत ही विपरीत व्यवहार करते थे। एक दिन, वह पक्षी नदी के किनारे टहल रहा था। तभी उसे एक फल दिखाई दिया। पहला सिर उस फल को खाने लगा। लेकिन उसने दुसरे सिर को वह फल खाने से यह कहकर मना कर दिया की फल स्वादिष्ट नहीं है। दुसरे सिर को बहुत बुरा लगा और उसने अपने साथी सिर से बदला लेने की ठानी।

कुछ दिनों के बाद वह पक्षी जंगल में किसी पेड़ के नीचे विश्राम कर रहा था। पेड़ से एक फल उस पक्षी के पास गिर गया। वह फल देखने में बड़ा ही स्वादिस्ट लग रहा था लेकिन असलियत में वह बहुत जहरीला था। पहले सिर को इस बात का पता था कि फल जहरीला है। दूसरा सिर अपने साथी सिर से बदला लेने के लिए फल खा लेता है। पहला सिर, दुसरे सिर को चेताता है की फल खाने से उन दोनों की मौत हो सकती है। लेकिन दूसरा सिर बदला लेने की जिद के चलते फल खा लेता है। परिणाम स्वरुप, दोनों सिरों की, यानी उस पक्षी की मृत्यु हो जाती है।


सारांश:- रिश्तों के बीच अहंकार को आने नहीं देना चाहिए। 


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