मित्रों ,
पुराने मित्र-मंडली पोस्टों को मैंने मित्र-मंडली पेज पर सहेज दिया है और अब से प्रकाशित मित्र-मंडली का पोस्ट 7 दिन के बाद केवल मित्र-मंडली पेज पर ही दिखेगा, जिसका लिंक नीचे दिया जा रहा है : HTTPS://RAKESHKIRACHANAY.BLOGSPOT.IN/P/BLOG-PAGE_25.HTML मित्र-मंडली के प्रकाशन का उद्देश्य मेरे मित्रों की रचना को ज्यादा से ज्यादा पाठकों तक पहुँचाना है। आप सभी पाठकगण से निवेदन है कि दिए गए लिंक के पोस्ट को पढ़ कर, टिप्पणी के माध्यम से अपने विचार जरूर लिखें। विश्वास करें ! आपके द्वारा दिए गए विचार लेखकों के लिए अनमोल होगा।
प्रार्थी
राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
मित्र मंडली -79
(नोट : मेरे कई ब्लॉग अनुसरणकर्ता मित्र का पोस्ट जो मुझे बहुत अच्छा लगता है परन्तु मैं उसे मित्र मंडली में सम्मलित नहीं करता क्यूंकि उनकी रचना पहले से ही लोकप्रिय होती है और समयाभाव के कारण मैं उनके पोस्ट पर टिप्पणी भी नहीं कर पाता हूँ, इसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ।),
इस सप्ताह के सात रचनाकार
दोहे " आज विदा नीरज हुए "
राधा तिवारी जी
"कवि गोपाल दास सक्सेना "नीरज " को भावांजलि देती सुन्दर दोहे। "
आलेख हिण्डोला एक परम्परा एक अनुराग
कुसुम कोठारी जी
"हम अपनी विरासत एवं परम्पराओं को भूलते जा रहें हैं और मृग-मरीचिका सामान भौतिक सुख के पीछे भाग रहें हैं। यह सच है कि सच्चा सुख तो अपनी संस्कृति एवं सभ्यता के साथ जीने में है। सूंदर आलेख।
"हम अपनी विरासत एवं परम्पराओं को भूलते जा रहें हैं और मृग-मरीचिका सामान भौतिक सुख के पीछे भाग रहें हैं। यह सच है कि सच्चा सुख तो अपनी संस्कृति एवं सभ्यता के साथ जीने में है। सूंदर आलेख।
उन्मुक्त उड़ान
रिंकी राउत जी
"नारी मन की दबी इच्छाओं को व्यक्त करने की प्रतीक्षा में एक प्रेमिका जिसे अपने प्रेमी से मौन स्वीकृति चाहिए। सूंदर भावाभिव्यक्ति। "
"नारी मन की दबी इच्छाओं को व्यक्त करने की प्रतीक्षा में एक प्रेमिका जिसे अपने प्रेमी से मौन स्वीकृति चाहिए। सूंदर भावाभिव्यक्ति। "
स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली
कविता रावत जी
"ऐतीहासिक धरोहर से सजी दिल्ली में पर्यटकों के लिए सन् 1986 में लोटस टेम्पल एक सौगात के रूप में मिला और 2005 से शायद ही कोई पर्यटक होगा जो "स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली" का दर्शन न किया हो। अक्षरधाम की विस्तृत जानकारी देती सुन्दर आलेख। "
गुप्तकाशी
हर्ष वर्धन जोग जी
"केदारनाथ जी के दर्शन के लिए हलोकॉप्टर की सेवा गुप्तकाशी से मिलनी शुरू हो जाती है। आम यात्री गुप्तकाशी के भ्रमण का आनंद नहीं ले पाते हैं। तो, आप इस आलेख को पढ़कर आनंद लें। "
मरू में क्यों!
विश्व मोहन जी
"संवेदनाओं से भरी अस्वच्छ भारत की मार्मिक तस्वीर को प्रस्तुत करती कविता। "
कुछ दराज़ों में डाल रक्खी हैं ...
दिगम्बर नसवा जी
"अपने चाहतों एवं यादों की मखमली एहसाओं को फिर से एक लाजवाब ग़ज़ल में पिरोकर पेश किया है। आप भी आनंद लें। "
आशा है कि मेरा प्रयास आपको अच्छा लगेगा । आपका सुझाव अपेक्षित है। अगला अंक 30-07-2018 को प्रकाशित होगा। धन्यवाद ! अंत में ....
मेरी प्रस्तुति :
1.भाप इंजन से बुलेट ट्रेन तक का भारतीय रेल का सफ़र ( भाग- 1 )
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2.MEME SERIES - 11
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