माँ को क्या लिखूँ मैं, उसकी एक रचना हूँ ।
माँ को क्या रंगूँ मैं, उसकी एक कला हूँ ।
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माँ से क्या कहूँ मैं, उसने मुझे समझा है ।
जो कभी कहा नहीं मैंने, उसने वो सुना है ।
माँ को क्या गढूँ मैं, उसने मुझे जड़ा है ।
माँ को क्या पुकारूँ मैं, वो हर पल मेरे साथ है।
माँ से क्या क्षमा माँगू मैं, बिन मांगे क्षमा किया है।
मेरी त्रुटियाँ अक्षम्य हैं, मैंने किया और उसने सहा है ।
मुझे क्षमा कर दो माँ , मुझे क्षमा कर दो माँ ।