तुम ही से मेरा चाँद खिले
तुम ही से चांदनी मिलेतुम ही से सुबह हो मेरी
तुम ही से मेरी शाम ढलेतुम ही से महके हर कलि
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तुम ही से हर फूल खिलेतुम ही तो अपने हो मेरे
तुम ही से हैं सुबह गिलेतुम ही तो चाहत हो मेरी
तुम ही से मेरा दिल मिलेतुम ही से ज़िन्दगी है मेरी
तुम ही से हैं यह सिलसिलेजब तुझ ही से मुझे सुब कुछ मिले
फिर कियों न मुझ को तुम मिले?