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रात अकेली


रात घनी, और शजर जुगनू भरा

तले उसके प्यार हमारा बाहों भरा। 


अहसास बने जेर-ए-लब सासोंका

तेरे होठोंका प्याला, मदहोशी भरा। 


सवारू चनबेली के फूल से लदा जुड़ा

साँसोमे भरलू महक, जिस्म खुशबू भरा। 


थामलु चेहरा हाथमे, फिर चुमलू माथा

एक वादा करलू आंखोसे, ऐतबार भरा। 


पलकोमे अश्क खूब सजा कर रखना 

जुदाई का हर लम्हा, तेरा तसव्वुर भरा। 


उजाला कर रहा रात को अलविदा

न जा, मेरा दिल तो अबभी नही भरा। 

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रात अकेली

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