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रॉक गार्डन, चंडीगढ़ की सैर

रॉक गार्डन, चंडीगढ़ की सैर

छतबीर चिड़ियाघर सैर के बाद रॉक गार्डन, चंडीगढ़ की सैर  :

छतबीर चिड़ियाघर सैर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें :-
http://rakeshkirachanay.blogspot.in/2016/07/blog-post_21.html

छतबीर चिड़ियाघर से 22 कि.मी. पर रॉक गार्डन है और छतबीर चिड़ियाघर से दोपहर 1:30 बजे रॉक गार्डन  के लिए हमलोग निकल पड़े। रॉक गार्डन के बाहर, गर्मी होने के बावजूद, बहुत गहमा-गहमी थी। बाहर से ही रॉक गार्डन अपने सौन्दर्य की  छटा बिखेड़ रहा  था।


40 एकड़ में फैला इस रॉक गार्डन के अंदर प्रवेश करते ही ऐसा लगा की हमलोग अद्भुत लोक में आ गए हैं। शीतल जल के स्पर्श से हवा ठंडक प्रदान कर रही थी।  मौसम का मिजाज गर्म था, परंतु कला के इस सभागार में मिश्रित मौसम की अनुभूति हो रही थी। जल, प्रकृति एवं कला  का अनूठा संगम है, रॉक गार्डन।

रॉक गार्डन, आगरा के ताजमहल के बाद दूसरा सबसे ज्यादा देखा जाने वाला पर्यटन स्थल है। प्रतिदिन लगभग 5000 पर्यटक इसे देखने आते हैं।

नेक चंद सैनी जी के सपनों का रॉक गार्डन, चंडीगढ़ के सेक्टर एक में सुखना झील और केपिटल कॉम्प्लेक्स के बीच में स्थित है। ऐसे तो नेक चंद जी को अपने सपनों के संसार का नाम रॉक गार्डेन रखे जाने पर आपत्ति थी अपितु वो तो इसको अपने गाँव और सुखना लेक से जोड़ कर देखते थे, इसलिए वे इसे "सुखरानी की दुनिया" मानते थे, जिसमें दुनिया के सभी प्राणियों एवं प्रकृति का समावेश था।

जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्र भारत के पहले आधुनिक शहर चंडीगढ़ की कल्पना की। चंडीगढ़ अंतर्राष्ट्रीय  स्तर पर अपनी वास्तुकला और योजनाबद्ध शहरी डिजाइन के लिए जाना जाता है। शहर का  मास्टर प्लान, स्विस-फ्रेंच वास्तुकार ली कार्बुजिए द्वारा तैयार किया गया था। इसका निर्माण कार्य सन् 1950 से शुरू हो कर सन् 1960 में बनकर तैयार हो गया। 1951 में नेक चंद जी इस प्रोजेक्ट के साथ रोड इंस्पेक्टर पद की  हैसियत से जुड़े।

चंडीगढ़ शहर, शिवालिक पहाड़ियों के छाँव में बसा हुआ है। नेक चंद जी को शहर के बाहर जंगलों के बीच एक गुप्त स्थान दिखा तथा वहां पर वे प्रत्येक शाम के बाद 18 साल तक अज्ञातवास की तरह जीवन जीते हुए शहर के निर्माण से निकले बेकार सामानों से, अपने सपनों का संसार को कलात्मक ढंग से सजाया। सन् 1975 में चंडीगढ़ प्रशासन को 12 एकड़ में फैले इस अद्भुत स्थान का पता चला। आशा-निराशा के बीच इस स्थान को सन् 1976 में सार्वजनिक स्थान घोषित किया गया और नेक चंद जी को सब -डिवीजनल इंजीनियर, रॉक गार्डन का पद  और 50 मजदूर दिए गए जिससे वे पूरे समय अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर सकें।

23 सितम्बर 1983 को, भारतीय डाक विभाग ने रॉक गार्डन की तस्वीर वाला  डाक टिकट मुद्रित किया।







आइए ! तस्वीरों के माध्यम से रॉक गार्डन का दर्शन आप भी करें।
















हेल्प-मी  - मैं रॉक-गार्डेन में फंस गया हूँ। 


















- © राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"






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