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Char Dham Yatra in Hindi

Char Dham Yatra in Hindi | चार धाम यात्रा

चार धाम यात्रा भारत की प्रशिद्ध तीर्थयात्रा है, जिसमें चार पवित्र धाम: यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा शामिल है। यात्रा को हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण तीर्थों में से एक माना जाता है। चार धाम यात्रा का महत्व इसके आध्यात्मिक रूप में निहित है। माना जाता है कि जिन मंदिरों में यात्रा की जाती है, उनमें चार महत्वपूर्ण हिंदू देवताओं – यमुना, गंगा, भगवान शिव और भगवान विष्णु का निवास है। यात्रा को मोक्ष प्राप्ति और जीवन के कर्मो से मुक्ति का मार्ग बताया गया है।

चार धाम यात्रा का महत्व: चार धाम यात्रा हिंदुओं के सबसे पवित्र तीर्थों में से एक है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति अपने जीवन में एक बार इस तीर्थ यात्रा को पूरा करने का सौभाग्य प्राप्त करता है, वह जन्म-मृत्यू और जीवन के सभी बंधनो से मुक्त हो जाता है। यात्रा उन लोगों के लिए विशेष रूप से शुभ मानी जाती है जो अपने जीवन के अंत के करीब हैं और एक आध्यात्मिक प्रक्रिया के रूप में खुद को भगवान को समर्पित करना चाहते हैं।

चार धाम यात्रा का सही क्रम: चार धाम यात्रा, उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री से शुरू होती है, जो गंगोत्री, और केदारनाथ के साथ बद्रीनाथ में समाप्त होती है। 

यमुनोत्री गंगोत्री केदारनाथ बद्रीनाथ

चारो धामों को अलग-अलग रूपों से प्रशिद्धगी मिली है, जो इस प्रकार है:-

  • यमुनोत्री धाम: देवी यमुना को समर्पित मंदिर
  • गंगोत्री धाम: देवी गंगा को समर्पित मंदिर
  • केदारनाथ धाम: भगवान शिव को समर्पित मंदिर
  • बद्रीनाथ धाम: भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर

Enquire for Char Dham Yatra

उत्तराखंड के चार धाम

यमुनोत्री धाम

“यमुनोत्री धाम” उत्तराखंड के चार धाम में प्रमुख धाम है, जो चार धाम यात्रा का प्रारम्भिक धाम भी है। यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है, जो यमुना नदी के स्रोत के रूप में प्रशिद्ध है। यमुनोत्री धाम देवी यमुना को समर्पित है, जो हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण देवी है. यमुनोत्री हिमलाय की खूबसूरत पगड़डियो में स्थित है, जो प्रकृति की सुंदरता के साथ आध्यात्मिक आभा से सभी आगंतुको को अपनी ओर आकर्षित करती है।

गंगोत्री धाम

“गंगोत्री धाम” उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित देवी गंगा को समर्पित एक मंदिर है। यह उत्तराखंड के चार धामों में से एक है, जो गंगा नदी के स्रोत का पूजनीय स्थल है। मंदिर का मार्ग उन सभी आगंतुकों के लिए सुलभ है जो मई से नवंबर के महीनों के दौरान इसे कवर करना चाहते हैं। क्षेत्र में भारी बर्फबारी के कारण मंदिर के दरवाजे सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान हरसिल में मां गंगा की डोली विराजमान होती है।

केदारनाथ धाम

भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक, केदारनाथ धाम उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है. “बाबा केदार” के रूप में स्थापित यह मंदिर उत्तराखंड के पञ्च केदार का प्रमुख केंद्र है। मंदिर हिमालय में लगभग 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और केदार – डोम घाटी के दृश्यों से सभी को आकर्षित करता है। अन्य धामों के साथ ही बाबा केदार के कपाट भी अप्रैल से अक्टूबर तक ही खुलते हैं। भारी बर्फबारी के कारण केदारनाथ की डोली नवंबर से अप्रैल तक ओंकारेश्वर, उखीमठ में विद्यमान रहती है।

बद्रीनाथ धाम

चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम, भारत के चार प्रमुख धामों में से एक है। भगवान विष्णु के विशाल बद्री रूप को समर्पित यह मंदिर अलकनंदा नदी के तट पर समुद्र तल से 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक उत्तर भारतीय शैली में बनी है और इसे जटिल नक्काशी और मूर्तियों से सजाया गया है। इसे वैष्णव अनुयायियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण बद्रीनाथ जी अपने शीतकालीन निवास योग ध्यान बद्री में पांडुकेश्वर मंदिर में रहते हैं।

चार धाम यात्रा का नक्शा

Image Credit – Chardhamyatra.org

चार धाम यात्रा का रजिस्ट्रेशन

उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के रजिस्ट्रेशन के बाद ही आपकी चार धाम यात्रा को सरकार से मंजूरी मिलती है। चार धाम यात्रा का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद ही यात्रा करने का निर्णय लें। चार धाम यात्रा का ऑनलाइन पंजीकरण करने के लिए आप अपनी चार धाम यात्रा को इन मापदंडों के साथ पंजीकृत कर सकते हैं.

चार धाम यात्रा की रजिस्ट्रशन करने के लिए इस गाइड को फॉलो करे :-

चरण 1: उत्तराखंड सरकार की आधिकारिक वेबसाइट https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/ पर जाएं।

चरण 2: वेबसाइट पेज के ऊपरी दाएं कोने पर “रजिस्टर/लॉगिन” बटन पर क्लिक करें।

चरण 3: क्लिक करने के बाद आपको रजिस्ट्रेशन और लॉगिन का विकल्प दिखाई देगा, जहां आप अपनी निजी जानकारी जैसे नाम और फोन नंबर भरकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। फिर अपने खाते के लिए एक पासवर्ड चुनें जो आपके लिए अद्वितीय हो, इस पासवर्ड को किसी के साथ साझा न करें!

चरण 4: इसके बाद आपको वेरिफिकेशन पूरा करना होगा, जो आपके मोबाइल नंबर और ईमेल पर एक कोड नंबर के रूप में आएगा। कोड डालने के बाद “Verify OTP” पर क्लिक करें।

चरण 5: अपने मोबाइल नंबर और पासवर्ड के साथ लॉग इन करें, जहां आपको अपना बोर्ड मिलेगा। इस डैशबोर्ड में, आप चार धाम यात्रा पंजीकरण भरना शुरू कर सकते हैं।

चरण 6: यात्रा पंजीकरण के लिए “तीर्थयात्रियों को जोड़ें/प्रबंधित करें” बटन पर क्लिक करें, और फिर अपनी यात्रा की योजना बनाएं पृष्ठ खुल जाएगा। फिर “नया दौरा जोड़ें” पर क्लिक करें।

चरण 7: अब फॉर्म में पूछे गए सभी यात्रा विवरण सही-सही भरें, जैसे यात्रा का प्रकार, अवधि, यात्रियों की संख्या, धाम की यात्रा का तरीका आदि, और फिर “सहेजें” पर क्लिक करें।

चरण 8: एक नई विंडो खुलेगी, जिसमें आपके द्वारा अभी बनाया गया दौरा दिखाया जाएगा।

चरण 9: “तीर्थयात्री जोड़ें” बटन पर क्लिक करें, और तीर्थयात्री/पर्यटक पंजीकरण फॉर्म खुल जाएगा।

चरण 10: अब पर्यटक के सभी विवरण भरें, जैसे नाम, उम्र, लिंग, मोबाइल नंबर, पता, आदि। सुनिश्चित करें कि सभी जानकारी सही ढंग से भरें। साथ ही, आपको पर्यटक की पासपोर्ट साइज फोटो और फोटो आईडी प्रूफ की स्कैन की हुई कॉपी भी अपलोड करनी होगी। आकार संबंधी दिशा-निर्देश पृष्ठ पर ही उल्लिखित होंगे।

चरण 11: पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करने के बाद, एक अद्वितीय पंजीकरण नंबर एसएमएस के माध्यम से भेजा जाएगा, और चार धाम पंजीकरण पत्र डाउनलोड किया जा सकता है।

चरण 12: चार धाम यात्रा पंजीकरण डाउनलोड करें, और इसे चार धाम ऑफ़लाइन केंद्रों पर जमा करें। इसकी एक फोटोकॉपी अपने पास भी अवश्य रखें।

2023 में उत्तराखंड के चार धाम मंदिरों के कपाट खुलने और बंद होने की तिथियां:

चार धाम तीर्थ

खुलने की तिथि 

अंतिम तिथि

यमुनोत्री

3 मई, 2023

24 अक्टूबर, 2023

गंगोत्री

3 मई, 2023

25 अक्टूबर, 2023

केदारनाथ

6 मई, 2023

26 अक्टूबर, 2023

बद्रीनाथ

8 मई, 2023

26 अक्टूबर, 2023

चार धाम यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय

अप्रैल (कपाट खुलने का समय), मई और जून के महीनों को चार धाम की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है. इस दौरान चारो धामों की जलवायु स्थिति सुखद और सामान्य रहती है. तापमान उपयुक्त और यात्रा लायक बना रहता है। जुलाई के बाद उत्तराखंड में मानसून का आगमन होता है, जो चार धाम की यात्रा को असुविधाजनक और कठिन बना सकता है। सितंबर और अक्टूबर भी चार धाम यात्रा के लिए सही मौसम माना जाता है, जो मंदिरो के कपाट बंद होने के समय रहता है।

चार धाम यात्रा के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न



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